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जनवरी, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गोरखपुर-बस्ती मंडल की चार सीटों से हर बार जीतते मुस्लिम उम्मीदवार

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। बसपा व सपा में मुस्लिम उम्मीदवार खड़े करने की होड़ मची हुई हैं। पिछले तीन चुनाव की अगर बात करें तो यहां  कि 41  सीटों में 4 मुस्लिम उम्मीदवार जरुर जीतते हैं। डुमरियागंज सीट पर तो हर बार मुस्लिम उम्मीदवार जीतता हैं इसीलिए तो ओवैसी व पीस पार्टी की इस सीट पर खास नजर हैं। इस फेहरिस्त में खलीलाबाद, रामपुर कारखाना, मेंहदावल को भी शुमार किया जा सकता है। सपा की पिछली जारी लिस्ट के मुताबिक  चार  मुस्लिम उम्मीदवारों पर ही भरोसा जताया गया हैं। जिसमें दो तो पार्टी के और एक दल बदल कर आने वाले विधायक शामिल हैं। मुस्लिम उम्मीदवार में डुमरियागंज से मलिक कमाल युसुफ, पथरदेवा से शाकिर अली, फाजिलनगर से इलियास अली व रामपुर कारखाना से गजाला लारी शामिल है।  वहीं सपा से बढ़कर बसपा ने दोनों मंडलों में सात मुसलमानों को मौका दिया हैं । पिपराईच से आफताब आलम, पडरौना से जावेद इकबाल, नौतनवां से एजाज अहमद खान, शोहरतगढ़ से मोहम्मद जमील सिद्दीकी, इटवा से अरशद खुर्शीद, डुमरियागंज से सैयदा खातून, खलीलाबाद से मशहूर आलम चौधरी को टिकट दिया गया हैं। कांग्रेस के टिकट कतार में...

खजनी विधानसभा : भाजपा पर सीट बरकरार रखने का दबाव

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। खजनी विधानसभा सुरक्षित सीट पर भाजपा का कब्जा हैं। वर्ष 2012 में भाजपा से संत प्रसाद जीते और एक बार फिर मैदान में है। पार्टी ने भले ही उन पर भरोसा जताया है लेकिन आखिरी फैसला जनता का होगा। टिकट मिलने से पहले उनके टिकट कटने के कयास लगाये जा रहे थे। यहां सपा व बसपा से कड़ी टक्कर मिल रही हैं।  पूर्व में खजनी क्षेत्र बांसगांव विधानसभा रही जो परिसीमन के बाद खजनी विधानसभा बनी। वर्ष 2009 में परिसीमन के पश्चात् बांसगांव विधानसभा का क्षेत्र बंटकर दूसरी तरफ हो गया और धुरियापार विधानसभा का अस्तित्व समाप्त होकर खजनी विधानसभा बन गया। धुरियापार विस ( अब खजनी विस) में बसपा का वर्चस्व रहा। बसपा वर्ष 20021996/93 में लगातार तीन बार जीती। सपा पूर्व जिलाध्यक्ष मोहसिन खान वर्ष 1993 में बसपा के टिकट से ही जीत हासिल किए।  वर्ष 2007 में यह सीट सपा के खाते में चली गयी । नये परिसीमन में भाजपा के कब्जे में हैं। इस सीट पर मारकंडे चंद ने हैट्रिक जीत हासिल करते  हुए (1996/91/89/80) चार बार जीत हासिल की। इस चुनाव में बसपा ने राजकुमार को उतारा हैं।वहीं सपा ने रुपावती बेलदार...

रहमते आलम सम्मेलन 4 फरवरी को

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गोरखपुर। कादरिया मस्जिद असुरन (भेड़ियागढ़) बशारतपुर में 4 फरवरी को रात्रि 9.30 बजे रहमते आलम सम्मेलन का आयोजन किया गया हैं। जिसमें अलजामियतुल अशरफिया अरबी  यूनिवर्सिटी मुबारपुर के मौलाना मसऊद अहमद व गाजीपुर के कारी जकीउल्लाह मुख्य वक्ता होंगे। नात शरीफ हाजी मेराज तरन्नुम व कारी अंसारुल हक पेश करेंगे। संचालन मौलाना अली अहमद शाद बस्तवी करेंगे। ----------

जश्ने गौसुलवरा 23, 24, 25 को

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37 वां अजीमुश्शान  जलसा 24 को गोरखपुर। रेती स्थित मदीना मस्जिद के निकट होटल मून लाइट कैंपस में अख्तर आलम की जानिब से 37वां जश्ने गौसुलवरा जलसा 24 जनवरी को रात्रि 9.30 बजे होगा। जिसमें तकरीर सिद्धार्थनगर के मौलाना शब्बीर अहमद कादरी व मौलाना अयाज अहमद की होगी। नात रईस अनवर, शम्शाद लखनवीं पेश करेंगे। सरपरस्ती हाजी अनवर आलम व संचालन मौलाना अली अहमद शाद बस्तवी का होगा।  ---------------------------------- बनकटीचक व बक्शीपुर में जलसा 25 को गोरखपुर। मकबरे वाली मस्जिद बनकटी चक में कादरी कमेटी की जानिब से 25 जनवरी को रात्रि 10 बजे जश्ने गौसे पाक होगा।जिसमें इलाहाबाद के मौलाना सैयद हसनैन मियां चिश्ती व मऊ के मौलाना तहरीर आलम चतर्वेदी मुख्य अतिथि होंगे। इसी क्रम में बक्शीपुर स्थित चिश्तिया मस्जिद के निकट जश्ने गौसुलवरा का आयोजन किया जा रहा हैं। जिसमें घोषी के मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी खिताब करेंगे। ------------------- रायगंज में जश्ने गौसुलवरा 23 को गोरखपुर। रायगंज में 23 जनवरी को जश्ने गौसुलवरा रात्रि 9.30 बजे आयोजित हैं। जिसमें मुफ्ती शमशाद अहमद की तकरीर होगी। नात शरीफ म...

