राजनेता का जमावड़ा लगा
बरेली। उर्स-ए-रजवी के मौके पर इस बार सभी राजनैतिक पार्टियों की ओर से दरगाह पर चादरें पेश की गई। जब कि मुख्य मंत्री अखिलेश यादव की ओर से सुब्हानी मियां को पत्र भी भेजा गया है।
इसमें प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री, विधान परिषद दल के नेता नसीब पठान, अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष सय्यद खुर्शीद, विधायक संजय कपूर, बरेली मंडल प्रभारी यूसुफ कुरैशी के साथ पूर्व सांसद प्रवीन सिंह ऐरन, प्रदेश महासचिव अजय शुक्ला, जिलाध्यक्ष रामदेव पांडेय, महानगर अध्यक्ष चौधरी असलम मियां आदि ने मदार पर चादर पेश किया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से सपा विधायक अताउर्रहमान ने दरगाह आला हजरत पहुंचकर चादरपोशी की और दरगाह आला हजरत के प्रमुख सुब्हानी मियां को सीएम का पत्र सौंपा। कार्यक्रम में सपा जिलाध्यक्ष वीरपाल सिंह यादव, कदीर अहमद, सूरज यादव, नसीम अख्तर, दीपक शर्मा, हरीशंकर यादव, रईस मियां आदि मौजूद थे।
दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल और उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत की ओर से भी दरगाह पर चादर पेश की गई। इसे पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रईस खां लेकर पहुंचे थे। वह सज्जादानशीन मौलाना अहसन मियां से भी मिले। इसी तरह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की ओर से भी चादर पेश की गई। यह चादर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव शेख फिरोज नूरी ने मजार पर पेश किया। इसके अलावा बसपा के राष्ट्रीय महासचिव नसीम उद्दीन सिद्दीकी ने चादर भिजवाई थी। इसे पूरनपुर के विधायक अरशद खां के साथ मंडल कोआर्डिनेटर बृह्मस्वरूप सागर व जिलाध्यक्ष रमेश सागर दरगाह लेकर पहुंचे थे।
सोनिया, अखिलेश, केजरीवाल, गडकरी, नसीम उद्दीन की ओर से आई चादर
2017 की उम्मीदों को लेकर चढ़ी सियासी चादरें
महबूब आलम
बरेली। मिशन 2017 उत्तर प्रदेश के चुनाव के मद्देनजर सभी राजनैतिक दलों के छोटे से लेकर बड़े नेताओं का आला हजरत दरगाह में जमावड़ा रहा। अपनी-अपनी सत्ता जमाने को खास तौर से मुस्लिम वोटों को रिझाने के लिए राजनैतिक संगठन उनके बीच पहुंचे ।
यहां उर्स-ए-रजवी के मौके पर कई पार्टियों के मुखिया की ओर से चादर का पेश किया जाना भी इसी नजरिये से देखा जा रहा है। पिछली बार उर्स के मौके पर राजनीतिक दलों की मौजूदगी ना के बराबर थी ।
इस बार तो एक ही दिन में सियासी चादरों की झड़ी लग गई। इसमें खास तौर से कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी, मुख्य मंत्री अखिलेश यादव, दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल और बसपा के प्रमुख नेता नसीम उद्दीन सिद्दीकी की ओर से आला हजरत की मजार पर चादर पेश करने के लिए भेजी गई। यहां तक कि भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी की ओर से भी चादर पेश की गई। इसमें सोनिया गांधी की ओर से चादर लेकर तो कांग्रेस के कई बड़े नेता यहां लेकर आए।
इतना ही नहीं शहर पर नजर डाले तो तमाम पार्टी नेताओं के बैनर, पोस्टर व स्वागत द्वार भी हर सड़क पर चमक रहे हैं। जो जायरीन के स्वागत में लगाए गए हैं। इस बार गौर करने वाली बात यह है कि शहर में लगे सपा से होर्डिंग बैनर में नगर विकास मंत्री आजम खां को ज्यादा तरजीह दी गई। इसमें सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और मुख्य मंत्री अखिलेश सिंह यादव के फोटो भले ऊपर लगाए गए हों मगर आजम खां फोटो काफी बड़ा लगाया गया है। यह सारी बातें खास तौर से मुस्लिमों का ध्यान आकर्षित करने का साफ संके त देती हैं।
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*जब शेख सनाउल्लाह आये राजा को पकड़ने* *राजा चंद्र सेन ने रामगढ़ताल के किनारे दुर्ग (किला) बनवाया था* गोरखपुर-परिक्षेत्र का इतिहास के लेखक डा. दानपाल सिंह लिखते हैं कि मध्यगुम के आरम्भ में रोहिणी व राप्ती नदी के मध्यवर्ती द्वीप स्थल पर डोमिनगढ़ की स्थापना हुई। सन् 1210 - 1226 ई. में राजा चन्द्र सेन ने डोमिनगढ़ राज्य पर विजय प्राप्त की। उस समय तक गोरखपुर शहर नहीं बसा था। डोमिनगढ़ सतासी राज्य का समीपवर्ती एक प्रमुख नगर एवं गढ़ था। राजा चन्द्रसेन ने डोमिनगढ़ पर आक्रमण किया। डोमिनगढ़ का किला बहुत मजबूत और प्राकृतिक साधनों द्वारा पूर्ण सुरक्षित था। डोमकटार पहले से संशाकित थे, उन्होंने पर्याप्त सैनिक तैयारी भी कर ली थी। किले में महीनों खाने-पीने की सामग्री रख ली गयी थी। डोमकटारों ने कई दिनों तक जमकर युद्ध किया। पराजय नजदीक देखकर डोमकटार राजा सुरक्षात्मक मुद्रा में आ गया तथा अपने बचे हुए सैनिकों के साथ किले के अंदर फाटक बंद कर बैठ गया। राजा चन्द्रसेन ने किले को ध्वस्त करने की आज्ञा दे दी। देखते ही देखते सतासी राज के सैनिकों (राजा चन्द्रसेन) ने दुर्गम किले को ध्वस्त कर दिया तथा उसमें छिप...
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