खजनी विधानसभा : भाजपा पर सीट बरकरार रखने का दबाव
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर। खजनी विधानसभा सुरक्षित सीट पर भाजपा का कब्जा हैं। वर्ष 2012 में भाजपा से संत प्रसाद जीते और एक बार फिर मैदान में है। पार्टी ने भले ही उन पर भरोसा जताया है लेकिन आखिरी फैसला जनता का होगा। टिकट मिलने से पहले उनके टिकट कटने के कयास लगाये जा रहे थे। यहां सपा व बसपा से कड़ी टक्कर मिल रही हैं।
पूर्व में खजनी क्षेत्र बांसगांव विधानसभा रही जो परिसीमन के बाद खजनी विधानसभा बनी। वर्ष 2009 में परिसीमन के पश्चात् बांसगांव विधानसभा का क्षेत्र बंटकर दूसरी तरफ हो गया और धुरियापार विधानसभा का अस्तित्व समाप्त होकर खजनी विधानसभा बन गया।
धुरियापार विस ( अब खजनी विस) में बसपा का वर्चस्व रहा। बसपा वर्ष 20021996/93 में लगातार तीन बार जीती। सपा पूर्व जिलाध्यक्ष मोहसिन खान वर्ष 1993 में बसपा के टिकट से ही जीत हासिल किए। वर्ष 2007 में यह सीट सपा के खाते में चली गयी । नये परिसीमन में भाजपा के कब्जे में हैं। इस सीट पर मारकंडे चंद ने हैट्रिक जीत हासिल करते हुए (1996/91/89/80) चार बार जीत हासिल की। इस चुनाव में बसपा ने राजकुमार को उतारा हैं।वहीं सपा ने रुपावती बेलदार को। कांग्रेस के करीब 9 लोग लाइन में है इनमें माधो पासवान, निर्मला पासवान प्रमुख हैं।
👉कुल मतदाता - 363060
पुरुष - 203204
स्त्री - 159853
थर्ड जेंडर - 3
मतदान - 6वां चरण - 4 मार्च
मतगणना - 11 मार्च
👉यहां से विधायक
2012 - भाजपा - संत प्रसाद
2007 - सपा - राजेंद्र सिंह
2002 - बसपा - जय प्रकाश यादव
1993 - बसपा - मोहसिन खान
1996/1991/89/80 -सपा/ जेडी/कांग्रेस - मारकंडे चंद
1985 - निर्दल - अच्युत्तानंद तिवारी
1977- जेएनपी - जगदीश प्रसाद
1974 - कांग्रेस - चंद्रशेखर
1969 - एसएसपी - रामपति
1967/62 - कांग्रेस - यशोदा देवी
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें