उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा हफ़्सा बिन्ते उमर रदियल्लाहु तआला अन्हा :ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" Great Women Scholar of Islamic History : Hazrat Hafsa bint-e-Umar Radi'Allahu Anha - Part - 5 Prominent, Influential, Excellent Orator, Writer and Hafidhah of Quran : हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 5


 



उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा हफ़्सा बिन्ते उमर रदियल्लाहु तआला अन्हा


शिफा खातून 

पार्ट टाइम आलिमा कोर्स 

मदरसा रज़ा ए मुस्तफा, तुर्कमानपुर गोरखपुर।


हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम की मुक़द्दस बीबी और उम्मत की माओं में से हैं। आपका ताल्लुक अरब के एक निहायत ही इज़्ज़त व अज़मत वाले क़बीले कुरैश की शाख बनी अदी से था। आप मुसलमानों के दूसरे खलीफा हज़रत उमर फारूक आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु की खुशनसीब साहबज़ादी है। आप रदियल्लाहु तआला अन्हा की वालिदा का नाम ज़ैनब बिन्ते मज़ऊन है। 


अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम के एलाने नबुव्वत से पांच साल पहले जब कुरैश काबा शरीफ़ की नए सिरे से तामीर करने में लगे हुए थे तब हज़रत उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु के यहां हज़रते हफ़्सा की पैदाइश हुई।


आपकी तरबियत कुरैश के आला खानदान में हुई। वालिदे मोहतरम मुसलमानों के दूसरे खलीफा हज़रत उमर फारूक आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु कुरैश के बड़े लोगों में से थे। वालिद माजिद के इस्लाम लाने के बाद इस्लामी माहौल ने उनकी शख्सियत में और निखार पैदा कर दिया। इस्लामी माहौल में हज़रत हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा की परवरिश व तरबियत हुई।


हज़रते हफ़्सा बहुत ही बुलंद हिम्मत और सखावत करने वाली खातून हैं। हक़ बोलने, हाज़िर जवाबी और सूझ बूझ में अपने इज़्ज़त वाले वालिद मुसलमानों के दूसरे खलीफा हज़रत उमर फारूक आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु का मिजाज़ पाया था। आप रदियल्लाहु तआला अन्हा अक्सर रोज़ा रहा करतीं, कुरआने मजीद पढ़तीं और दूसरी इबादतों में मसरूफ रहतीं।


आप रदियल्लाहु तआला अन्हा का पहला निकाह हज़रत ख़ुनैस बिन हुज़ाफा से हुआ। इन्हीं के साथ आप ईमान की दौलत से मालामाल हुईं। आपके शौहर हज़रत ख़ुनैस ने हब्शा व मदीना दोनों जगहों पर हिजरत फरमाई थी। आप उन लोगों में से थे जो मुसलमानों के पहले खलीफा हज़रत अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु तआला अन्हु की कोशिशों से ईमान लाए। हज़रत ख़ुनैस से उम्मुल मोमिनीन हज़रत हफ्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा का निकाह नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि के मदीना हिजरत करने से पहले हुआ था। नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि के मदीना हिजरत करने के बाद आप मदीना तशरीफ लाईं और तकरीबन दो तीन साल आपके घर में गुजारे। 


जब 17 रमज़ान को जंग बदर का वाक्या पेश आया (जो हक और बातिल के बीच पहली जंग थी।) तो हज़रत ख़ुनैस भी इस जंग में बड़ी बहादुरी के साथ शरीक हुए। दुश्मनों का मुकाबला किया। इस मुकाबले में आप सख्त ज़ख्मी हो गए। मुसलमानों की कामयाबी के साथ लड़ाई खत्म हो गई। अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम तीन दिन तक मैदान में ठहरे रहे। ज़ख्मी जांनिसार सहाबा किराम की मरहम पट्टी की गई। तीन दिन के बाद इस्लामी लश्कर मदीना शरीफ की तरफ रवाना हुआ।


बीस साल की उम्र में हज़रत हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा बेवा हो गईं। जब इद्दत वफात गुज़र चुकी तो उनके वालिद हज़रत उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु को उनकी दूसरी शादी की फिक्र हुई और आप रदियल्लाहु तआला अन्हु इसके लिए कोशिश करने लगे। हज़रत उस्मान व हज़रत अबू बकर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा को भी पैग़ाम ए निकाह दिया लेकिन आप लोगों ने इंकार कर दिया।


इसके कुछ दिन बाद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा को निकाह का पैग़ाम भेजवाया। हज़रत उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु ने हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा का निकाह हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम से कर दिया। इब्ने इसहाक की रिवायत है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने हज़रते आयशा रदियल्लाहु तआला अन्हा के बाद हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा से निकाह किया।


हज़रत उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु की रिवायत से मालूम होता है कि अल्लाह पाक के आखरी नबी हुज़ूर ए पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि‌ व आलिही वसल्लम ने हज़रत हफ्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा को एक तलाक दी थी, फिर उनसे रुजू कर लिया था। 


