इमाम हुसैन व कर्बला के शहीदों की याद में मना चेहल्लुम




गोरखपुर। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के प्यारे नवासे हज़रत सैयदना इमाम हुसैन व कर्बला के शहीदों का चेहल्लुम सोमवार को शहर में अकीदत, एहतराम व सादगी के साथ मनाया गया।


अकीदतमंदों ने अपने-अपने तरीके से हज़रत सैयदना इमाम हुसैन व कर्बला के शहीदों को खिराजे अकीदत पेश किया। महफिल व मजलिसों में जिक्रे इमाम हुसैन और दीन-ए-इस्लाम के लिए दी गई उनकी क़ुर्बानी को याद कर लोग ग़मगीन हो गए। कई जगह जिक्रे शहीद-ए-कर्बला की महफिल में अहले बैत के फजाइल बयान हुए।


मस्जिदों, घरों व इमाम चौकों पर इसाले सवाब के लिए क़ुरआन ख्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी हुई। घरों में शर्बत व मलीदा पर भी फातिहा ख़्वानी की गई। जाफ़रा बाज़ार स्थित कर्बला पर अकीदतमंद फातिहा पढ़ते नज़र आए। हज़रत सैयदना इमाम हुसैन और उनके साथियों के वसीले से मुल्क में तरक्की, अमनो शांति, भाईचारे की दुआ मांगी गई। अकीदतमंदों ने घरों में क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत की। अल्लाह व रसूल का जिक्र किया। दरूदो सलाम का विर्द किया। पूरा दिन जिक्रे इमाम हुसैन और उनके साथियों की क़ुर्बानियों की याद में गुजरा। कई मुहल्लों से चेहल्लुम के जुलूस अकीदत के साथ निकले।


नायब काजी मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी ने बताया कि दसवीं मुहर्रम को हज़रत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत हुई। इमाम हुसैन का मकसद दुनिया को दिखाना था कि अगर इंसान सच्चाई की राह पर साबित कदम रहे और सहनशीलता का दामन न छोड़े तो उसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है। आज इमाम हुसैन व कर्बला के शहीदों को पूरी दुनिया याद कर रही है वहीं जालिम यजीद की हुकूमत का नामोनिशान तक बाकी नहीं है।

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