गोरखपुर में ज्यादातर वक्फ संपत्तियों पर है अवैध कब्जा

 


गोरखपुर। जिले में मौजूद वक्फ की संपत्तियों पर अवैध कब्जेदार सालों से कब्जा जमाए बैठे हुए हैं। 


इस साल फरवरी माह में डीएम कृष्णा करुणेश ने एसडीएम सदर को वक्फ कब्रिस्तान की जमीन का चिन्हांकन कर अवैध कब्जा हटाने के निर्देश दिए थे। एसडीएम को भेजे गए पत्र में उन्होंने लिखा था कि वक्फ कब्रिस्तान भैंसा खाना के मुतवल्ली नूरुल हक ने कमिश्नर से इसकी शिकायत की थी। उनके आदेश के क्रम में वक्फ संख्या 1377 और 172 कब्रिस्तान भैंसा खाना तुर्कमानपुर का चिन्हांकन करने के साथ अवैध कब्जा हटाने के निर्देश दिए थे। जिला प्रशासन ने कुछ साल पहले भी वक्फ संख्या 172 की जमीन का सीमांकन कर अवैध अतिक्रमण हटाया था। 


मिली जानकारी के अनुसार वक्फ के लिए दान की गई संपत्तियों का भी समय बीतने के साथ बैनामा होता गया। शहर में बड़ी संख्या में ऐसी जमीन पर कई मकान बन गए हैं। ऐसे मकान भी हैं जहां लोग दो से तीन पीढ़ियों से रह रहे हैं। तहसील में तथ्य छिपाकर ऐसी जमीन के बैनामे किए गए। आज स्थिति यह है कि वक्फनामे के आधार पर अल्पसंख्यक विभाग वक्फ की संपत्ति होने की बात तो कह सकता है, लेकिन राजस्व से जुड़े कोई अभिलेख उनके पास नहीं हैं।


बताते चलें कि अवध के नवाब आसिफुद्दौला ने 18वीं शताब्दी में किए वक्फनामे में 'मुकम्मल मियां बाजार' लिखकर संपत्ति दान की थी। इसका मतलब हुआ कि संपूर्ण मियां बाजार वक्फ में था, लेकिन कालांतर में यहां की जमीन बिकती गई और दूसरे लोगों के नाम दर्ज होते गए। इस मोहल्ले में वक्फ के नाम पर इमामबाड़ा व कुछ अन्य संपत्तियां बची हैं। दूसरी जगहों पर विधिक रूप से अन्य लोग निवास कर रहे हैं।


इसी तरह डोमिनगढ़ में भी 39 एकड़ जमीन वक्फ में दर्ज है, लेकिन वहां भी मौके की स्थिति पूरी तरह से बदली हुई नजर आती है। कई मकान बन चुके हैं और सबके नाम भी राजस्व अभिलेखों में दर्ज हैं। बहरामपुर का मामला समय-समय पर प्रकाश में आता रहता है। 


गोरखपुर में वक्फ की कुल 1446 संपत्तियां हैं। इसमें से 1444 संपत्ति सुन्नी वक्फ की है। केवल दो संपत्ति शिया वक्फ की है। इनका संचालन दो तरह से किया जा रहा है। एक में वक्फनामा करने वाले लोगों की पीढ़ियां ही समिति बनाकर संचालन करती हैं, तो दूसरे में कोई भी समिति संचालन कर सकती है।


जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की तरफ से जो भी जांच कराई गई है, उसमें देखने को मिल रहा है कि 70 प्रतिशत वक्फ की संपत्तियों पर अवैध कब्जेदार काबिज हैं। अधिकतर संपत्तियां 19वीं शताब्दी में लोगों को दान में दी गई थी जिस पर अन्य लोग भी आज काबिज हैं, जिसके कागजात में छेड़छाड़ और कब्ज़दारी देखने को मिल रही है। समय-समय पर ऐसी संपत्तियों को बेचने या उस पर कब्जे को लेकर प्रशासन को शिकायत भी मिलती है। तहसील प्रशासन के स्तर से इसकी जांच होती है और अवैध कब्जदारों को खाली भी कराया जाता है लेकिन अब यह एक बड़ी समस्या बन गई है। जो परिणाम देखने को मिल रहा है उसमें यह बात निकलकर आ रही है कि, अधिकतर हिस्से पर जो वक्फ में मिली संपत्ति है उस पर निर्माण हो चुका है। राजस्व अभिलेखों में वक्फ से हटकर किसी और का नाम दर्ज हो गया है जिससे यह जमीन कई बार बिकती भी रही है। इससे जुड़े सभी अभिलेख उर्दू में हैं। मौजूदा समय में कई स्कूल भी वक्फ की संपत्ति पर संचालित हो रहे हैं। बेतियाहाता से लेकर उर्दू बाजार, घंटाघर और मियां बाजार में ऐसी संपत्तियों की संख्या ज्यादा है। कई संपत्तियां व्यावसायिक उपयोग में भी लाई जा रही हैं। विभाग वक्फ की संपत्तियों की निगरानी कर रह है। संपत्तियों पर अवैध कब्जे की शिकायत की जांच हो रही है तो उसे खाली भी कराया जा रहा है। अगर सही तरह से कार्रवाई हो तो कुछ संपत्तियां प्रशासन के कब्जे में भी आ सकती हैं।


वक्फ संपत्तियों का अवैध कब्जा मुक्त करने के लिए प्रदेश सरकार ने जनवरी 2021 में सूची तैयार करने और अभियान चलाने का आदेश जारी किया था। जिला प्रशासन की ओर से बाकायदा कमेटी गठित कर अवैध कब्जे वाली वक्फ संपत्तियों की सूची तैयार कराई गई थी। फरवरी के दूसरे पखवाड़े में अभियान शुरू हुआ। प्रशासन ने बेतियाहाता स्थित कब्रिस्तान को कब्जा मुक्त भी कराया था। अभिलेखों में वक्फ कब्रिस्तान के रूप में दर्ज इस .7 एकड़ की बेशकीमती संपत्ति पर लोगों ने कब्जा कर अस्थायी दुकान, मकान बना रखे थे। तेलगढ़िया, तुर्कमानपुर, बेतियाहाता में भी टीम ने कब्जा हटवाया था। अभियान शुरू हुआ था कि कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप बढ़ने लगा था। इस पर अभियान स्थगित कर दिया गया था। 


सहायक सर्वे कमिश्नर वक्फ कार्यालय के अनुसार जनवरी-फरवरी 2021 में हुए सर्वे में शहर में सात बड़ी वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे पाए गए थे। इनमें 45 बीघा वक्फ संपत्ति का मामला वक्फ बोर्ड में विचाराधीन है।


वक्फ संख्या 172 : कब्रिस्तान तेलगढ़िया तुर्कमानपुर-बेतियाहाता। कब्रिस्तान भू अभिलेखों में अंकित है। इस जमीन पर लोगों ने कमान, दुकान आदि बनवा लिए हैं।  


वक्फ संख्या 67 : इमामबाड़ा इस्टेट, मियां बाजार। मुतवल्ली के मुताबिक इमामबाड़ा की संपत्ति मोहद्दीपुर, बक्शीपुर, मुफ्तीपुर, मियां बाजार, कुसम्ही, बहरामपुर, रामनगर करजहां, ताजपिपरा, मुडेरीगढ़वा, पिपराईच, जंगल अहमद अली शाह उर्फ तुरा में अवैध कब्जा है।


वक्फ संख्या 1377 : कब्रिस्तान भैंसा खाना तुर्कमानपुर। कब्रिस्तान के कुछ भूखंडों पर अवैध अतिक्रमण है।


वक्फ संख्या 137 : मस्जिद दीवान बाजार। इस मस्जिद की जमीन पर अतिक्रमण है मस्जिद का कुछ हिस्सा खंडहर में तब्दील हो चुका है।  


वक्फ संख्या 63 : वक्फ मीर सज्जाद अली, दीवान बाजार। इस वक्फ संपत्ति पर कई लोगों का अवैध कब्जा व अतिक्रमण है।

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