कुछ रिवायतों में है कि नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने तलाक देने का सिर्फ इरादा फरमाया था कि जिब्राइल अलैहिस्सलाम आए और आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि‌ व आलिही वसल्लम से फरमाया कि उन्हें तलाक न दें वह बहुत ज़्यादा रोज़ा रखने वाली और तहज्जुद गुज़ार खातून हैं और जन्नत में आपकी बीवी हैं।

(अज़वाज व बनाते रसूल, पेज नं०:-90 बहवाला हिल्यतुल औलिया)


हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा ने फ़रमाया : हज़रत उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु हज़रत हफ्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा के यहां तशरीफ ले गए तो वह रो रही थीं। उन्होंने पूछा : क्यूं रो रही हो?, शायद कि तुम्हें रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने तलाक दे दी है? उन्होंने तो तुम्हें तलाक दे दी थी, फिर मेरी वजह से तुमसे रूजू कर लिया। कसम अल्लाह पाक की अगर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने अब तुम्हें तलाक दी, तो मैं तुमसे कभी गुफ्तगू नहीं करूंगा।


इस मसले में यह कहना ज़्यादा मुनासिब होगा कि तलाक देने या इरादा फरमाने का यह अमल उम्मत की तालीम के लिए था कि अगर किसी वजह से शौहर अपनी बीवी को तलाक देना चाहे तो सिर्फ एक तलाक दे ताकि बात बनने की कोई सूरत हो तो रूजू करने की गुंजाइश बाकी रहे। एक तलाक के बाद बीवी की खूबियों को देखते हुए तलाक से रूजू कर लिया जाए। 


याद रखें एक साथ तीन तलाक देना गुनाह है। लेकिन अगर किसी ने से दिया तो तीनों तलाक हो जाएगी और बीवी उस पर हराम हो जाएगी। हां अगर एक तलाक या दो तलाक दी तो रूजू करके दोबारा उसी बीवी के साथ रह सकता है।


ऐसे मौकों पर मां बाप का किरदार भी बड़ी अहमियत रखता है। मुसलमानों के दूसरे खलीफा हज़रत उमर फारूक आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु ने तलाक पर नाराज़गी का इज़हार करके हमें बता दिया कि ऐसे मामलात में मां बाप अपनी बेटी को शौहर की इताअत का हुक्म दें न कि गलती पर उसकी हौसला अफजाई करके मियां बीवी में दूरी के असबाब पैदा करें।


हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा को तालीम का बहुत शौक था। पढ़ने के साथ लिखना भी जानती थीं। इस सिलसिले में दीगर उम्महातुल मोमिनीन तरह आप भी आगे थीं। उम्मुल मोमिनीन हज़रते आयशा रदियल्लाहु तआला अन्हा से आपकी बहुत अच्छी दोस्ती थी। आप कुरआन ए पाक की हाफ़िज़ा भी थीं।


हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा से साठ हदीसें मरवी हैं, जो बहुत से इस्लामी  अहकाम से ताल्लुक रखती हैं। इनमें चार मुत्तफक अलैह यानी हदीस की दो सबसे मशहूर किताब बुखारी और मुस्लिम दोनों में है। छह हदीसें सिर्फ मुस्लिम शरीफ में और दूसरी 50 हदीसें दीगर किताबों में मौजूद है। 


इल्मे हदीस में बहुत से सहाबा व ताबईन आप रदियल्लाहु तआला अन्हा के शगिर्दों की फिहरिस्त में नज़र आते हैं। 


हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा की वफात सही कौल के मुताबिक माहे शाबान 45 हिजरी में मदीना मुनव्वरा के अंदर हुई। वफात के वक्त आप रोज़े से थीं। आपकी बारगाह में अलविदा कहने वालों में आम सहाबा किराम के अलावा हज़रत अबू सईद खुदरी रदियल्लाहु तआला अन्हु और अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि‌ व आलिही वसल्लम की हदीसों के सबसे बड़े हाफिज़ हज़रत सैयदना अबू हुरैरह रदियल्लाहु तआला अन्हु भी थे। 


आपको मदीना मुनव्वरा के मशहूर कब्रिस्तान जन्नतुल बक़ीअ में सुपुर्दे खाक (दफ्न) किया गया। दफ्न करने के लिए हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा के दो भाई हज़रत अब्दुल्लाह और हज़रत आसिम रदियल्लाहु तआला अन्हुमा और भतीजों में से हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्दुल्लाह, हज़रत सालिम और हज़रत हम्ज़ा कब्र में उतरे और आप रदियल्लाहु तआला अन्हा को सुपुर्दे खाक किया। वफात के वक्त आपकी उम्र 60 या 63 साल थी।

