Gorakhpur : शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी दिलों पर राज करते हैं : उलमा किराम

















 

तुर्कमानपुर में जलसा


गोरखपुर। ग़ौसे आज़म हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमा की याद में मोहल्ला न्यू कॉलोनी चिंगी शहीद व तुर्कमानपुर तिराहे पर जलसा हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से जलसे की शुरुआत हुई। हम्द, नात व मनकबत पेश की गई।


युवा धर्मगुरु कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने कहा कि अगर हमें अपनी कौम को उन्नति के मार्ग पर ले जाना है तो इसके लिए बहुत जरूरी है कि नई नस्ल को पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, सहाबा किराम, अहले बैत व औलिया किराम की पाक ज़िंदगी के बारे में अधिक से अधिक बताया जाए। आज अगर मुसलमान इस्लाम के उसूल व क़ानून की पाबंदी करके सही मायने में मुसलमान बन जाएं तो दुनिया में जो लोग अभी इस्लाम धर्म की लज़्ज़त से नावाकिफ हैं वह सब इस्लाम धर्म के दामन से जुड़ जायेंगे। नेक बनें एक बनें। शिक्षा हासिल करें। शरीअत की पाबंदी करें। पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पाक ज़िंदगी इंसानियत के लिए एक बेहतरीन मिसाल है, जिससे पूरी दुनिया एक अच्छी और मिसाली ज़िंदगी गुजारने का सबक हासिल करती रही है। दुनिया मोमिन के लिए कैदखाना है। दुनिया जी लगाने की नहीं, इबरत की जगह है। मुसलमानों को हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी के नक्शे-कदम पर चलना चाहिए। 


उन्होंने कहा कि मुसलमान नमाज़, रोज़ा, हज, जकात के साथ मां-बाप, भाई-बहन, रिश्तेदारों, पड़ोसियों और आम इंसानों का हक़ सही तरीके से अदा करें। किसी का दिल न दुखाएं। इस दौर में पीरी मुरीदी कारोबार बनती जा रही लिहाज़ा फर्जी सूफियों व पीरों से सावधान रहें। पीर वही अच्छा है जो खुद भी शरीअत का पाबंद हो और मुरीदों को भी शरीअत पर चलाए।


विशिष्ट वक्ता मौलाना सेराज अहमद चिश्ती ने कहा कि हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमा अल्लाह को चाहने वाले, अल्लाह की याद में अपनी ज़िंदगी गुजारने वाले, अल्लाह की रज़ा के काम करने वाले, अल्लाह की नाराजगी के कामों से दूर रहने वाले, इल्मो-अमल, तकवा परहेजगारी की एक मिसाल थे। आप अल्लाह के महबूब बंदे हैं, आपको अल्लाह ने बहुत रूहानी ताकत अता फ़रमाई है। आप मुसलमानों के दिलों पर राज़ करते हैं।


अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। जलसे में रेयाज अहमद राईन, जलालुद्दीन, महताब अहमद, मनोव्वर अहमद, उबैद रज़वी, सोहराब, सेराज, नूर आलम, मुफ्ती मुनव्वर रज़ा, मुफ्ती मेराज, हाफिज अशरफ रज़ा, मुफ्ती अजहर, रहमत अली, सरफराज, मो. अफरोज, सलीम अहमद, रेहान रज़ा, शाकिब रज़ा, मौलाना असलम, अली हम्ज़ा, रमज़ान अली सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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