जश्न-ए-गौसुलवरा व लंगरे आम 27 को

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गोरखपुर। मोहल्ला इलाहीबाग आगा मस्जिद के निकट स्थित मोहम्मद खुर्शीद आलम के निवास स्थान पर 27 जनवरी रात्रि 9 बजे भव्य जश्न-ए-गौसुल वरा व लंगरे आम का आयोजन किया जा रहा हैं। यह जानकारी मौलाना अफजल बरकाती ने दी हैं।उन्होंने बताया कि प्रोग्राम में कुशीनगर के मौलाना मोहम्मद कमरुद्दीन व संतकबीर के मौलाना अमानुल्लाह बरकाती तकरीर पेश करेंगे। नात संतकबीरनगर के अमीर हम्जा प्रस्तुत करेंगे।अध्यक्षता मौलाना फैजुल्लाह कादरी व संचालन मौलाना अफजल बरकाती का होगा। इस दौरान मुफ्ती मोहम्मद नूर आलम निजामी, मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही भी मौजूद रहेंगे। तिलावत मोहसिन रजा करेंगे। -----------------------------

खतीबे यूरोप व अमेरिका मौलाना मसऊद 24 को गोरखपुर में करेंगे तकरीर

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जश्न-ए-गौसुलवरा का भव्य जलसा 24 को गोरखपुर। ग्यारहवीं शरीफ के मौके पर 24 जनवरी को अली अहमद राईन निकट पोस्ट आफिस चिंगी शहीद तकुर्मानपुर में रात्रि 8.30 बजे भव्य जश्न-ए-गौसुलवरा बनाम इस्लाहे माअशरा कांफ्रेंस जलसा होगा। यह जानकारी इंजीनियर सेराज अहमद ने दी हैं। जिसमें खतीबे यूरोप व एशिया अलजामियतुल अशरफिया अरबी यूनिवर्सिटी  मुबाकरपुर के मौलाना मसऊद अहमद व खानकाह सिराहौज संडीला शरीफ के सज्जादानशीन सैयद मोहम्मद लईक मुख्य अतिथि होंगे। नात शरीफ टांडा के मुमताज  व संतकबीरनगर के अमीर हम्जा   पेश करेंगे।अध्यक्षता कारी नियाज अहमद व संचालन मौलाना मकसूद आलम का होगा। -------------------------------

गोरखपुर : साउथ अफ्रीका के प्रो. अफरोज का खिताब 6 फरवरी को

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गोरखपुर। तंजीम कारवाने अहले सुन्नत के तत्वावधान 6 फरवरी को रात्रि 9.30 बजे तुर्कमानपुर तिराहे पर इस्लाहे उम्मत सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा हैं। जिसमें द लास यूनिवर्सिटी केपटाउन साउथ अफ्रीका के प्रोफेसर अल्लामा मोहम्मद अफरोज कादरी व जामिया शम्सुल उलूम घोषी के मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी संबोधित करेंगे। नात शरीफ गुजरात के मौलाना सैयद सलमान रजा व हेसामुद्दीन पेश करेंगे। अध्यक्षता मुफ्ती अख्तर हुसैन व संचालन घोषी के मुफ्ती मोहम्मद शादाब अमजदी करेंगे। इसके अलावा मुफ्ती खुर्शीद अहमद, मौलाना मोहम्मद असलम, हाफिज व कारी मोहम्मद अबुजर नियाजी भी शिरकत करेंगे। यह जानकारी कार्यक्रम संयोजक मनौव्वर अहमद ने दी हैं। ------------------------ -------

कैंपियरगंज विधानसभा : दो परिवारों के बीच राजनीतिक वर्चस्व की जंग

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गोरखपुर। विधानसभा कैंपियरगंज में दो परिवारों के बीच राजनीतिक वर्चस्व की जंग लम्बे अरसे से चल रही हैं। एक बसपा समर्थित सरकार में कभी मंत्री हुआ करते थे  अब भाजपा में हैं । दूसरे का पूरा परिवार सपा का समर्थित सिपाही हैं। लड़ाई उन्हीं दोनों के बीच हुई और अबकी भी हैं। पिछले चुनाव में  फर्क सिर्फ इतना था कि मंत्री बसपा के टिकट पर नहीं बल्कि एनसीपी के टिकट पर लड़े और जीत दर्ज करा लीं। फतेह बहादुर सिंह का करीबी कभी सपा प्रत्याशी चिंता यादव का परिवार था। राजनीतिर महत्वाकांक्षा बढ़ी तो दोनों परिवारों में दूरी बढ़ गयी। इस बीच सपा प्रत्याशी चिंता यादव जिला पंचायत अध्यक्ष बनी। जब बसपा की सरकार आई तो फतेहबाहादुर मंत्री बन गए। जिला पंचायत अध्यक्ष के विरुद्ध जांच शुरु हो गई । उन्हें तीन बार कुर्सी से हटाया गया। कहा जाता था कि इसके पीछे मंत्री का हाथ था। लेकिन अध्यक्ष के ससुर सत्यनारायण यादव गणित के अध्यापक रहे थे। गणित के माहिर यादव अध्यक्ष के विरुद्घ बिछने वाली हर गोट को टाल देते थे।इस बीच जब लोकायुक्त की जांच का दौर चला तो मास्टर साहब ने वन मंत्री के वहां लोकायुक्त की शिकायत कर दी।मामला ...

सहजनवां विधान सभा : निर्दल से लेकर हर दल को दिया मौका

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- बदलाव पसंद हैं यहां की जनता सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। सहजनवां विधान सभा की जनता बदलाव पसंद हैं। हर दल को आजमाती हैं।  निर्दल से लेकर हर दल को मौका दिया हैं। यहां से बसपा, कांग्रेस, जनता दल, भाजपा, सपा सबने जीत का स्वाद चखा हैं। मिली जुली आबादी वाले इस  क्षेत्र में रावत परिवार का दबदबा हैं।  यहां से साइकिल की सवारी पर चुनाव लड़ रहे यशपाल रावत जब किसी दल से टिकट नहीं मिलता तो निर्दल ही चुनाव मैदान में उतर जाते हैं। वर्ष 2007 में तो निर्दल चुनाव जीत भी गए थे। वर्ष 2012 में भी निर्दल ही लड़े लेकिन तीसरे नम्बर पर रहें। वर्ष 2002 में सपा की सवारी कर लड़े लेकिन दूसरा स्थान हासिल कर सके।  बसपा का इस सीट पर कब्जा हैं। वर्ष 1996 के बाद भाजपा व वर्ष 1985 के  बाद कांग्रेस यह सीट फतह नहीं कर सकीं। वर्ष 1993 के बाद सपा की साइकिल भी नहीं चली यहां। निर्दल और बसपा के बीच कांटे की टक्कर हुई। जिसमें दो बार बसपा व एक बार निर्दल ने जीत हासिल की। पिछले बार के चुनाव में पीस पार्टी ने ठीक-ठाक सेंध लगाते हुए 16225 मत हासिल कर सबकी गुणा-गणित बिगाड़ दी थीं। भाजपा दूसरे, सपा चौथे व का...

चौरी-चौरा विधानसभा क्षेत्र : जनता विकास के लिए करेगी वोट का वार

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर । नये परिसीमन में मुंडेरा से चौरी-चौरा विधान सभा के रुप अस्तित्व में आए इस क्षेत्र में पहली बार (वर्ष 2012) बसपा ने जीत हासिल की। इसी सीट (मुंडेरा बाजार) से शारदा देवी 5 बार जींती। कभी चमड़ा उद्योग के नाम से इस क्षेत्र की ख्याति दूर तक थी। लेकिन आज बुनियादी सुविधाएं बिजली,पानी,सड़क के लिए तरस रही हैं यहां की जनता। जंगे आजादी में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाला यह क्षेत्र आज उपेक्षित हैं। लम्बे समय तक शारदा देवी विधायिका रही। जनता ने पांच बार मौका दे दिया। लेकिन जनता ने पिछले चुनाव में अपना इरादा बदल दिया। जिससे बसपा का रास्ता हमवार हुआ।  यहां भाजपा, जेडी ने दो बार जीत हासिल की। कांग्रेस ने भी कई बार जीत हासिल की। इस बार बसपा ने तो पुराने महावत जय प्रकाश निषाद पर दोबारा भरोसा जताया हैं। क्षेत्र में साफ-सुथरी छवि रखने वाले काफी समय से प्रचार-प्रसार में लग हुए हैं। वहीं भाजपा व कांग्रेस में टिकट चाहने वालों की लम्बी फेहरिस्त हैं। सपा ने दो उम्मीदवार उतार कर कंफ्यूजन क्रियेट किया हैं। जिस पर जल्द फैसले की उम्मीद हैं। वर्ष 1996 के बाद भाजपा यहां कभी नहीं ...

चिल्लूपार विधानसभा : पुत्र के जरिए सीट वापस पाने की जद्दोजहद

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- बाहुबली की सीट पर पत्रकार ने लगायी थीं सेंध - हाथी की जीत से दोबारा मिल सकती खोई सीट गोरखपुर। चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र हमेशा सुर्खियों में नजर आया, विकास से नहीं अन्य वजहों से। इस बार भी नजर में हैं कई वजहों से। बसपा विधायक के दल बदलने से। इस सीट पर बाहुबली हरिशंकर तिवारी  के पुत्र विनय शंकर तिवारी के हाथी पर सवार होकर चुनाव लड़ने से। बाहुबली हरिशंकर तिवारी की 22 साल तक काबिज सीट पर पत्रकार से नेता बने राजेश त्रिपाठी ने ऐसी सेंध लगायी कि दस साल से उन्हीं के कब्जे में  हैं। राजेश त्रिपाठी ने जनता के समर्थन से अपराजेय समझे जाने वाले बाहुबली नेता को चुनाव में एक बार नहीं दो बार (2007/12) शिकस्त दी। पिछले चुनाव में हरिशंकर तिवारी के महावतों ने हाथी को रोकने की हर मुमकिन कोशिश की लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। लेकिन इस बार राजेश त्रिपाठी हाथी की सवारी पर नहीं हैं,  बल्कि हरिशंकर तिवारी के पुत्र विनय शंकर तिवारी हाथी की सवारी पर हैं। इस बार राजेश त्रिपाठी हैं तो भाजपा में लेकिन इस सीट पर भाजपा से दावेदार भी कई हैं। राजेश त्रिपाठी के अलावा भाजपा से विजय यादव, मायाशंकर शुक्ल...

गोरखपुर की सात सीट पर भाजपा में व नौ पर कांग्रेस में किच-किच

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गोरखपुर। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी में नौ सीटों के 120 दावेदार हैं। भाजपा में भी कुछ ऐसी ही स्थिति हैं। गोरखपुर में तो सीटों के लिए मारा-मारी है। सपा की दो सीटों में उहापोह की स्थिति बनी हुई हैं। वहीं सबसे ज्यादा परेशान कांग्रेस के लोग हैं। सपा से गठबंधन परवान चढ़ा तो गोरखपुर की नौ सीटों पर सपा मजबूती से लड़ने की स्थिति में हैं। ऐसे में कांग्रेस वाले स्पोर्टर की भूमिका में नजर आयेंगे, ऐसी पूरी उम्मीद हैं। कांग्रेस का रिकार्ड नौ सीटों पर कोई खास नहीं है। पूरी संभावना हैं टिकट के लिए लगे 120 लोगों के हाथ खाली रहें। दूसरे नम्बर पर भाजपा हैं। दो सीट गोरखपुर शहर व खजनी पर प्रत्याशी फाइनल हैं लेकिन सात सीटों पर दिक्कत हैं। तीन सीट पर दलबदलू परेशानी का सबब हैं। दो तो वर्तमान में विधायक भी हैं।  टिकट न पाने वाले कुछ के बागवत होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता हैं।  पार्टी से टिकट पाने के लिए सात सीटों पर भाजपा के तकरीबन 50 लोग लाइन में हैं। लेकिन तादाद कांग्रेसियों की ज्यादा हैं।इस वक्त फायदे में बसपा है उम्मीदवार भी घोषित हैं और प्रचार भी कर रहे हैं। 1. कैंपियरग...

