12 रबीउल अव्वल पूरी दुनिया के लिए रहमतों बरकत
गोरखपुर। मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के मुफ्ती अख्तर हुसैन अजहर मन्ननी ने कहा कि पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम 20 अप्रैल सन् 521 ई. को अरब की धरती मक्का शरीफ में पैदा हुए। हुई। हर साल अरबी की 12 तारीख को उनके जन्म दिन की खुशियां मनायी जाती है। झंडे लगाये जाते है। जुलूस निकाला जाता है। सलातो सलाम की सदाएं हर जुंबा से निकलती है। मिठाईयों बांटी जाती है। जगह-जगह मिलाद की महफिल कायम की जाती है। मुसलमानों से गुजारिश है कि शरीयत के दायरे में रहते हुए खुशी मनाये, झंडे लगाए, जुलूस निकाले। लेकिन ढोल ताशा और पटाखों वगैरह से परहेज करें। किसी तरह का ऐसा काम जिससे किसी को परेशानी महसूस हो परहेज करे। खुशियों को फैलाये। कोई गरीब, परेशान हाल मिले तो मदद करे। बीमार की तीमारदारी करे। ईद मिलादुन्नबी के दिन खूब नेकियों को फैलाये। खुराफात से महफूज रहे।
सूफी निसार अहमद ने कहा कि पैगम्बर मुहम्मद साहब ने अपने चाल-चलन, मुहब्बत, भाईचारगी, अम्नों शंति, अमानतदारी, वादा वफाई की वजह से उन्होंने सबका दिल जीत लिया। 40 वर्ष की आयु में उन्होंने अल्लाह के हुकूम पर नबी व रसूल होने का ऐलान किया। उनकी खूबियों को देखकर लोग उनसे जान से भी ज्यादा मुहब्बत करने लगे। उन्होंने लोगों को अंधेरे से निकाला। लोगों के सामने मां बाप की बड़ाई को पेश करते हुए फरमाया कि मां और बाप जन्नत है जो इनको खुश रखेगा अल्लाह उसको जन्नत अता फरमायेगा। बेटियों के बारे में फरमाया बेटियां रहमत है यह अपने मां बाप को जन्नत दिलायेंगी।
रहमतनगर स्थित जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अली अहमद ने कहा कि कमजोरों पर जुल्म ना करो और औरतों की इज्जत करों। उनको सताओं नहीं। मजदूरों पर उनके ताकत से ज्यादा बोझ न लादो और ना ही ताकत से ज्यादा काम लो। उनकी मजदूरी बिला परेशान कि पसीना सुखने से पहले अदा करो। हर बड़े का अदब करो।
गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद ने कहा कि पैगम्बर मुहम्मद साहब ने फरमाया कि पड़ोसियों के साथ मुहब्बत से रहो। उनके खुशी गम में बराबर के शरीक रहो। छोटों से मुहब्बत करो। आपस में मुहब्बत से रहो। लड़ाई झगड़े से दूर रहो। जुबान से गंदी बातें ना निकालों। गाली न दो। वादा खिलाफी ना करो। हमेशा सच बोलों। झूट से दूर रहो।
इन्हीं सब चीजों का आप पैगम्बर मुहम्मद साहब पूरी जिदंगी सबक देते रहे।
मोमिन अंसार सभा के जिलाध्यक्ष वसीम अंसारी ने कहा कि पैगम्बर मुहम्मद साहब खुद लड़ाई झगड़े से दूर रहे और दूर रहने का हुकूम दिए । मुहब्बत की फिजा कायम की। आज उनको बुरा कहा जा रहा है। हालांकि हर मजहब के पेशवा ने पैगम्बर मुहम्मद साहब की तारीफ की है। जो लोग तौहीन अलफाज बयां कर रहे हैं वह बेअक्ल है। जो लोग उनको बुरा कहते आप उनको दुआएं देते। यही खुबियां थी कि थोड़े से ही वक्त में इस्लाम की आवाज चारों तरफ गूंजने लगी और इस्लाम पैगम्बर मुहम्मद साहब की रहमत, बरकत और मुहब्बत की वजह से चारों ओर फैल गया।
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