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गोरखपुर : बैतुल मुकद्दस की आजादी के लिए दुआ में उठे लाखों हाथ

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 अलविदा में हुई बैतुल मुकद्दस की आजादी की दुआ -बंदों ने अल्लाह की बारगाह में किया सज्दा गोरखपुर। मुकद्दस रमजान माह के आखिरी जुमा (अलविदा) की नमाज शहर की विभिन्न मस्जिदों में अदा की गयी। बैतुल मुकद्दस की आजादी, यहूद व नसारा के जुल्म से निजात, देश में अमन चैन, तरक्की व फलीस्तीन, सीरिया, म्यांमार, इराक सहित दुनिया के अन्य मुल्कों में मुसलमानों पर हो रहे जुल्म को रोकने की अल्लाह से रो-रो कर इल्तिजा की गयी। मुसलमानों के चेहरे पर रमजान के जाने का गम साफ नजर आया। लबों पर जहन्नम से निजात व मगफिरत की दुआएं थीं। रमजान के आखिरी जुमा (अलविदा) पर शहर में यह नजारा आम रहा । इससे पहले लोगों ने जुमा का गुस्ल किया। नहा धोकर नये कपड़े पहन सिर पर टोपी लगायी हाथों में मुसल्ला लिया। वक्त से पहले नमाजी मस्जिद में पहुंच गये । बच्चे, बूढ़े, नौजवान सभी का मकसद पहली सफ में जगह पाना रहा। जिसको जहां जगह मिली वहां पर बैठकर अल्लाह की इबादत शुरू की। अजान होने के पहले मस्जिदें भरनी शुरू हो गयी। अजान तक मस्जिदें पूरी भर गयी । इसके बाद लोगों ने सड़कों पर जगह ली। मस्जिद कमेटी ने नमाजियों की कसीर तादाद के मद्देन...

गोरखपुर में बरेली के नहीं मुंबई व राजकोट के झूमको का क्रेज

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। ईद के लिए महिलाएं ज्वैलरी (आटिफिशियल), चूड़ियां, मेहंदी और चप्पलें डच हील, हाई पैड, फ्लैट व जूतियों की जमकर खरीददारी कर रही हैं। ईद आने को चंद ही दिन बाकी हैं ऐसे में महिलाएं अपने सजने-संवरने के इंतजाम में जोर-शोर से लगी हुई हैं। ईद से चंद दिन पहले महिलाओं की खरीदारी का मिक्स एंड मैच टाइम शुरु हो गया है। गोलघर, रेती चौक, मदीना मस्जिद रोड, शाहमारुफ, माया बाजार, जाफरा बाजार, गोरखनाथ, पांडेयहाता, तुर्कमानपुर और उर्दू बाजार जैसे  बाजारों में ईद की खरीददारी के लिए इफ्तार के बाद महिलाओं की अच्छी खासी भीड़ उमड़ रही है। तुर्कमानपुर श्रृंगार ज्वैलरी हाउस के मालिक व थोक विक्रेता रमजान अली ने बताया कि  इस ईद पर शहर में  मुंबई के झूमके ज्यादा पसंद किये जा रहे हैं।  वहीं देहात में राजकोट के झूमके जो पीतल के बने हुए हैं लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं। बाजीराव मस्तानी ज्वैलरी अभी भी अच्छी तादाद में बिक रही हैं। रमजान अली बतातें हैं कि उनके यहां से फ्लेचर, गले का सेट, झुमकी, बैकपिन, झुमका सहारा, ब्रेसलेट, लटकन, टिकटिक, हैयरबैंड की बिक्री जमकर हो रही है...

