कैंपियरगंज विधानसभा : दो परिवारों के बीच राजनीतिक वर्चस्व की जंग
गोरखपुर। विधानसभा कैंपियरगंज में दो परिवारों के बीच राजनीतिक वर्चस्व की जंग लम्बे अरसे से चल रही हैं। एक बसपा समर्थित सरकार में कभी मंत्री हुआ करते थे अब भाजपा में हैं । दूसरे का पूरा परिवार सपा का समर्थित सिपाही हैं। लड़ाई उन्हीं दोनों के बीच हुई और अबकी भी हैं। पिछले चुनाव में फर्क सिर्फ इतना था कि मंत्री बसपा के टिकट पर नहीं बल्कि एनसीपी के टिकट पर लड़े और जीत दर्ज करा लीं। फतेह बहादुर सिंह का करीबी कभी सपा प्रत्याशी चिंता यादव का परिवार था। राजनीतिर महत्वाकांक्षा बढ़ी तो दोनों परिवारों में दूरी बढ़ गयी। इस बीच सपा प्रत्याशी चिंता यादव जिला पंचायत अध्यक्ष बनी। जब बसपा की सरकार आई तो फतेहबाहादुर मंत्री बन गए। जिला पंचायत अध्यक्ष के विरुद्ध जांच शुरु हो गई । उन्हें तीन बार कुर्सी से हटाया गया। कहा जाता था कि इसके पीछे मंत्री का हाथ था। लेकिन अध्यक्ष के ससुर सत्यनारायण यादव गणित के अध्यापक रहे थे। गणित के माहिर यादव अध्यक्ष के विरुद्घ बिछने वाली हर गोट को टाल देते थे।इस बीच जब लोकायुक्त की जांच का दौर चला तो मास्टर साहब ने वन मंत्री के वहां लोकायुक्त की शिकायत कर दी।मामला जब सार्वजिनक हुआ और मीडिया में आया तो विरोधियों को मौका मिल गया। फतेहबहादुर न सिर्फ मंत्री पद से हटाए गए बल्कि बसपा ने उन्हें टिकट भी नहीं दिया। जब तक फतेहबहादुर बसपा में रहे तब तक उनका पुरजोर विरोध होता रहा। जैसे ही बसपा से निकलें उनके पीछे सहानुभूति हो गई। यहीं सहानुभूति उनके जीत का कारण बनी। इस बार फतेहबाहादुर भाजपा से टिकट के प्रबल दावेदार हैं। और उनका मुकाबला एक बार फिर सपा उम्मीदवार चिंता यादव से तय हैं। बसपा ने इस बार अर्चना निषाद को उतारा है पहले इनके पति आनंद निषाद मैदान में थे। जब यह मानीराम विस (अब कैंपियरगंज विस) क्षेत्र था तो यहां पासवान परिवार का वर्चस्व रहा। इस बार बसपा, सपा के पत्ते तो खुले हैं लेकिन भाजपा से फतेहबहादुर सिंह के अलावा समीर सिंह, बृजेश यादव, अवधेश मिश्रा, गोरख सिंह भी टिकट कतार में हैं वहीं कांग्रेस से करीब दस लोग लाइन में हैं। वहीं पीस पार्टी व निषाद पार्टी गठबंधन ने मोहम्मद मैनुद्दीन उर्फ चांद भाई को मैदान में उतारा हैं।
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कैंपियरगंज विस कभी मानीराम विस हुआ करती थीं। गोरखनाथ मंदिर के ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को यहां से हार का सामना करना पड़ा था। वर्ष 1957 में उत्तर प्रदेश में आज़ादी के बाद दूसरा आम चुनाव हो रहा था। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ मानीराम क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे। परिणाम यह रहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्याशी केशव पाण्डेय 20832 वोट पाकर जीत गए। महंत अवेद्यनाथ 15153 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद महंत अवेद्यनाथ ने वर्ष 1962, 1967, 1969, 1974, 1977 तक लगातार पांच बात जीत कर रिकार्ड बनाया। इसके बाद वर्ष 1980 व 1985 में कांग्रेस जीतने में कामयाब हो गई। वर्ष 1989/ 1991/93 तक इस सीट पर ओम प्रकाश चुनाव जीते।उसके बाद वर्ष 1996 में सपा से सुभावती पासवान व वर्ष 2002 में सपा से कमलेश चुनाव जीतें।वर्ष 2007 व 2012 से भाजपा के विजय बहादुर चुनाव जीतें।
👉कुल मतदाता - 363280
पुरुष - 199880
स्त्री - 163378
थर्ड जेंडर - 22
मतदान तिथि - छठवां चरण - 4 मार्च
मतगणना - 11 मार्च
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