स्वामी प्रसाद मौर्य के परिवारवाद की बेल परवान नहीं चढ़ी!

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गोरखपुर। कभी बसपा के कद्दावर नेता रहे पडरौना से विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य की चर्चा हैं। कभी टिकट को लेकर अपने नए ठोर भाजपा में नाराजगी को लेकर तो कभी सपा तो कभी  कांग्रेस में जाने की। लोग दावा करते हैं कि स्वामी प्रसाद  उस वर्ग की अगुवाई करते हैं जिसकी नाराजगी  40 से 50 सीटों को प्रभावित कर सकती हैं। हालंकि ऐसा नहीं हैं। पिछला चुनाव इसका अच्छा उदाहरण हैं। जब श्री मौर्य अपनी सीट तो जीत गए लेकिल अपने बेटी-बेटा की सीट न बचा सकें। अपनी राजनीतिक विरासत को कायम रखने के लिए अपने बेटे व बेटी को चुनावी समर में उतारने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे-बेटी को जनता नकार चुकी हैं। इसका गवाह पिछला  विस चुनाव हैं। उस समय श्री मौर्य के परिवारवाद की बेल परवान नहीं चढ़ पायी। लेकिन इस चुनाव में वह जी जान से जुटे हैं। बतातें चलें कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी पुरानी राजनीतिक जमीन अपनों के लिए छोड़ पडरौना चले आयें। रायबरेली की ऊंचाहार विस सीट उन्होंने अपने बेटे उत्कृष्ट मौर्य के लिए छोड़ दी। रायबरेली की जनता ने उत्कृष्ट को नकार दिया। सपा के मनोज पांडे ने उत्कृष्ट को हरा दिया। दूसरे...

गोरखपुर की छह सीटों पर चार से नौ प्रतिशत वोट तय करते हार जीत का फैसला

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। जनपद की नौ विधानसभा सीटों में छह सीटें ऐसी हैं जहां महज चार से नौ फीसदी वोट हार जीत का फैसला करते हैं। यह आकड़े कहते हैं। बसपा ने गोरखपुर से सर्वाधिक चार सीटें निकाली थी। भाजपा ने तीन, सपा व एनसीपी ने 1-1 सीट निकालने में कामयाब हुई थी। पिछले विस चुनाव में कैम्पियरगंज सीट पर एनसीपी के फतेह बहादुर सिंह ने सपा की चिंता यादव को 4.56 फीसद यानी 8958 वोटों से हराया था। सपा ने चिंता यादव पर दोबारा भरोसा जताया हैं वहीं भाजपा से फतेह बहादुर टिकट की उम्मीद लगाये हुए हैं। वहीं बसपा ने आनंद निषाद का टिकट काट उनकी पत्नी अर्चना निषाद को प्रत्याशी बनाया हैं। पीस पार्टी गठबंधन ने मोहम्मद मोईनुद्दीन उर्फ चांद भाई को टिकट दिया। बात करते हैं चिल्लूपार की तो यहां से बसपा के राजेश त्रिपाठी ने सपा के सीपी चंद को 5.57 फीसदी यानी 11153 वोटों से पराजित किया था। इस बार वर्तमान विधायक ने दल बदल लिया हैं। भाजपा से टिकट की आस हैं।वहीं सपा से राजेन्द्र सिंह पहलवान मैदान में हैं। बसपा ने विनय शंकर तिवारी को उतारा हैं वहीं तीसरे स्थान पर रही हरिशंकर तिवारी की पार्टी ने बसपा का समर्थन ...

पिपराइच : कांग्रेस को 1985 के बाद तो भाजपा को 1991 के बाद नहीं मिला जनता का साथ

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-पिपराइच विधानसभा क्षेत्र -1991 में सिर्फ एक बार खिला कमल -निर्दल ने लगातार तीन बार दर्ज की जीत सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। पिपराईच विधानसभा क्षेत्र में निषाद, सैथवार, मुस्लिम व यादव  वोटर बहुसंख्यक हैं। इस सीट पर किसी दल का कब्जा मुसलसल नहीं रहा हैं।  यहां वर्ष 1991 में भाजपा के लल्लन प्रसाद त्रिपाठी जीते थे। भाजपा को यहां की जनता ने केवल एक बार ही मौका दिया। वहीं कांग्रेस चार बार जीती। तीन बार निर्दल ने तो एक बार बसपा ने भी जीत हासिल की। यहां सीट कभी निर्दल तो कांग्रेस, बसपा, जेएनपी, जेडी, एसएसपी की हुई। यानी यहां की जनता बदलाव पसंद भी रही हैं।तभी तो सभी दलों को मौका दिया। पिछले  2011 से यह सीट सपा के पास हैं। पिछले चुनावों की बात करें तो पिपराइच में विगत दो बार से समाजवादी पार्टी निषाद- मुस्लिम और यादव के वोटों से चुनाव जीतती आ रही है और अभी भी ये सीट समाजवादी पार्टी के कब्जे में हैं। हालांकि सपा प्रत्याशी ने पिछली बार पति की मौत से उपजे सहानुभूति लहर का बेहतर उपयोग कर विजय हासिल की थी। शुरू से ही धनबल से चुनाव प्रभावित करने वाला क्षेत्र पिपराइच हमेशा सुर्खियों मे...

