उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा सफ़िया रदियल्लाहु तआला अन्हा :ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" The Noble wife of the Holy Prophet, A Heart of Gold, extremely spiritual, Genius : Hazrat Safiya bint-e-Huyayy Radi'Allahu Anha - Part - 11 Great Women of Islam : हज़रते सफ़िया बिन्ते हुय्य रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 11


 


उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा सफ़िया रदियल्लाहु तआला अन्हा


शिफा खातून 

पार्ट टाइम आलिमा कोर्स 

मदरसा रज़ा ए मुस्तफा, तुर्कमानपुर गोरखपुर। 


आपका नाम सफ़िया है यह भी कहा गया है कि पहले आप आपका नाम ज़ैनब था फिर जब क़ैदी होकर आईं और हुज़ूर पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने इन्हें अपने लिए चुन लिया तो आपको सफ़िया कहा जाने लगा। 


आपके वालिद का नाम हय्य बिन अख़्तब और वालिदा का नाम ज़ेरौ बिन्ते समवाल है। 


हज़रते सफ़िया हज़रते हारून बिन इमरान की औलाद में से हैं। आपका ताल्लुक नूर वाले मदीना के एक यहूदी कबीले बनी नज़ीर से था। आप रदियल्लाहु तआला अन्हा की विलादत हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के एलाने नबुव्वत के तीन साल बाद हुई। 


आपका पहला निकाल सलाम बिन मिश्कम कुरज़ी से हुआ था। जब उसने तलाक दिया तो किनाना बिन अबू हकीक के निकाह में आईं। जो अबू राफे ताजिर ए हुज्जाज और रईस ए खैबर का भतीजा था। गज़वा-ए-खैबर में किनाना कत्ल किया गया। आपके बाप भाई मारे गए और खुद गिरफ्तार हुईं। 


जब तमाम कैदी जीत के बाद जमा किए गए तो हज़रत दहिया कल्बी  रदियल्लाहु तआला अन्हु ने रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम से एक कनीज़ की दरख्वास्त की। आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने इजाज़त दी कि जो चाहो पंसद कर लो। उन्होंने हज़रते सफ़िया रदियल्लाहु तआला अन्हा को चुन

लिया। 


एक सहाबी रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर हुए और अर्ज़ की कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम बनी कुरैज़ा व बनी नज़ीर की शहज़ादी दहिया कल्बी के हवाले कर दी। वह तो आप के सिवाए किसी और के लाइक नहीं। मकसद यह था कि रईस ए अरब के साथ आम कैदियों सा सुलूक न रखा जाए। लिहाज़ा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने हज़रत दहिया कल्बी से फरमाया सफ़िया के अलावा किसी और कनीज़ को अपने लिए चुन लो।


रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने हज़रते सफ़िया को आज़ाद किया। उनसे निकाह फरमाया। आप रदियल्लाहु तआला अन्हा हज्जतुल विदा'अ में रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम के साथ शरीके हज हुईं। 


हज़रते सफ़िया को इस निकाह की खुशख़बरी पहले ही मिल गई थी। रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रते सफ़िया के चेहरे पर कुछ निशान देखे तो पूछा कि सफ़िया यह निशान कैसा है ? उन्होंने बताया कि मैं अपना सर किनाना बिन अबू हकीक की गोद में रखकर सो गई। मैंने ख्वाब में देखा कि एक चांद मेरी गोद में उतर आया है। जब मैंने यह बात अपने शौहर किनाना बिन अबू हकीक को बताई तो उसने मुझे थप्पड़ मारा और कहा कि तुम मदीने के बादशाह की आरज़ूमंद हो। 


उम्महातुल मोमिनीन अपने घरों में रहते हुए भी समाज में पैदा होने वाले हर तरह के सियासी और इज्तेमाई दीनी, तालीमी व तरबियती मसाइल की भरपूर समझ रखती थीं। उन मसाइल  के हल करने में अपना रोल अदा करतीं। आप दुनिया की अक़्लमंद औरतों में से हैं। इल्म व फज़्ल का पैकर और बहुत समझदार थीं। 