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हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की मुकद्दस बीबी और उम्मत की माओं में से हैं। हज़रते हफ़्सा बहुत ही बुलंद हिम्मत और सखावत शिआर खातून हैं। हकगोई हाजिर जवाबी और फहमी फिरासत में अपने वालिदे बुजुर्गवार का मिजाज पाया था। अक्सर रोजादार रहा करती थीं और तिलावते कुरआने मजीद और दूसरी किस्म की इबादतों में मसरूफ रहा करती थीं। आपका ताल्लुक अरब के एक निहायत ही मुअज्जव व अशरफ कबीले कुरैश की शाख बनी अदी से था। आप हज़रत अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर बिन ख़त्ताब रदियल्लाहु तआला अन्हु की खुशनसीब साहबजादी हैं। हज़रते हफ़्स रदियल्लाहु तआला अन्हा की वालिदा का नाम जैनब बिन्ते मज़ऊन है। जो एक मशहूर सहाबिया हैं। हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के एलाने नबुव्वत से पांच साल पहले जब कुरैश बैतुल्लाह शरीफ़ की नए सिरे से तामीर में मसरूफ़ थे तब हज़रत उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु के यहां हज़रते हफ़्सा की विलादत हुई। आपकी तरबियत कुरैश के आला खानदान के माहौल में हुई। वालिद मोहतरम हज़रत सैयदना उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु कुरैश के बड़े लोगों में से थे। उनकी तालीम व तरबियत और वालिद माजिद के इस्लाम लाने के बाद इस्लामी माहौल ने उसको बहुत आब व ताब (सिकल) कर दिया। ऐसे इस्लामी माहौल में हज़रत हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा की परवरिश व तरबियत हुई।


हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के निकाह में : बीस साल की उम्र में हज़रत हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा बेवा हो गईं। जब इद्दत वफात गुजर चुकी तो उनके वालिद हज़रत उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु को उनकी दूसरी शादी की फिक्र हुई और उसके लिए कोशिश करने लगे। इसके कुछ दिन बाद हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा को निकाह का पैग़ाम भेजवाया। हज़रत उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु ने हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा का निकाह हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से कर दिया।  इब्ने इसहाक की रिवायत है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रते आयशा रदियल्लाहु तआला अन्हा के बाद हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा से निकाह किया। उनसे पहले वह हज़रत ख़ुनैस बिन हुजाफ़ा रदियल्लाहु तआला अन्हु की बीवी थीं। इब्ने साद ने लिखा है कि हज़रते आयशा रदियल्लाहु तआला अन्हा के बाद हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा से निकाह किया। 


हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा और तालीम की अहमियत: हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा को तालीम का बहुत शौक था। पढ़ने के साथ लिखना भी जानती थीं। इस सिलसिले में दीगर बीवियों के बराबर थीं। हज़रते आयशा रदियल्लाहु तआला अन्हा और हज़रते उम्मे सलमा रदियल्लाहु तआला अन्हा पढ़ना लिखना जानती थीं। और दूसरी बीवियां भी किरात व किताबत के अलावा बाज दूसरे फुनून (विषय) से भी आरास्ता थीं। हज़रते आयशा रदियल्लाहु तआला अन्हा से आपकी बहुत आपकी बहुत अच्छी दोस्ती थी। आप हाफिजे कुरआन थीं।


अहादीस की तादाद: हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा आलिम, फाजिल और इल्म व कमाल की मालिक थीं। आपसे साठ हदीसें मरवी हैं, जो इस्लाम के बहुत से अहकाम से ताल्लुक रखती हैं। इनमें चार मुत्तफकुन अलैह यानी बुखारी और मुस्लिम दोनों में हैं और तन्हा मुस्लिम में छह अहादीस और 50 अहादीस दीगर किताबों में मरवी है। इल्मे हदीस में बहुत से सहाबा व ताबेईन इनके शगिर्दों की फेहरिस्त में नज़र आते हैं जिनमें खुद इनके भाई हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु बहुत मशहूर हैं। 


विसाल : हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा की वफात सही कौल के मुताबिक माहे शाबान 45 हिजरी में मदीना मुनव्वरा के अंदर हुई। वफात के वक्त आप रोजे से थीं। उस वक्त मदीने का गवर्नर मरवान बिन हकम था। उसने नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई। अलविदा कहने वालों में आम सहाबा किराम के अलावा हज़रत अबू सईद खुदरी रदियल्लाहु तआला अन्हु और हदीस नबवी के सबसे बड़े हाफिज हज़रत सैयदना अबू हुरैरह रदियल्लाहु तआला अन्हु भी थे। आपको मदीना मुनव्वरा के मशहूद कब्रिस्तान जन्नतुल बकीअ में सुपुर्दे खाक किया गया। तदफीन के लिए हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा के दो भाई हज़रत अब्दुल्लाह और हज़रत आसिम रदियल्लाहु अन्हुमा भतीजों में से हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्दुल्लाह, हज़रत सालिम और हज़रत हम्ज़ा कब्र में उतरे और उनको सुपुर्दे खाक किया। वफात के वक्त आपकी उम्र 60 या 63 साल थी।

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