बांसगावं बसपा का मजबूत किला, पांचवीं बार जीतने का दबाव

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-चार बार मिल चुकी जीत, एक बार हैट्रिक जीत भी दर्ज बांसगांव (सु) विधानसभा क्षेत्र सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। बांसगांव विधान सभा क्षेत्र में बसपा लगातार तीन (2012/2007/2002) विस चुनाव में जीत दर्ज करती आ रही हैं। बसपा यहां से चार बार जीत दर्ज कर चुकी हैं। यह सीट बसपा के मजबूत किले के रुप में शुमार होती हैं।  वर्ष 2012 में कुछ हिस्सा कौड़ीराम विधान सभा और पुराने चिल्लूपार को मिला के बनी बांसगांव लोकसभा सीट सुरक्षित है। 2012 के विधान सभा के चुनाव में बसपा के उम्मीदवार डा. विजय कुमार यहां से विधायक निर्वाचित हुए। लेकिन बसपा ने उनका टिकट काटकर धर्मेंद्र कुमार को टिकट दिया हैं। विजय कुमार सपा की शारदा देवी को हरा के चुनाव जीत तो गए पर पांच साल तक जनता से दूर रहे। 2012 के चुनाव में भाजपा, बसपा, सपा और कांग्रेस सहित चारों उम्मीदवार बाहरी थे जिनका खुद बांसगांव विधानसभा से कोई ताल्लुक नहीं नहीं था। इस सीट पर बसपा ने चार बार, भाजपा ने तीन तो कांग्रेस पांच बार जीत हासिल कर चुकी हैं। वहीं एसएसपी ने तीन तो जेएनपी ने एक बार जीत हासिल की। कांग्रेस यहां 1985 में जीती थी। वहीं बीजेपी 1996 म...

योगी के गढ़ गोरखपुर में बसपा रही नं. 1 पार्टी

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-बसपा ने लगातार,  पिछले तीन विधानसभा चुनाव में हर बार नौ में चार सीटें हासिल की सैयद फरहान अहमद गोरखपुर । सांसद योगी आदित्यनाथ के गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर में बसपा लगातार तीन विधानसभा चुनावों से शानदार प्रदर्शन कर नम्बर एक पार्टी बनी हुई हैं । उप्र विधानसभा चुनाव वर्ष 2002, 2007 व वर्ष 2012 से बसपा लगातार चार सीटें हासिल कर रही है। वहीं भाजपा का तो वर्ष 2002 में तो खाता ही नहीं खुला था। अबकी चुनाव में बसपा ने  गोरखपुर की नौ सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिसमें दो विधायक शामिल हैं। बसपा बांसगांव (सु) व सहजनवां पर तो लगातार तीन बार से जीत रही हैं। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने कौड़ीराम (रामभुआल निषाद),  सहजनवां (जीएम सिंह), धुरियापार (जय प्रकाश यादव) व बांसगांव (सु) (सदल प्रसाद) से जीत हासिल की। बात करें वर्ष 2007 की तो बसपा ने कौड़ीराम (अम्बिका सिंह), चिल्लूपार (राजेश त्रपाठी), पिपराइच (जमुना निषाद) व बांसगांव (सदल प्रसाद) से जीत हासिल की। वहीं बसपा वर्ष 2012 के चुनाव में बांसगांव (सु) ( डा. विजय कुमार), चौरी-चौरा (जेपी निषाद), चिल्लूपार ( राज...

योगी के गढ़ गोरखपुर में बसपा रही नं. 1 पार्टी

-बसपा ने लगातार,  पिछले तीन विधानसभा चुनाव में हर बार नौ में चार सीटें हासिल की सैयद फरहान अहमद गोरखपुर । सांसद योगी आदित्यनाथ के गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर में बसपा लगातार तीन विधानसभा चुनावों से शानदार प्रदर्शन कर नम्बर एक पार्टी बनी हुई हैं । उप्र विधानसभा चुनाव वर्ष 2002, 2007 व वर्ष 2012 से बसपा लगातार चार सीटें हासिल कर रही है। वहीं भाजपा का तो वर्ष 2002 में तो खाता ही नहीं खुला था। अबकी चुनाव में बसपा ने  गोरखपुर की नौ सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिसमें दो विधायक शामिल हैं। बसपा बांसगांव (सु) व सहजनवां पर तो लगातार तीन बार से जीत रही हैं। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने कौड़ीराम (रामभुआल निषाद),  सहजनवां (जीएम सिंह), धुरियापार (जय प्रकाश यादव) व बांसगांव (सु) (सदल प्रसाद) से जीत हासिल की। बात करें वर्ष 2007 की तो बसपा ने कौड़ीराम (अम्बिका सिंह), चिल्लूपार (राजेश त्रपाठी), पिपराइच (जमुना निषाद) व बांसगांव (सदल प्रसाद) से जीत हासिल की। वहीं बसपा वर्ष 2012 के चुनाव में बांसगांव (सु) ( डा. विजय कुमार), चौरी-चौरा (जेपी निषाद), चिल्लूपार ( राज...

शहर में आज भी पतंगबाजी के दीवाने

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। आसमान में उड़ती रंग बिरंगी पतंगे सभी को आकर्षित करती हैं। आसमां में जिस तरह परवाज करते हुए परिंदे अच्छे लगते हैं उसी तरह पतंगे आसमान के नीचे विस्तार का श्रृंगार करता हैं। खाली समय के साथी पतंग को खुले आसमान में उड़ाने का शौक बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सिर चढ़कर बोलता हैं। शायद ही ऐसा कोई हो जिसने पतंग न उड़ायी हो। शहर में पतंग उड़ाने और बाजी लगाने का जबरदस्त क्रेज हैं। शनिवार को मकर संक्रान्ति के मौके पर जबरदस्त पतंगे उड़ेंगी। आईये जानते है शहर में कौन-कौन सी पतंगे मिलती हैं। कैसे होती हैं पतंगबाजी। कहां से आती हैं पतंग, मांझा व सद्दी। -पतंगबाजी के दीवाने कम नहीं  शहर के खोखरटोला, रहमतनगर, इस्माइलपुर, पिपरापुर, जाफारा बाजार, गाजी रौजा , नसीराबाद, खुनीपुर, बक्शीपुर, गोरखनाथ, हुमायूंपुर आदि मोहल्लों में पतंगबाजी आज भी होती हैं। बधी का प्रचलन हैं। जिसमें दो व्यक्तियों के बीच शर्त लगती हैं । लम्बी दूरी पर पतंग लड़ाई जाती हैं। इसमें बाजी लगती हैं। जिसकी पतंग कट जाती हैं उसे पैसा चुकाना पड़ता हैं। कम से कम सौ रुपए की बाजी लगती हैं। पतंग बाज दस हजार रुपए तक क...

इस्लाम इल्म, इंसाफ व औरतों के हक का अलमबरदार : मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी

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-ग्यारहवीं शरीफ आज  होगी नियाज फातिहा -पूर्व संध्या पर जामा मस्जिद उर्दू बाजार दर्जी पट्टी व मस्जिदे हसनैन घासीकटरा पर हुआ  जलसा गोरखपुर। इस्लामी कैलेंडर रविउल आखिर का माह शेख अब्दुल कादिर जिलानी रहमतुल्लाह अलैह बड़े पीर साहब की तरफ मंसूब है। खास कर ग्याहरवीं तारीख को शेख अब्दुल कादिर की नजरों-नियाज व फातिहा दिलायी जाती है। सोमवार के शाम से ही शहर में नजरों नियाज का सिलसिला शुरू हो गया।  कई जगह जलसों का आयोजन हुआ। जिसका सिलसिला पूरे माह तक चलता रहेगा। इस बार ग्यारहवीं शरीफ मंगलवार को है। जगह-जगह जश्न-ए-गौसुलवरा कार्यक्रम का आयोजन होगा। घरों में कुरआन ख्वानी व फातिहा ख्वानी होगी। लजीज व्यंजनों की फातिहा दिलायी जायेगी। दोस्त अहबाब के साथ गरीबों को खाना खिलाया जायेगा। जाफरा बाजार, खोखरटोला, खुनीपूर, नखास, तुर्कमानपुर सहित तमाम जगहों पर शीरीनी (प्रसाद) की दुकान सज चुकी है। खरीददारों का तांता लगा हुआ है। गौसिया कमेटी की जानिब से जामा मस्जिद उत्तरी फाटक दर्जी पट्टी उर्दू बाजार में जश्ने गौसुल आजम का जलसा हुआ। जिसमें इस्लामिक स्कॉलर मऊ के मौलाना मोहम्मद अजहर शम्सी न...

हयाते मंज़ूर सिर्फ किताब नहीं जिंदगी गुजारने का सलीका

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 विमोचन  गोरखपुर । मोहल्ला जाफरा बाजार के निकट मौजूद  मस्जिद के पूर्व इमाम मरहूम काज़ी मंज़ूर अहमद बड़ी शख्सियत के मालिक थे। जो सभी समुदाय के लोगो में प्यार बांटते थे । सब के दुख-सुख में शरीक होते और दुआ करते थे।हयाते मंजूर सिर्फ एक किताब नहीं जिंदगी का गुजारने का सलीका  हैं।  यह बातें शहर काजी वलीउल्लाह ने  इलाहीबाग ताज पैलेस में आयोजित हयाते मंजूर किताब के विमोचन के मौके पर कही। इस मौके पर मौलाना नसरुल्लाह ,हकीम जुनेद आलम ,डॉ दरखशा ताज्वर ,अब्दुल मालिक, मक़सूद अहमद, हाश्मी शिब्ली, आब्दी आरिफ , आब्दी काजमी, युसूफ वहाब आदि मौजूद रहे।

गोरखपुर में 206 किन्नर मतदाता करेंगे मतदान

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93 किन्नर मतदाता बढ़े तादाद 206 पहुंची विस चुनाव - 2017 सैयद फरहान अहमद गोरखपुर।  उप्र विधानसभा चुनाव के तहत गोरखपुर की नौ विस सीट के लिए 4 मार्च को मत पड़ेगें।प्रत्याशियों को अबकी किन्नरों के द्वार पर जाकर वोट की इल्तिजा करनी पड़ेगी। पिछली बार की तुलना में अबकी 206  किन्नर मतदान कर पायेंगे।  अबकी मतदाता सूची में 93 किन्नर बढ़े हैं। पिछले बार कुल 113 किन्नर मतदाता सूची में थे। सबसे ज्यादा किन्नर मतदाता गोरखपुर शहर में हैं इनकी तादाद 59 हैं जो पिछली बार की तुलना में 24 अधिक हैं। वहीं कैंपियरगंज में 22 किन्नर मतदाताओं का नाम सूची में हैं।पिछली बार यहां एक भी किन्नर का नाम सूची में नहीं था। वहीं पिपराइच में 35, गोरखपुर ग्रामीण में 23, सहजनवां में 18, चौरी चौरा में 26, बांसगांव में 17 किन्नर मतदाताओं का नाम सूची में दर्ज हैं। उक्त क्षेत्र में किन्नर मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ हैं। वहीं खजनी व चिल्लूपार में किन्नर मतदाताओं की संख्या में गिरावट आयी हैं। यहां अबकी बार 3-3 किन्नरों के नाम सूची में दर्ज हैं। जबकि पिछली बार यह संख्या क्रमश: 12 व 11 थी। कुल मिलाकर लोकतंत्र...