वाह ! महिलाओं में प्लाजो व शरारा स्टाइल सूट का जलवा

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। ईद की आमद जल्द होने वाली है। तैयारियां जोरों पर है। बाजार गुलजार है। हर दुकान पर भीड़ आम है। शाहमारुफ, घंटाघर, रेती, मदीना मस्जिद, गीता प्रेस,  जाफरा बाजार, गोरखनाथ, गोलघर में रौनक शबाब पर है। इसी बहाने ईद के चांद में होने वाली शादियों की भी तैयारियां की जा रही है। एवन क्लाथ हाउस के फजल इब्राहीम ने बताया कि इस बार  महिलाओं को प्लाजो, शरारा स्टाइल सूट, काटन सूट, जयपुरी सूट, चंदेरी काटन, चिकन वर्क सूट का जलवा सिर चढ़ कर बोल रहा है। प्लाजो 500 से 1000 रुपए में आ रहा हैं। जारजट वर्क सूट या शरारा स्टाइल सूट की कीमत 1000 से 1500 रुपए हैं। काटन सूट जिसमें जम्पर काटन की हैं और सलवार प्लाजो का हैं खूब पसंद किया जा रहा हैं जिसकी कीमत 500 से 1000 रुपए के बीच हैं। फजल इब्राहीम ने बताया कि हैंड वर्क जिसे जयपुरी स्टाइल या जयपुरी वर्क के नाम से जानते हैं 1800 से 2200 रुपए के बीच बिक रहा हैं। चंदेरी काटन 1500 से 1600 रुपए, फ्रंट और बैर कढ़ाई सूट 600 से 700 रुपए, चिकन वर्क सूट 800 से 1200 रुपए में बिक रहा हैं। फिल्मों की कोई ड्रेस इस बार बाजार में ट्रेंड नही...

ईद में अद्घी व चिकन कुर्ते से सजे नजर आयेंगे अकीदतमंद

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गोरखपुर। ईद करीब है। खरीददारी जोरों पर है। रेती चौक पर कुर्ते की दुकान लगाये हुए मोहम्मद सद्दाम खान ने बताया कि उनके यहां चिकन के कुर्ते बिक रहे हैं। चिकन का कुर्ता सबकी पहली पसंद बना हुआ हैं। जिसमें लाइनिंग, व्हाइट प्लेन, नेट, कलर, कढ़ाई, ब्रासो (प्रिंटेड) कुर्ता बिक रहा हैं। इन कुर्ताें की शुरूआत 250 रुपए से लेकर 350 रुपया तक है। शाहमारुफ में तो अस्थायी कुर्तों दुकानों की करीब 15 से 30 दुकाने लगी हुई हैं। ईद को खास बनाने की खुमारी छायी हुई है। कुर्ता शाहमारुफ, उर्दू बाजार, घंटाघर, जाफरा बाजार, गोरखनाथ आदि क्षेत्रों  में मिल रहा है। चौरहिया गोला स्थित बालीवुड टेलर के प्रोपराइटर शमशाद आलम ने बताया कि  इस बार अद्घी (सिम्पल) व पिच कलर कुर्ता काफी सिलने के लिए आया हैं। इन कुर्तों के लिए लोग पैजामा 'पैंट लुक' में सिलवा रहे हैं। अद्घी (सिम्पल कुर्ता) की ज्यादा डिमांड हैं। अबकी बार दर्जियों के पास  कलरफुल कुर्ता, पठानी सूट, स्टाइलिस कुर्ता, चूड़ीदार कुर्ता पैजामा, हाथ से सिला कुर्ता सिलने के लिए आया हैं। 

27वीं रमजान की रात में हिन्दुस्तान हुअा आजाद

-आजादी व छोटी ईद (अलविदा) की खुशी एक साथ सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। अाने वाली 22 व 23 जून की तारीख बहुत ही मुबारक व महत्वपूर्ण हैं। इस रोज रमजान की 27 तारीख हैं। इस्लामिक माह रमजान की 27 तारीख 1366 हिजरी (15 अगस्त सन् 1947) को हिन्दुस्तान अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ। खास बात जब मुल्क आजाद हुआ तो वह शब-ए-कद्र की 27वीं रात और अलविदा (रमजान माह का आखिरी जुमा) का दिन था। इस दिन हमें दो खुशियां मनाने को मिलेंगी। 22 जून (27 रमजान की रात)  को अकीदतमंद शब-ए-कद्र में इबादत करेंगे और मुल्क के आजाद होने पर अल्लाह का शुक्रिया अदा करेंगे। वहीं 23 जून ( 27 रमजान का दिन) में छोटी ईद यनी अलविदा में इबादत कर खुशियां मनायेंगे। मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने  बताया कि 15 अगस्त 1947 को जब मुल्क आजाद हुआ तो वह 27रमजान 1366 हिजरी शब-ए-कद्र की रात थी और अलविदा का दिन था। लोग शब-ए-कद्र में जागकर इबादत में मश्गूल थे और अल्लाह का शुक्रिया अदा कर रहे थें। रामलीला मैदान नई दिल्ली में लोगों ने अलविदा की नमाज अदा कर तिरंगा झंडा लहराया था। शायद ही किसी मुल्क को यह एजाज मिला हो। यानी हमें अल्लाह पाक...

गोरखपुर : पुरुषों को पेशावरी तो महिलाओं को डच हील पसंद

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। ईद-उल-फित्र का त्यौहार चंद दिनों के फासले पर हैं। बाजार में रौनक उरुज पर हैं। हर दुकान पर खरीददारों का मजमा लगा हुआ हैं। कपड़ों के साथ जूते चप्पल की दुकानें भी गुलजार हैं। शू पैलेस उर्दू बाजार के तनवीर अहमद ने बताया कि इस बार पुरुषों को पेशावरी जूता बहुत पसंद आ रहा हैं। झूम कर बिक्री हो रही हैं। इनकी कीमत 695 से 1200 रुपया तक हैं। यह एक तरह का जूता हैं जिसके आगे खूब बेहतरीन डिजाइन बनी हुई हैं। यह पैंट-शर्ट, कुर्ता पैजामा पर पहना जा सकता हैं। विभिन्न रंगों व डिजाइनों में उपलब्ध हैं। ज्यादातर बच्चें और बड़े यहीं खरीद रहे हैं। शब्बीर अहमद ने बताया कि बच्चों का पेशावरी जूता 365 से 425 रुपया के बीच आ रहा हैं। मोहम्मद अतहर ने बताया कि कोल्हापुरी चप्पलें कच्चे लेदर की खूब बिक रही हैं। 400 से 465 रुपया तक यह चप्पलें आ रही हैं। कानपुर की केल्हापुरी चप्पलों की भी डिमांड हैं। स्पोर्टस शू के भी कद्रदान कम नहीं हैं। अतहर के मुताबिक स्पोर्टस शू 499 से 1800 रुपया के बीच बिक रहे हैं। यह भी डिमांड में हैं। सलीम अहमद व फैय्याज अहमद ने बताया कि महिलाओं को अबकी बार सोबर चप...

नबी का फरमान - जिसका मैं मौला उसके अली मौला : मुफ्ती अजहर

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-दरगाह मुबारक खां शहीद मस्जिद में हजरत अली रजियल्लाहु अन्हु की यौमे शहादत पर संगोष्ठी गोरखपुर। नबी-ए-पाक के दामाद व इस्लाम के चौथे खलीफा हजरत अली रजियल्लाहु अन्हु की शहादत 21 रमजान 40 हिजरी को हुई। नबी ने फरमाया हजरत अली का जिक्र करना इबादत हैं। हजरत अली की शान में  खूब कहा गया हैं - " शाहे मरदा शेरे यजदा कुव्वते परवरदिगार, ला फतह इल्ला अली ला सैफा इल्ला जुल्फिकार"। नबी-ए-पाक का फरमान हैं कि जिसका मैं मौला, अली भी उसके मौला। जिसका मैं आका, अली भी उसके आका।जिसका मैं रहबर, अली भी उसके रहबर। जिसका मैं मददगार, अली भी उसके मददगार। उक्त बातें मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने नार्मल स्थित दरगाह मुबारक खां शहीद मस्जिद में हजरत अली रजियल्लाहु अन्हु की यौमे शहादत के मौके पर आयोजित संगोष्ठी में कहीं । उन्होंने कहा कि नबी-ए-पाक ने फरमाया कि मैं इल्म का शहर हूं और अली उसके दरवाजा हैं। अब जो इल्म से फायदा उठाना चाहता हैं वह बाबे इल्म (हजरत अली)  से दाखिल हो।  हजरत अली की शान बयान करने के लिए किसी दलील की जरुरत नहीं हैं। बस इतना ही काफी हैं कि आप खाना-ए-काबा में पैदा हुए। आप दामाद...

गोरखपुर : रोजादारों को तुर्की की जानमाज पसंद हैं

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। माह-ए- रमजान का मुकद्दस महीना अपनी पवित्रता से घर-आंगन ही नहीं, बाजारों की शान भी बढ़ा रहा है। खजूर, तस्बीह, जानमाज,  देश-विदेश में बनी टोपियां, मिस्वाक, सुरमा और फिजा को महकाने वाले इत्र की खुशबू से बाजार इन दिनों खिलखिला रहे हैं। इन सभी सामानों की खूब डिमांड है दरअसल पवित्र माह-ए- रमजान को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के बाजारों में भी खास वस्तुओं की माग बढ़ गई है। इनमें जानमाज, तस्बीह, टोपी, इत्र, मिस्वाक, सुरमा की खरीददारी मुख्य है। जानमाज (वह कपड़ा जिस पर नमाज अदा की जाती हैं या पतला कालीन) से सजी दुकानें बाजार की रौनक बढ़ा रही हैं।  नखास स्थित अख्तर बुक डिपो के मालिक अख्तर आलम  का कहना है कि  हमारे यहां जानमाज की सभी किस्में उपलब्ध हैं। माह-ए-रमजान का माह चल रहा हैं। बंदे फैजयाब हो रहे हैं। नमाज की पाबंदी हो रही हैं  नमाज पढ़ने के लिए लोग तुर्की की जानमाज को ज्यादा  पसंद कर रहे हैं। रमजान माह मे तुर्की की जानमाज पहली पसंद बनी हुई हैं। दूसरे नम्बर पर चायना की जानमाज और तीसरे नम्बर पर भारतीय जानमाज हैं। तुर्की जानमाज में बेहतर...

गोरखपुर : कुरआन इंसानी जिंदगी का रहनुमा

रमजान महीने में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज तरावीह के दौरान एक कुरआन की तिलावत मुकम्मल होने पर रहमतनगर जामा मस्जिद में नमाजियों ने मुल्क के अमन, तरक्की व खुशहाली के लिए दुआएं कीं। इस दौरान इमाम मौलाना अली अहमद शाद बस्तवी ने कहा कि कुरआन कलामे इलाही है। इसका एक भी अक्षर न बदला है, न बदलेगा। कुरआन का पढ़ना, सुनना, देखना व छूना सभी कुछ इबादत है। दुनिया में कुरआन सिर्फ एक किताब नहीं बल्कि इंसानी जिंदगी का रहनुमा है। यहां हाफिज कुरबान अली ने कुरआन शरीफ मुकम्मल किया। इस मौके पर अली गजनफर शाह, अली मुजफ्फर शाह, अली अख्तर, मुश्ताक हसन, मारुफ, नासिर अली, अली मजहर शाह, साजिश कुरैशी, मुबारक अहमद सहित तमाम लोग मौजूद रहे 

गोरखपुर : हजरत अली की फजीलत बयान की गयी

मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर में खत्मे कुरआन व इस्लाम के चौथे खलीफा हजरत अली रजियल्लाहु अन्हु के शहादत दिवस पर आपकी पाक सीरत पर तकरीर पेश की गयी। मस्जिद के पेश इमाम हाफिज व कारी मोहम्मद अफजल बरकाती ने तरावीह में कुरआन मुकम्मल किया। उन्होंने कहा कि कुरआन तमाम इंसानियत के लिए हिदायत है। हमें चाहिए की कुरआन पर अमल कर दुनिया व आखिरत दोनों संवारें। हजरत-ए-मौला अली के फजायल पर कहा कि जिसे कुरआन की तफसीर देखनी हो वह हजरत अली की जिंदगी का अध्ययन करें । हजरत अली इल्म का समंदर,  बहादुरी में बेमिसाल हैं। आपकी इबादत, रियाजत, परहेजगारी व नबी से इश्क की मिसाल पेश करना मुश्किल हैं। इसी क्रम में गौसिया मस्जिद छोटे काजीपुर में हाफिज शम्सुद्दीन , मकबरे वाली मस्जिद में हाफिज मोहम्मद कलाम, रजा मस्जिद कसाईटोला जाफरा बाजार में हाफिज शम्सुज्जोहा, मक्का मस्जिद मेवातीपुर में हाफिज अंसारुल हक ने तरावीह में एक कुरआन मुकम्मल किया। ------------------------

गोरखपुर : गाजी मस्जिद गाजी रौजा में एक कुरआन शरीफ मुकम्मल

इबादत कर गुनाहों से माफी मांगें : मुफ्ती अख्तर गाजी मस्जिद गाजी रौजा में तरावीह में एक कुरआन शुक्रवार को मुकम्मल हुआ। हाफिज व कारी अयाज अहमद ने अदबो एहतराम व किरत के साथ तरावाही में पूरा कुरआन पढ़ाया। इस दौरान मीलाद शरीफ का आयोजन हुआ। इस मौके पर मुफ्ती अख्तर हुसैन ने कहा कि रमजान में कुरआन नाजिल हुआ। इस माह शब-ए-कद्र की रात है जिसमें इबादत करने वालों को  खूब सवाब उनके नामा-ए- आमाल में लिखा जाता है। उन्होंने कहा  कि तरावीह की नमाज पूरे रमजान तक पढ़नी हैं। अपील करते हुए कहा कि सदका-ए-फित्रा व जकात जल्द अदा करें ताकि जरुरतमंद अपनी जरुरतें पूरी कर लें। जहन्नम से आजादी का अशरा शुरु हो चुका है लिहाजा खूब इबादत करें और गुनाहों की माफी मांगे। इस मौके पर सलातो सलाम पढ़ कर मुल्क के लिए अमन चैन की दुआएं मांगी गई । सभी ने एक दूसरे को मुबाकरबाद दी। इसके बाद शीरीनी तक्सीम की गयी। इस मौके पर मस्जिद के पेश इमाम  हाफिज रेयाज अहमद, मोहम्मद आजम, मोहसिन खान, सैयद मेहताब अनवर,  मो. ताबिश सिद्दीकी, शहबाज सिद्दीकी , शीराज सिद्दीकी , मो. जकी सिद्दीकी, जमाल अहमद, हाजी उबै...

शब-ए-कद्र की पहली रात में खूब हुई इबादत

शब-ए-कद्र की पहली ताक रात में मस्जिद इबादत करने वालों से आबाद रही। अल्लाह के बंदों ने इबादत कर गुनाहों से माफी मांगी। मगरिब की नमाज के बाद इबादत का यह सिलसिला सुबह की फज्र तक चलता रहा। मस्जिद व घरों से तिलावत-ए-कुरआन पाक की आवाज आती रही।लोगों ने कसरत से फर्ज नमाजों के साथ नफील नमाजें अदा की। तस्बीह पढ़ी गयीं। घरों में महिलाएं भी इबादत में मशगूल रही।  जहन्नम से आजादी की दुआएं मांगी गयी। अब शब-ए-कद्र को रमजान की 23, 25, 27, 29 वीं की ताक रात में तलाशा जायेगा । ---------------------------

गोरखपुर : दस दिनों का एतिकाफ शुरु

-जहन्नम से आजादी का अशरा शुरु मुकद्दस रमजान का तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का शुरु हो चुका है।शुक्रवार को इफ्तार से पहले शहर की छोटी-बड़ी मस्जिदों में खुदा के बंदों ने एतिकाफ शुरु कर दिया। लोगों ने खुदा की  रजा के लिए दस दिनों के एतिकाफ की नियत से मस्जिद में प्रवेश किया। एतिकाफ करने वाले इबादत इलाही में मशगूल हो गये। यह सिलसिला ईद के चांद तक रहेगा। किसी मस्जिद में एक तो कहीं पर अधिक संख्या में लोगों ने एतिकाफ शुरू किया। इस्माईलपुर स्थित काजी जी की मस्जिद में काफी लोग एतिकाफ में बैठे हैं। इसी तरह अन्य मस्जिदों में कहीं बुजुर्ग तो कहीं नौजवानों ने एतिकाफ शुरु किया।   ---------------------

गोरखपुर : उलेमा ने बयान की 'फतह मक्का' की दास्तान

-रमजानुल मुबारक का तीसरा जुमा गोरखपुर। रमाजनुल मुबारक के तीसरे जुमा में उलेमा ने 'फतह मक्का' की दास्तान बयान की। गाजी मस्जिद गाजी रौजा में मुफ्ती अख्तर हुसैन ने तकरीर में कहा कि फतह मक्का एक शानदार फतह थीं। जो रमजानुल  मुबारक की 20 तारीख यानी आज ही के दिन हुई। नबी-ए-पाक ने इस फतह से लोगों का दिल जीत लिया । फतह के बाद नबी-ए-पाक ने सबको आम माफी दे दीं। खून का एक कतरा भी नहीं गिरा और फतह अजीम हासिल हो गई। तारीख ने ऐसी फतह आज तक नहीं देखीं। मक्का को दारुल अमन यानी “शांति का घर” घोषित किया गया और यह सब उस नबी-ए-पाक के हाथों किया गया जिन्हें पूरे संसार के लिये रहमत बनाकर भेजा गया हैं। उन्होंने कहा कि तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का है। इस में एक रात ऐसी है जिसका सवाब हजार रातों की इबादत के बराबर है। जिसे शब-ए-क़द्र के नाम से जाना जाता  है। दरगाह मुबारक खां शहीद मस्जिद नार्मल  के पेश इमाम मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने नमाजियों को खिताब करते हुए कहा कि फतह मक्का विश्व इतिहास की बड़ी ही अदभुत घटना है। नबी-ए-पाक के सामने वह सारे लोग थे, जिन्होंने उन्हे सताया था, गालियां द...

गोरखपुर : मुगलकाल से चली आ रही सेवई खाने-खिलाने की परंपरा

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। मुगल शासन में ईद पर सेवई बनाने का रिवाज था। यह रिवाज आज भी पूरे दिल से माना जाता है। इसे मुकम्मल तौर पर कायम रखा गया है। ईद पर सेवई मुख्य मिठाई मानी जाती है। शहर में सेवई का कारोबार बड़े पैमाने पर किया जाता है। यहीं से सेवई बन कर गोरखपुर-बस्ती मंडल के कई जिलों में सप्लाई होती है। शहर में कई छोटी-छोटी सेवई  फैक्ट्रियां हैं। नखास चौक व उर्दू बाजार पर सेवई की स्थायी दुकानें हैं। सेवई दस्तरखान की जीनत है। ईद सेवई के बगैर अधूरी है। हिन्दुस्तान में तो ईद सेवईयों वाली या मीठी ईद के नाम से मशहूर है। माह-ए-रमजान के मौके पर सेवईयों की दुकानें बाजार में गुलजार है। सहरी व इफ्तार के वक्त भी सेवईयां चाव से खायी जा रही है। रोजे में खजूर की जहां मांग हो रही है। वहीं मीठे के तौर पर सेवईयां भी इफ्तार व सहरी के वक्त रोजेदार इस्तेमाल कर रहे  हैं। सेवईयों का बाजार पूरी तरह से सज चुका है। जहां मोटी, बारीक, लच्छेदार के साथ कई वेरायटी की सेवईयां मौजूद हैं, जो क्वालिटी और अपने नाम के मुताबिक डिमांड में हैं। इस वक्त बाजार में 10 से ज्यादा वेरायटी की सेवईयां मौजूद हैं, इसम...

गोरखपुर : चाइनीज तस्बीह रोजेदारों को पसंद

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-माह-ए-रमज़ान में तस्बीह की बढ़ रही मांग सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। माह-ए- रमज़ान का पाक महीना आते ही बाज़ार की रौनक के साथ-साथ रोज़ेदारों द्वारा अपने ज़रूरत के सामानों की खरीद के लिए चहलकदमी बढ़ जाती है। इन सामानों में जहां अन्य बहुत सी सामग्री शामिल हैं तो वहीं तस्बीह (अल्लाह का नाम जपने की माला) की भी खास ज़रूरत होती है जिसे अल्लाह की इबादत में इस्तेमाल किया जाता है । हालांकि अल्लाह का नाम जितनी मर्तबा लिया जाए उतना कम है लेकिन दुआओं के लिए एक संख्या उलेमाओं द्वारा बताई गई है जिससे दुआ करने में आसानी होती है। मसलन 33-33 दो बार (सुब्हानअल्लाह व अलहम्दुलिल्लाह) और फिर 34 बार (अल्लाहु अकबर) यानी कुल 100 बार तस्बीह के माध्यम से अल्लाह को याद करना चाहिए इसलिए 100 दानों की एक तस्बीह आमतौर पर होती है। वैसे 33 दानों की तस्बीह भी आती है। इस बार मार्केट में क्रिस्टल, लकड़ी, शीशे, प्लास्टिक के अलावा रेडियम दानों की तस्बीह आई हुई हैं। जिसे लोग बेहद पसंद कर रहे हैं। वहीं चाइनीज की तस्बीह लोगों की पहली पसंद बनी हुई हैं। लोगों का मानना है कि तस्बीह से इबादत करने में बेहद आसानी हो रही है। नख...

'जंग-ए-बद्र के 313 सहाबा' की मदद को फरिश्ते जमीन पर उतरे : मुफ्ती अख्तर हुसैन

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- 'उम्मुल मोमिनीन' को याद किया गया, हुआ कुल शरीफ -17 रमजानुल को हुई 'जंग-ए-बद्र' व  ''उम्मुल मोमिनीन' का विसाल गोरखपुर। 17 रमजानुल मुबारक सन् 2 हिजरी को जंग-ए-बद्र हक (सत्य) और बातिल (असत्य) के बीच हुई। जिसमें 313 सहाबा-ए-किराम की मदद के लिए फरिश्तें जमीन पर उतरे। जंग-ए-बद्र में इस्लाम की फतह ने इस्लामी हुकूमत को अरब की एक अजीम कुव्वत (ताकत) बना दिया। इस्लामी इतिहास की सबसे पहली जंग मुसलमानों ने खुद के बचाव (वॉर ऑफ डिफेंस)  में लड़ी। मुसलमानों की तादाद 313 थीं। वहीं बातिल कुव्वतों का लश्कर मुसलमानों से तीन गुना से ज्यादा था। यह बातें मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के मुफ्ती अख्तर हुसैन ने कहीं। वह नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद मस्जिद में मंगलवार को 'जंग-ए-बद्र के 313 सहाबा' (नबी के साथी)  व नबी-ए-पाक की शरीके हयात (पत्नी) उम्मुल मोमिनीन हजरत आयशा सिद्दीका रजियल्लाहु अन्हा के यौमे विसाल ( वफात) की याद में आयोजित कार्यक्रम को बतौर अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस जंग में कुल 14 सहाबा-ए-किर...

