तीन विधायकों के साथ छोड़ने से बढ़ी कांग्रेस की मुसीबत
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर। 27 साल से पूर्वांचल खास कर गोरखपुर-बस्ती मंडल का क्षेत्र शिक्षा, बिजली, स्वास्थय, सड़क, भ्रष्टाचार, कानून, बेरोजगारी व गरीबी से जूझ रहा है। प्रदेश में कांग्रेस के शासन काल में ही विकास की गंगा चली थी। वह फिर देखने को नहीं मिली। इस बार उप्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नारा भी दिया है, 27 साल यूपी बेहाल। लेकिन उप्र विधानसभा चुनाव के नजरिये से देखें तो कांग्रेस 27 साल से वहीं खड़ी है जहां से सत्ता की बागडोर छूटी थी।
पूर्वांचल के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव में गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों में गोरखपुर शहर से नरेन्द्र मणि, ग्रामीण से काजल निषाद, बांसगांव से निर्मला देवी के अलावा कोई भी उम्मीदवार दस हजार वोट भी नहीं जुटा सका था। यह खुदकिस्मती थी कि जितनी भी सीटें निकली वह नये परिसमीन की वजह से निकली चाहे वह बस्ती का रूद्धौली, महराजगंज का नौतनवां हो या कुशीनगर का खड्डा, तमकुहीराज हो। लेकिन जितने भी सीटिंग विधायक थे सब चुनाव हार गए थे। वर्ष 2007 के चुनाव में कांग्रेस ने 4 सीट हासिल की थीं। वहीं वर्ष 2012 के चुनाव में नये परिसीमन की वजह से 5 सीटें मिली । 1 सीट का फायदा हुआ था। राहुल गांधी, सलमान खुर्शीद, दिग्विजयनाथ, प्रमोद तिवारी, रीता बहुगुणा जोशी (भाजपा ज्वाइन कर चुकी) का प्रचार प्रसार भी पर्याप्त सीटें नहीं दिला पाया था।
चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है सियासत में बदलाव साफ नजर आ रहा है। दल बदलूओं की वजह से सभी दल परेशान है सिवाय भाजपा के। दल बदलूओं नेे कांग्रेस की परेशानी में इजाफा किया है। बस्ती के रूद्धौली से संजय जायसवाल और कुशीनर के खड्डा से विजय दूबे भाजपा में शमिल हो चुके है। महराजगंज क्षेत्र के नौतनवां विधानसभा से कांग्रेस विधायक सपा का दामन थाम चुके है। टिकट बटने के बाद एक दो विकेट और गिर जायें तो कोई आश्चर्य नहीं। यानी पांच में से तीन सीटिंग विधायक तो चले ही गए।
गौरतलब पहलू यह भी यह है कि पार्टी छोड़कर जाने वाले विधायकों को पार्टी से टिकट मिलने की उम्मीद नहीं थीं या तो वो किनारे कर दिए गए थे। हर पार्टी दलबदलू विधायक को शामिल करने के बाद दावा कर रही है कि अब यूपी में बस उसी की हवा चल रही है। खैर। दिल के बहलाने के गालिब ये ख्याल अच्छा है।
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिला था। टिकट से नाराज पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने निर्मल खत्री, मधुसूदन मिस्री सहित तमाम लोगा पुतला फूंका, शव यात्रा निकाली थी। जिसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा पार्टी के उम्मीदवार बहुत बड़े अंतर से हारे। कई पदाधिकारियों को पार्टी से निकाल भी दिया गया था। बाद में घर वापसी भी हो गई। पार्टी में अकसर देखने को आता है कि टिकट बटने के बाद असंतोष के स्वर फुटने लगते है। एक वजह यह भी है कि चुनाव लड़ने के लिए पार्टी पैसा भी देती है तो कुछ लोगों की निगाहें उस सीट को जीतना नहीं पैसा हासिल करना होता है। जिसकी वजह से भी पार्टी को खामियाजा उठाना पड़ता है। वहीं इस क्षेत्र के जमीनी स्तर की बात करें तो पार्टी सिर्फ नाम की रह गयी है। ना कार्यकर्ताओं में उत्साह है ना ही जनता से जुड़ने का लगाव। हाईकमान से आदेश मिलने के बाद महंगाई, भ्रष्टाचार आदि मुद्दों पर धरना उसमें भी फोटो खिचवाने की होड़। कभी-कभी कभार पोस्टरवार। बस इतना सा है पार्टी का कार्य। 27 सालों का सूखा खत्म करने की पार्टी के पास कोई ठोस योजना नहीं है।
कांग्रेस की हर बार विधानसभा चुनाव में दावों की पोल खुल जाती है। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने अपनी सारी सीटें खो दी। इस बार पार्टी ने उप्र विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को बनाया हैं। गुलाम नबी आजाद व राजबब्बर के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी रखी गयी है। चुनाव मैनेजमेंट के लिए प्रशांत किशोर को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। पीके के काम करने का स्टाइल कई जिलों में कांग्रेसियों का रास नहीं आया है, असंतोष के स्वर भी फूटे है। जितने बदलवा हुए है सभी ऊपरी स्तर पर, जबकि उप्र में कांग्रेस की जमीनी सतह बेहद कमजोर हैं। अभी पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की। गठबंधन भी नहीं करने का ऐलान किया गया है। ऐसे में कैसी पार होगी कांग्रेस की नैया सभी जानते। पिछले चुनावों की तरह। देखते है कि पीके का मैनेजमेंट कितना सफल हो पाता है।
विधानसभा चुनाव 2012 में गोरखपुर की नौ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की स्थिति
1. पिपराइच अमरजीत यादव पांचवा स्थान
2. खजनी राजनारायण पासी चौथा स्थान
3. बांसगांव निर्मला देवी चौथा स्थान
4. कैम्पियरगंज राज्यवर्धन चौथा स्थान
5. सहजनवां विश्वविजय सिंह सांतवा स्थान
6. चौरी-चौरा माधो आठवां स्थान
7. चिल्लूपार श्याम लाल यादव पांचवा स्थान
8. गोरखपुर शहर नरेंद्र मणि तिवारी चौथा स्थान
9. गोरखपुर ग्रामीण काजल निषाद चौथा स्थान
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में विजयी कांग्रेस उम्मीदवार
1. रूद्धौली में संजय जयसवाल (पार्टी छोड़ चुके)
2. नौतनवां में मुन्ना सिंह ( पार्टी छोड़ चुके )
3. खड्डा में विजय दूबे (पार्टी छोड़ चुके)
4. रूद्रपुर में अखिलेश प्रताप सिंह
5. तमकुहीराज अजय कुमार
वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में विजयी कांग्रेस उम्मीदवार
1. शोहरतगढ़ में चैधरी रविन्द्र प्रताप
2. चौरी चौरा में माधो प्रसाद
3. पडरौना में कुंवर आरपीएन सिंह
4. नौगढ़ में ईश्वरचंद शुक्ल
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