अमीरुल मोमिनीन हज़रत उस्माने ग़नी रदियल्लाहु तअ़ाला अन्हु तीसरे खलीफा


नाम - उस्मान

कुन्नियत - अबू अब्दुल्लाह व अबू उमर

लक़ब - जु़न्नुरैन और ग़नी

वालिद - अफ़्फ़ान बिन अबुल आस

वालिदा - अरदी

हज़रत उसमाने ग़नी रदियल्लाहु तअ़ाल अन्हु वही लिखने वाले, हुज़ूर सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम के दामाद, तीसरे ख़लीफ़ा और अशरा-ए मुबश्शरा में से हैं।

हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हु की दावत पर आप ने इस्लाम क़ुबूल फ़रमाया। जब आपके इस्लाम की ख़बर अहले ख़ानदान को मिली तो सब नाराज़ हो गये यहाँ तक कि आपके चचा हकम बिन आस ने आपको रस्सियों से बाँध कर इस तरह मारा कि आप लहू लुहान और बेहोश हो गये, मगर इसके बावुजूद आपके पाये इस्तिक़लाल में कोई लग़ज़िश नहीं आयी और आप ने चचा को जवाब दिया कि मेरे जिस्म के आप टुकड़े टुकड़े कर सकते हैं मगर दिल में जो शमा रौशन है उसे बुझा नहीं सकते। जवाब सुनकर चचा ने आपको अपने हाल पर छोड़ दिया।

पूरी काइनात में कोई ऐसी ज़ात नहीं जिसके निकाह में हुज़ूर सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम की दो साहबज़ादियाँ आईं हों सिवाये हज़रत उसमाने ग़नी रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हु के, कि आपके निकाह में हुज़ूर सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम की दो साहबज़ादियाँ एक के बाद एक निकाह में आईं।

जब आप इस्लाम लाये तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम ने अपनी साहबज़ादी हज़रत रुक़य्या रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हा को आपके निकाह में दिया, उनके विसाल के बाद आक़ाए दोजहाँ सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम ने अपनी दूसरी साहबज़ादी हज़रत सय्यदा उम्मे कुल्सुम रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हा को आपके निकाह में दे दिया और जब उनका भी विसाल हो गया तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम ने फ़रमया कि अगर मेरी तीसरी साहबज़ादी होती तो उसको भी उसमाने ग़नी के अक़्द में दे देता।

आपके जज़बा-ए दीन, सख़ावत और अल्लाह की राह में ख़र्च करने के अनगिनत वाक़िअ़ात आज भी तारीख़ में दर्ज हैं जैसे जंगे तबूक़ के मौक़े पर आप ने सरकारे दोअ़ालम सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम की तरग़ीब पर राहे ख़ुदा में एक हज़ार ऊँट साज़ो सामान के साथ और एक हज़ार दीनार सदक़ा किया।

मदीना मुनव्वरा में मुसलमानों के लिये पानी की बहुत बड़ी दुशवारी थी, सिर्फ़ एक कुआँ बेरे रूमा के नाम से था, जिसका मालिक यहूदी था उससे 12 हज़ार दिरहम में ख़रीद कर मुसलमानों के लिये वक़्फ़ किया।

बुख़ारी शरीफ़ में है-- हज़रत तलहा रदि अल्लल्लाहु तअ़ाला अन्हु से रिवायत है कि आक़ाए करीम सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया हर नबी का एक रफ़ीक़ है और मेरा रफ़ीक़ यानी जन्नत में उसमान इब्ने अफ़्फ़ान है।

विसालः- हज़रत उसमाने ग़नी रदि अल्लल्लाहु तअ़ाला अन्हु ने ख़्वाब देखा कि आक़ाए करीम सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम और हज़रत अबू बक्र और हज़रत उमर रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हुमा तशरीफ़ फ़रमा हैं हुज़ूर सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः उसमान जल्दी करो हम तुम्हारे इफ़तार के मुनतज़िर हैं। दूसरी रिवायात में इस तरह है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः उसमान आज जुमा हमारे साथ पढ़ना। बेदार हुये तो आप को शहादत का यक़ीन हो गया, लिहाज़ा लिबास बदल कर कुऱ्आन शरीफ़ की तिलावत में मशग़ूल हो गये। इधर बलवाइयांे ने इतना ज़बरदस्त हमला कर दिया कि चालीस रोज़ मुहासिरा करने के बाद मुहाफ़िज़ीन ;हिफ़ाज़त करने वालोंद्ध को ज़ख़्मी करते हुये घर के अन्दर दाख़िल हो गये और हज़रत उसमाने ग़नी रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हु की पेशानी पर इस कद्र ज़ोर से लोहे की सलाख़ मारी कि आप ज़मीन पर गिर गये फिर ऐसी तेज़ ज़र्ब लगाई कि ख़ून का फ़व्वारा जारी हो गया और इस तरह हज़रत उसमाने ग़नी रदि अल्लाहु तअ़ाला अन्हु 18 ज़िल्हिज्जा 35 हिजरी बरोज़ जुमा को शहादत का जाम नोश  फ़रमा गये।

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