अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु तअ़ाला अन्हु दूसरे ख़लीफा
नाम - उमर
कुन्नियत - अबू हफ़्स
लक़ब - फ़ारूक़
वालिद - ख़त्ताब बिन नुफ़ैल
वालिदा - हनतमा बिन्त हाशिम
हज़रत उमर रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हु दूसरे ख़लीफ़ा और अशरा-ए मुबश्शरा से हैं। तारीख़े इस्लाम में यही एक ज़ात है जिसके लिये आक़ाए दोजहाँ सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम ने मुसलमान होने के लिये दुअ़ा फ़रमाई और जिसके बारे में हुज़ूर सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः ‘‘अगर नुबुव्वत का दरवाज़ा बन्द न होता तो मेरे बाद उमर नबी होते।’’
हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हु ने ख़िलाफ़त के काम सुपुर्द करने के लिये हज़रत अब्दुर रहमान बिन औफ़, हज़रत उसमाने ग़नी, हज़रत सईद बिन ज़ैद, हज़रत उसैद और दूसरे अन्सार और मुहाजिरीन से मशवरा तलब फ़रमाया तो सभी ने यही कहा कि आपके बाद सबसे बेहतर हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हु हैं, इस तरह आप ने हज़रत उमर रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हु को अपना ख़लीफ़ा और जानशीन मुक़र्रर फ़रमाया।
चुनाँचि जब लोगों को मालूम हुआ तो लोगों में इस तरह की चेमीगोइयाँ शुरू होने लगीं कि हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हु ने हमारे ऊपर एक ऐसा आदमी मुसल्लत कर दिया जो सबसे ज़्यादा सख़्त मिज़ाज है, यह तो हमें उस वक़्त नहीं बख़्शते थे जब्कि हमारे दर्मियान नबी-ए करीम सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम थे, फिर उनके बाद हमारे वाली हज़रत अबू बक्र थे, अब तो यह ख़लीफ़ा नामज़द हो गये और सारे काम इनसे मुतअ़ल्लिक़ हो गये, लिहाज़ा अन्दाज़ा करो कि अब उनके तशद्दुद और सख़्त मिज़ाजी का कैसा आलम होगा। इस तरह सारे लोग आप से मरऊब हो गये। आपको जब लोगों के ख़ौफ़ का पता चला तो आप ने सबको बुलाकर एक ख़ुतबा दिया जिसमें आप ने फ़रमायाः ‘‘बिला शुबह अब मैं ख़लीफ़ा नामज़द हो गया हूँ और सुनो अब मेरी शिद्दत दोगुनी हो गई है मगर यह उसके लिये है जो मुसलमानों पर ज़ुल्मो ज़्यादती करे, क़सम ख़ुदा की मैं ऐसे ज़ालिम को ज़मीन पर लिटाकर एक रुख़सार ज़मीन पर और एक रुख़सार क़दम के नीचे उस वक़्त तक रखुँगा जब तक कि वह हक़ कुबूल न कर ले और हाँ सुनो मैं मुसलमानों के लिये मोम से ज़्यादा नरम हो गया हूँ।’’
आपके दौरे ख़िलाफ़त में बहुत सारे इलाक़े फ़तह हुये, जिसमें इराक़, ईरान, शाम, मिस्र, जज़ीरा, दयारे बक्र, आरमीनिया, आज़रबाईजान, फ़ारिस के शहर और ख़ुज़िस्तान वगै़रह शामिल हैं।
हज़रत उमर रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हु न बारगाहे ख़ुदावन्दी में दुअ़ा की थी कि ऐ अल्लाह! मुझे दरजा-ए शहादत और दयारे हबीब में मौत अता फ़रमा।
26 ज़िल्हिज्जा 24 हिजरी को आप फ़ज्र की नमाज़ के लिये मस्जिदे नबवी पहुँचे, इमामत के लिये मुसल्ले पर आये और मामूल की तरह सफ़ सीधी करने का हुक्म दिया इतने में हज़रत मुग़ीरा बिन शोबा का ईरानी ग़ुलाम अबू लूलुऊ फिरोज़ आपके पीछे सफ़ में आकर ख़ड़ा हो गया और तकबीरे तहरीमा शुरू होते ही उसने आप पर दो धारी खन्जर से ऐसा वार किया कि आप ज़मीन पर गिर गये। कुछ लोग अबू लूलुऊ को पकड़ने को दौडे़ तो उसने 12-13 आदमियों को ज़ख़्मी करके खुदकुशी कर ली। बक़िया नमाज़ हज़रत अब्दुल रहमान बिन औफ़ ने पूरी की।
जब सूरज नमूदार हुआ तो हज़रत उमर रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हु को होश आया और आप ने हमलावर के बारे में पूछा। अबू लूलुऊ फ़िरोज़ का नाम बताया गया। आख़िर में आप ने साहबज़ादे हज़रत अब्दुल्लाह को उम्मुलमोमिनीन हज़रत आइशा सिद्दीक़ा रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हा के पास यह कहकर भिजवाया कि मुझे अपने दोस्तों के पहलू में दफ़न होने की तमन्ना है इसके लिये इजाज़त तलब करते हैं। हज़रत आइशा सिद्दीक़ा रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हा ने फ़रमाया कि यह ख़्वाहिश तो मेरी भी थी कि मैं हुज़ूर के पहलू में दफ़न हूँ मगर मैं अपनी ज़ात पर उमर को तरजीह देती हूँ। जवाब मिलने पर आप बेहद खुश हुये और शुक्रे इलाही बजा लाये।
शहादत - 1 मुहर्रमुल हराम 24 हिजरी में आपका विसाल हुआ, हज़रत सुहेब रूमी रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हु ने आपकी नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और आप अपने दोस्तों के मुबारक पहलू में दफ़न हुये।
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