हज़रते सफ़िया सदका व खैरात में इतनी आगे थीं कि अपने साथ बुराई चाहने वालों को भी सखावत व मुहब्बत का सबूत देतीं। दुनिया की लालच ज़रा भी दिल में न थी लिहाज़ा इंतक़ाल के वक्त उन्होंने कोई माल व अस्बाब नहीं छोड़ा बल्कि अपनी वफात से पहले सब सदका कर दिया।


हदीस की किताबों में हज़रते सफ़िया रदियल्लाहु तआला अन्हा से 10 हदीसें रिवायत हैं। जिनमें से एक बुखारी शरीफ़ व मुस्लिम शरीफ़ दोनों में है और बाकी नौ दूसरी किताबों में दर्ज है। जिन्होंने आपसे अहादीस रिवायत की हैं उनमें हज़रत इमाम जैनुल आबेदीन बिन हुसैन जैसी अज़ीम हस्ती भी शामिल है।


जब आप रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम से कोई हदीस सुनती थीं और उसमें कोई शक व शुब्हा नज़र आता हो उसकी वजाहत (Explanation) तलब करती थीं। हज़रते सफ़िया ने जिस तरह से रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम से इल्म हासिल किया था उसी तरह मौका पड़ने पर खुद लोगों को तालीम दिया करती थीं।


ज़ाहिरी सूरत के साथ हज़रते सफ़िया सीरत के लिहाज़ से भी बहुत मशहूर थीं। आप बहुत नेक अख़लाक वाली, सब्र व तहम्मुल की ज़बरदस्त चट्टान और हर किस्म का लज़ीज़ खाना पकाने में महारत रखती थीं। रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम को आपके हाथ का खाना बहुत पसंद था इसीलिए जो पकातीं रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम की बारगाह में जरूर पेश करतीं।


आप रदियल्लाहु तआला अन्हा का इंतक़ाल रमज़ान के मुबारक महीने 50 हिजरी में हुआ। और मदीना मुनव्वरा के जन्नतुल बकीअ कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक हुईं। उस वक्त आपकी उम्र 60 साल थी।

-----------

आपका नाम सफ़िया है यह भी कहा गया है कि पहले आप आपका नाम ज़ैनब था फिर जब क़ैदी होकर आईं और हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इन्हें अपने लिए मुंतखब फरमाया तो सफ़िया कहा जाने लगा। आपके वालिद का नाम हुय्य बिन अख़्तब और वालिदा का नाम जर्रा बिन्ते समौईल है। हज़रते सफ़िया बनी इस्राईल में से हज़रते हारून बिन इमरान की औलाद में से हैं। हज़रत सफ़िया का ताल्लुक मदीना मुनव्वरा के एक यहूदी कबीले बनू नुजैर से था। जब आपका हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से निकाह हुआ उस वक्त आपकी उम्र 17 साल थी और चूंकि यह साल हिजरी का वाकया है लिहाज इस एतबार से आपकी विलादत हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के एलाने नबुव्वत के तकरीबन दो साल बनती है। 


आपका पहला निकाल सल्लाम बिन मिश्कम कुरजी से हुआ था। जब उसने तलाक दिया तो कनाना बिन अबिल हुकैक के निकाह में आईं। जो अबू राफे ताजिर हुज्जाज और रईस खैबर का भतीजा था। गजवा-ए-खैबर में कनाना कत्ल किया गया। आपके बाप भाई मारे गए और खुद गिरफ्तार हुईं। जब तमाम कैदी फतह के बाद जमा किए गए तो हज़रत दिह्या कल्बी रदियल्लाहु तआला अन्हु ने रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से एक कनीज़ की दरख्वास्त की। आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इजाजत दी जो चाहो पंसद कर लो। उन्होंने हज़रते सफ़िया रदियल्लाहु तआला अन्हा को मुंतखब कर लिया। एक सहाबी रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाजिर हुए और अर्ज की कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम बनू कुरैज़ा व बनू नुज़ैर की शहजादी दिह्या कल्बी के हवाले कर दी। वह तो आप के सिवाए किसी और के लाइक नहीं। हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रत दिह्या कल्बी से फरमाया सफ़िया के अलावा किसी और कनीज़ को अपने लिए मुंतखब कर लो।


रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के निकाह में : रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रते सफ़िया को आजाद किया और उनसे निकाह फरमाया। हज्जतुल विदाअ में रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के साथ शरीके हज हुईं। हज़रते सफ़िया को इस निकाह की खुशख़बरी पहले ही मिल गई थी जैसा कि बिलाजरी ने लिखा है कि रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रते सफ़िया के चेहरे पर कुछ निशान देखा तो पूछा कि सफ़िया यह निशान कैसा है तो उन्होंने बताया कि मैं अपना सर कनाना बिन अबिल हुकैक की गोद में रखकर सो गई, मैंने ख्वाब में देखा कि एक चांद मेरी गोद में उतर आया है, जब मैंने ये बात अपने शौहर कनाना बिन अबिल हुकैक को बताई तो उसने मुझे थप्पड़ मारा और कहा कि तुम मदीने के बादशाह की आरजूमंद हो। 


सियासी और समाजी मसाइल के हल में आपका किरदार : उम्महातुल मोमिनीन अपने घरों में रहते हुए भी समाज में पैदा होने वाले हर तरह के सियासी और इज्तेमाई दीनी तालीमी व तरबियती मसाइल की भरपूर समझ रखती थीं और उन मसाइल के हल करने में अपना रोल अदा करती थीं। आप दुनिया की अक्लमंद औरतों में थीं। इल्म व फज़्ल का पैकर और बहुत समझदार थीं। 


हज़रते सफ़िया सदका व खैरात में इतनी आम थी कि अपने साथा बुराई चाहने वालों पर भी सखावत व मुहब्बत का सबूत देती थीं। हज़रते सफ़िया इतनी बड़ी जाहिदा थी कि इंतकाल के वक्त उन्होंने कोई माल व अस्बाब नहीं छोड़ा, बल्कि अपनी वफात से पहले सब सदका कर दिया, जैसा कि इब्ने सअद ने जिर्क किया है कि उनके पास एक मकान था, तो उनको भी अपनी ज़िंदगी ही में सदका कर दिया।


हज़रत सफ़िया ने इल्म किससे हासिल किया : कुतुबे हदीस में हज़रते सफ़िया रदियल्लाहु तआला अन्हा से बहुत सी हदीसें मरवी हैं। जिनकी तादाद दस है। जिनमें से एक बुखारी शरीफ़ व मुस्लिम शरीफ़ दोनों में है और  बाकी नव दीगर किताबों में दर्ज है। जिन्होंने आपसे अहादीस रिवायत की हैं उनमें हज़रत इमाम जैनुल आबेदीन बिन हुसैन जैसी अज़ीम हस्ती भी शमिल हैं। जब आप रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से कोई हदीस सुनती थीं और उसमें कोई शक व शुब्ह नज़र आता हो उसकी वजाहत (वाजे) तलब करती थीं। हज़रते सफ़िया ने जिस तरह से रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से इल्म हासिल किया था उसी तरह मौका पड़ने पर खुद लोगों को तालीम दिया करती थीं।


हज़रत सफ़िया का अख़लाक : सीरते जाहिरी के साथ हज़रते सफ़िया सीरत के लिहाज से बहुत मशहूर थीं। आप बहुत नेक अख़लाक थीं। सब्र व तहम्मुल की जबरदस्त चट्टान थीं। हर किस्म का लज़ीज़ खाना पकाने में महारत थी। रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को आपके हाथ का खाना बहुत पसंद था इसीलिए जो पकातीं बारगाहे रिसालत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम में जरूर पेश करतीं।


विसाल : हज़रते सफ़िया का इंतकाल माहे रमज़ान 50 हिजरी में हुआ। और मदीना मुनव्वरा के जन्नतुल बकीअ कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक हुईं। उस वक्त आपकी उम्र 60 साल थी।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*गोरखपुर में डोमिनगढ़ सल्तनत थी जिसे राजा चंद्र सेन ने नेस्तोनाबूद किया*

*गोरखपुर में शहीदों और वलियों के मजार बेशुमार*

जकात व फित्रा अलर्ट जरुर जानें : साढे़ सात तोला सोना पर ₹ 6418, साढ़े बावन तोला चांदी पर ₹ 616 जकात, सदका-ए-फित्र ₹ 40