माॅरिशस की हुकूमत ने फतावा रजविया का अंग्रेजी अनुवाद करवा कर अपने कोर्ट मंे इस्लामिक लाॅ के मुताल्लिक फैसले के लिए बतौर सुबूत रखवाया
आला हजरत ने इस्लाम और सुन्नत की सही तफसीर पेश की: मौलाना अलाउद्दीन
आला हजरत का 97वां उर्स-ए-पाक मनाया गया
सरकार से गुस्ताखे रसूल पर सख्त कार्यवायी की मंाग
गोरखपुर। आला हजरत इमाम अहमद रजा रहमतुल्लाह अलैह का 97वां उर्स-ए-पाक शहर में अकीदत के साथ मनाया गया। इस मौके पर दारूल उलूम अहले सुन्नत मजहरूल उलूम घोषीपुरवां में मौलाना अलाउद्दीन मिस्बाही ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि ‘‘ आला हजरत का इस्लामी शरीयत के कवानीन पर मुस्तमिल फतावा रजविया जो हनफी फिक्ह का सबसे अजीम इंसाइक्लोपीडिया है। इसी नाते है। आज माॅरिशस में सारे इस्लामी फैसले इसी किताब की रोशनी में होते है।
उन्होंने कहा कि आला हजरत का जिक्र करते हुए कहा कि हम इश्क-ए-रसूल की बात करते है और पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम की गुस्ताखी करने वालों की मजम्मत करते है। हिन्दु महासभा के अध्यक्ष के बयान निंदनीय है। हुकूमत से हम मांग करते है कि उन पर और सख्त धाराएं लगाते हुए उम्र कैद की सजा दी जाएं ताकि फिर कोई दूसरा इस तरह की हरकत ना कर सकें। पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम के गुस्ताख के साथ किसी किस्म की कोई रियायत नहीं की जानी चाहिए। अगर लोग इसी तरह गुस्ताखियों का मिजाज बना लेंगे तो सारे मजहबों के पेशवाओं की इज्जत आबरू नीलाम हो जायेगी। मुल्क की जम्हूरियत का तमाशा बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि आला हजरत ने इस्लाम और सुन्नत की सही तफसीर पेश की। बानिए इस्लाम पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम की पूरी शरीयत की अच्छी तफसीर फरमायी। जिससे पूरी दुनिया में आला हजरत को इस्लाम के सच्चे आलिमेदीन के तौर पर जाना गया।
इससे पहले कार्यक्रम की शुरूआत मौलाना अंसारूल हक ने कुरआन पाक की तिलावत से की। नात शरीफ खुर्शीद अहमद, इम्तियाज, एजाज अहमद, गुलाम जिलानी, रमजान, अंसारूल हक, मोहम्मद आजाद, अहमद रजा ने पेश की। इसके बाद मदीना मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल्लाह बरकाती ने आला हजरत की जिदंगी पर तकरीर पेश की। अध्यक्षता हाजी बारकल्लाह ने व सरपरस्ती सैयद मोहम्मद मोहतशिम अली कबीर ने की। संचालन कारी रईसुल कादरी ने किया। इस मौके पर दरगाह मुबारक खां शहीद के मुतवल्ली इकरार अहमद, मौलाना अब्दुर्र रब, मोईनुद्दीन, अशरफ अली, सैयद सदफ, अब्दुल जब्बार, हाफीज अब्दुर रहीम, मौलाना जाहिद, मंटू, कारी नियाज अहमद, मौलाना मकबूल हाफीज अयूब, मास्टर खुशीद, हाफीज शाकिर अली आदि मौजूद रहें।
मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया में मनाया गया उर्स-ए-रजवी
गोरखपुर। दीवान बाजार स्थित मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार में आला हजरत का उर्स मनाया गया। इस मौके पर मौलाना इदरीश ने कहा कि आला हजरत इमाम अहमद रजा खां दीन-ए-इस्लाम के बहुत बड़े मोहद्दसि और आलिम गुजरे हैं। चैदह साल की उम्र से ही फतवा लिखना और लोगों को इस्लाम का सही पैगाम पहंुचाना शुरू कर दिया पूरी उम्र दीन की खिदमत में गुजारी। रसूले पाक अलैहिस्सलाम से आपको सच्ची मुहब्बत और गहरा इश्क आपका सबसे अजीम सरमाया था। उलेमा अरब व अजम सबने आप की इल्मी लियाकत को तस्लीम किया। और हिन्दुस्तान के उलेमा ने उनकी दीनी खिदमत और इल्मी ज्ञान देखकर मुजद्दीद करार दिया। आप ने 54 उलूम में एक हजार से ज्यादा किताबें लिखीं।
मौलवी अली रजा ने कहा कि आला हजरत की मशहूर किताब फतावा रजविया शरीफ है जो मौजूदा वक्त में तसरीह करने के बाद 30 जिल्दों में छपकर आई है जो पचासों हजारत सफाहत पर मुस्तमिल है।
मौलाना फिरोज अहमद ने कहा कि आला हजरत के साहबजादे मुस्तफा रजा खां अलैहिर्ररहमा जिनको दुनिया मुफ्ती आजम हिंद के नाम से जानती है। उन्होंने अपनी पूरी जिदंगी दीने इस्लाम के लिए वक्फ कर दी। आला हजरत का पूरा खानवादा इस्लाम की तरक्की में लगा रहा। मौलान कलीमुल्लाह ने भी आला हजरत के इल्मी लियाकत पर रोशनी डाली। अध्यक्षता मदरसे के प्रधानाचार्य हाफीज नजरे आलम कादरी ने किया। संचालन सद्दाम हुसैन ने किया। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत तिलावत कुरआन पाक से हाफीज मिनहाजुद्दीन ने की। नात शरीफ हाफीज रहमत अली, इमामुद्दीन, हसनैन रजा ने प्रस्तुत की। आखिर में कुल शरीफ की रस्म अदा कर दुआ मांगी गयी। सलातो सलाम पढ़ा गया। इस दौरान मोहम्मद नसीम खान, मोहम्मद कासिम, रियाज अहमद, नवेद आलम, मोहम्मद आजम, अबु अहमद, सूफी निसार अहमद, महमूद रजा हिमायतुल्लाह, कासिम, अबुल हसन , गौसे आलम, बदरे आलम आदि मौजूद रहे।
इसी क्रम में नार्मल स्थित हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमा के आस्ताने पर उर्स-ए-आला हजरत मनाया गया। आस्ताने पर कुरआन ख्वानी, नात ख्वानी व तकरीरी प्रोग्राम का आयोजन किया। इस मौके मौलाना मकबूल अहमद, मौलाना मकसूद, कारी शराफत हुसैन कादरी , सेराज अहमद, रहे।
तुर्कमानपुर स्थित नूरी मस्जिद में बाद नमाज जोहर कुल शरीफ का आयोजन हुआ। मौलान मकबूल व मौलाना असलम कादरी ने तकरीर पेश की। इस दौरान अशरफ, अलाउद्दीन, शाबान सहित तमाम अकीदतमंद लोग शामिल है।
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