बसपा ने गोरखपु-बस्ती मंडल पर 7 मुस्लिम, 5 निषाद, 4 एमएलए को दिया मौका, सिर्फ 1 महिला पर जताया भरोसा

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👉गोरखपुर से प्रत्याशी -- कैंपियरगंज -- आनंद निषाद, पिपराइच -- आफताब आलम, गो. शहर -- जनार्दन चौधरी,  गो. देहात -- राजेश पांडे, सहजनवां -- जीएम सिंह, खजनी -- राजकुमार, चौरी-चौरा -- जेपी निषाद, बांसगांव -- धर्मेंद्र कुमार, चिल्लूपार -- विनय शंकर तिवारी सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। बसपा सुप्रीमों सुश्री मायावती ने रविवार को चौथी लिस्ट जारी कर गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर स्थिति साफ कर दी। आज जारी सूची के मुताबिक तीन मुसलमानों को मौका देने के साथ चार एमएलए पर दोबारा भरोसा जताया हैं। बसपा ने साफ कर दिया हैं कि मुस्लिम-दलित-ब्राहमण से चुनावी वैतरणी पार करनी हैं। बसपा ने दोनों मंडलों पर 7 मुसलमानों को मौका दिया हैं। पिपराईच से आफताब आलम, पडरौना से जावेद इकबाल, नौतनवां से एजाज अहमद खान, शोहरतगढ़ से मोहम्मद जमील सिद्दीकी, इटवा से अरशद खुर्शीद, डुमरियागंज से सैयदा खातून, खलीलाबाद से मशहूर आलम चौधरी को टिकट दिया गया हैं। वहीं 5 निषाद उम्मीदवार पर भी भरोसा जताया गया हैं।  बांसी से लालचंद निषाद, फरेंदा से बेचन निषाद, चौरी चौरा से विधायक जय प्रकाश निषाद, रुद्रपुर से चन्द्रिका निषाद, ...

तीन विधायकों के साथ छोड़ने से बढ़ी कांग्रेस की मुसीबत

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। 27 साल से पूर्वांचल खास कर गोरखपुर-बस्ती मंडल का क्षेत्र शिक्षा, बिजली, स्वास्थय, सड़क, भ्रष्टाचार, कानून, बेरोजगारी व गरीबी से जूझ रहा है। प्रदेश में कांग्रेस के शासन काल में ही विकास की गंगा चली थी। वह फिर देखने को नहीं मिली। इस बार उप्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नारा भी दिया है, 27 साल यूपी बेहाल। लेकिन उप्र विधानसभा चुनाव के नजरिये से देखें तो कांग्रेस 27 साल से वहीं खड़ी है जहां से सत्ता की बागडोर छूटी थी। पूर्वांचल के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव में गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों में गोरखपुर शहर से नरेन्द्र मणि, ग्रामीण से काजल निषाद, बांसगांव से निर्मला देवी के अलावा कोई भी उम्मीदवार दस हजार वोट भी नहीं जुटा सका था। यह खुदकिस्मती थी कि जितनी भी सीटें निकली वह नये परिसमीन की वजह से निकली चाहे वह बस्ती का रूद्धौली, महराजगंज का नौतनवां हो या कुशीनगर का खड्डा, तमकुहीराज हो। लेकिन जितने भी सीटिंग विधायक थे सब चुनाव हार गए थे। वर्ष 2007 के चुनाव में कांग्रेस ने 4 सीट हासिल की थीं। वहीं वर्ष 2012 के चुनाव में नये परिसीमन की वजह...

निषाद वोटरों पर राजनीतिक पार्टियों की पैनी निगाह

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विधानसभा चुनाव 2017 सैयद फरहान अहमद  गोरखपुर। गोरखपुर मंडल की सभी 28 विधानसभा क्षेत्रों में निषाद बिरादरी की मजबूत दखल है। पिछले साल आरक्षण की मांग को लेकर आवाज बुलंद करने वाले निषाद बिरादरी को सभी राजनीतिक दलों ने लुभाने की कोशिश की। कांग्रेस, सपा, बसपा, भाजपा सभी निषादों के हक को वाजिब करार देते है। इसकी एक बड़ी वजह 2017 का विधानसभा चुनाव है। निषाद वोट जीत की गुणा गणित में अहम भूमिका रखता है। गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा में कुल चार लाख वोटरों में करीब 50 हजार निषाद वोटर है। राजनीतिक दलों के आंकड़ों के मुताबिक मंडल में सर्वाधिक निषाद मतदाता गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में है। गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में निषादों की संख्या तीन से 3.50 लाख के बीच बताई जाती है। इसी क्रम में देवरिया में एक से सवा लाख, बांसगांव में डेढ़ से दो लाख, महराजगंज में सवा दो से ढाई लाख तथा पडरौना में भी ढाई से तीन लाख निषाद बिरादरी के मतदाता हैं। गोरखपुर मंडल में निषाद बिरादरी के मजबूत वोट बैंक को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों में दिग्गज चेहरे नजर आते है। जब कौड़ीराम विधान सभा क्षेत्र में गौरी देवी विधायक थीं और अप...

सपा पर पिपराइच सीट सुरक्षित रखने व 8 सीट पर बेहतर करने का दबाव

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-पिछले चुनाव में गोरखपुर की आठ विस सीटों  पर खस्ताहाल  थी स्थिति -गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की नौ विधानसभा सीटों पर सपा सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। उप्र विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। सपा में कलह कभी रुकती तो कभी तेज नजर अा रही हैं। लेकिन अभी तक समझौता नहीं हुआ हैं।  इस चुनाव में सपा की नजर गोरखपुर की नौ विधानसभा सीटों पर हैं। पिपराईच सीट सुरक्षित रखने का दबाव तो हैं ही आठ सीटों पर बेहतरीन करने का कोशिश भी रहेगी। अखिलेश गुट व शिवपाल गुट द्वारा उम्मीदवारों की  अलग-अलग  सूची जारी कर पशोपेश की स्थिति पैदा कर दी हैं। पूरी उम्मीद है कि पार्टी जल्द इस समस्या से बाहर आ जाये नहीं तो गंभीर खामियाजा भुगतना पड़ सकता हैं। सपा से दो वर्तमान विधायक विजय बहादुर व राजमति मैदान में हैं। पिपराईच छोड़ जरा अतीत पर गौर करें तो सपा की आठ  सीटों पर कोई खास अच्छी स्थिति नहीं रही। गोरखपुर शहर से समाजवादी पार्टी से राजकुमारी देवी ने 33694 वोट हासिल कर दूसरा स्थान पाया। इस बार उनके पुत्र राहुल गुप्ता मैदान में हैं। सहजनवां से सपा के सन्नी यादव लड़े जो चौथे स्थान पर रहें, इस बार उनकी...

वोट पाने में अव्वल टिकट पाने में भी कामयाब

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 -राजमति निषाद गोरखपुर-बस्ती मंडल में सर्वाधिक वोट पाने में अव्वल सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। पिछले विस चुनाव में जिन्होंने सर्वाधिक मत पाया उन पर पार्टियों ने फिर से भरोसा जताया हैं। पिपराइच विधानसभा की विधायिका व इस बार की सपा उम्मीदवार राजमति निषाद एक वाहिद महिला हैं, जो गोरखपुर-बस्ती मंडल में वोट हासिल करने के मामले में अव्वल हैं। पिछले विस चुनाव में इन्होंने दोनों मंडलों में  86976 मत हासिल किया था। दूसरे नम्बर पर सपा के हरैया से विधायक राजकिशोर ने 84409 मत प्राप्त किए थे। सपा ने इन पर दोबारा एतबार जताया हैं। वहीं सपा के ही मंत्री व विधायक राम करन आर्य 83202 मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार भी सपा उम्मीदवार हैं। वहीं गोरखपुर से हैट्रिक लगाने वाले भाजपा के डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने 81148 मत हासिल कर चौथा स्थान हासिल किया था। डा. अग्रवाल गोरखपुर-बस्ती मंडल में सर्वाधिक अंतर से जीत हासिल करने वाले विधायक भी बने थे। अभी भाजपा ने सूची जारी नहीं की हैं, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि चौथी बार भी टिकट मिल जायें।  पांचवें नम्बर पर कपिलवस्तु (सु) से विजय ने 783...

पूर्वांचल में विकास से इतर बहती जातिवाद की बयार

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पूर्वांचल की राजनीति पर रिपोर्ट सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। उप्र विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है पार्टियों में गहमागहमी तेज हो गयी है। राजनीतिक पार्टियों द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गयी है। जिताऊ उम्मीदवार के चयन में भाजपा व कांग्रेस लगी हुई है। बसपा न कुछ सीटों पर टिकट बहुक पहले से तय किए हुए है। बसपा की फाइनल सूची जारी होनी शुरु हो गई हैं। बसपा ने 2007 के विस चुनाव की तरह इस बार भी  मुस्लिम-दलित-ब्राहमण कार्ड खेला हैं।   सपा की तो कई लिस्ट जारी हो चुकी हैं। पूर्वांचाल में चुनावी हलचल तेज है। पूर्वांचल खास कर गोरखपुर-बस्ती मंडल का क्षेत्र महंगाई, शिक्षा, बिजली, स्वास्थय, सड़क, भ्रष्टाचार, कानून, बेरोजगारी व गरीबी से जूझ रहा है। लेकिन चुनाव में यह कभी मुद्दा नहीं बनते। गन्ना बेल्ट होते हुए बंद होती चीनी मिले, आखिरी सांसे लेता हथकरघा को कभी भी चुनाव का मुद्दा बनते देखा गया। यहां हिन्दुत्व, राममंदिर जैसे विवादित मुद्दे भी परवान नहीं चढ़ते। यहां चुनाव मुद्दे के इतर लड़े जाते है। जातीय समीकरण काफी हद तक हावी रहता है। दलित, ब्राहमण, क्षत्रिय, ठाकुर, मौर्य, निषा...

बसपा ने मुस्लिम बाहुल्य बस्ती मंडल के दो जिलों की आठ सीटों पर 4 मुस्लिम व 1 महिला कैंडिडेट उतारा

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। बसपा ने बस्ती मंडल के दो जिलों सिद्धार्थनगर व संतकबीरनगर की आठ सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। जिसमें 4 मुस्लिम व 1 महिला शामिल हैं। बसपा अच्छी तरह जानती हैं सत्ता की चाभी पाने में मुसलमानों की अहम भूमिका है। इसलिए टिकट में खास तवज्जों मिल रही हैं।  सिद्धार्थनगर की शोहरतगढ़ सीट पर मोहम्मद जमील सिद्दीकी, कपिलवस्तु(सु) पर चन्द्रभान, बांसी से लालचंद निषाद, इटवा से अरशद खुर्शीद, डुमरियागंज से सैयदा खातून को टिकट मिला हैं। वहीं संतकबीरनगर की मेंहदावल से अनिल कुमार त्रिपाठी, खलीलाबाद से मशहूर आलम चौधरी व घनघटा (सु) से नीलमणि  टिकट पाने में सफल हुए हैं।  पिछले चुनाव में बसपा सत्ता में रहने के बावजूद सत्ता नहीं बचा पायी थी। मामूली नुकसान भी नहीं हुआ था 7 सीटें हाथ से चली गयी थी। जिसे सपा, कांग्रेस, एनसीपी व पीस पार्टी ने बांटा था। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में 15 सीटें जीतने वाली बसपा 2012 में 8 सीटों पर सिमट गयी थी। लेकिन एक बात काबिलेगौर करीब 15 से 16 ऐसी सीटें थी जहां पर वह दूसरे पोजिशन पर थी। पार्टी इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। जित...