40 साल बाद तरावीह की नमाज में हुआ एक कुरआन मुकम्मल

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syed farhan ahmad गोरखपुर। रमजानुल मुबारक का महीना चल रहा हैं। सभी फैजयाब हो रहे हैं। ऐसे पुरनूर माहे रमजान में गोरखपुर के हाफिज रज्जब अली ने एक नई मिसाल कायम की हैं। उन्होंने कुशीनगर के डोमरी गांव में 40 साल बाद तरावीह की नमाज में महज पांच दिनों में एक कुरआन शरीफ मुकम्मल कर दिया। बतातें चलें कि मस्जिद हसनैन घासीकटरा के पेश इमाम हाफिज रज्जब अली ने अपनी मस्जिद में नौ रमजान को तरावीह में एक कुरआन शरीफ मुकम्मल किया। किसी ने उनसे कुशीनगर के डोमरी गांव का जिक्र कर दिया। फिर क्या था हाफिज रज्जब उस गांव में पहुंच गये और 10-14 रमजान में तरावीह की नमाज में  कुरआन शरीफ मुकम्मल कर दिया। हाफिज रज्जब ने बताया कि गांव में पचास घर मुस्लिमों के हैं। सब गरीब परिवार हैं। गांव में छोटी सी मस्जिद हैं। पिछले चालीस सालों से यह तरावीह की नमाज में कुरआन शरीफ मुकम्मल नहीं हुआ। जब मैंने यह सुना तो जाकर तरावीह में एक कुरआन महज पांच दिन में मुकम्मल किया। लोगों में बहुत उत्साह था। हालांकि पांचों की नमाज व छोटी तरावीह उस मस्जिद में होती हैं। हाफिज रज्जब करीब पचीस साल से गोरखपुर में मस्जिद में इमामत कर रहे ह...

गोरखपुर : 71 साल के शाकिर अली खान आज भी पूरा दिन ठेला चलाकर रखते हैं रमजान के तीसों रोजे

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-104 साल के गुलाम नबी की इबादत के आगे उम्र ने भी टेके घुटने *बचपन से रख रहे तीसों रोजा, पढ़ते पूरी तरावीह *सात हज किया *तहज्जुद की नमाज भी नहीं छुटती *चौथी पीढ़ी भी करती हैं इन पर फख्र सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। कांपते हाथ, ढलती उम्र खुदा की इबादत के लक्ष्य को पाने के लिए बाधक नहीं होती। जरूरत है बस जुनून की। यह जुनून हैं ऊंचवां स्थित आइडियल मैरेज हाउस में रहने वाले 104 वर्षीय गुलाम नबी खां में। उनकी इबादत के आगे उम्र ने भी घुटने टेक दिए हैं। सात बार हज कर चुके हैं। पांचों वक्त की नमाज बिना सहारे मस्जिद में जाकर अदा करते हैं। बचपन से ही तीसों रोजा रख रहे हैं जिसका सिलसिला अब भी जारी हैं। इस बार भी रोजा रखने में कोई कोताही नहीं कर रहे हैं। पूरी तरावीह की नमाज मस्जिद में आकर अदा करते हैं। इसके अलावा रोजाना रात में 2 बजे उठकर तहज्जुद की नमाज अदा करते हैं। चाश्त, इसराक, सलातुल अव्वाबीन, सलातुल तस्बीह की नमाज भी पढ़ते हैं वह भी पूरे साल। रोजाना कुरआन शरीफ की तिलावत करते हैं। हर वक्त हाथों में तस्बीह व जुबां पर रब का नाम रहता हैं। वर्ष 2005 में बिना व्हीलचेयर के हज के तमाम अरकान अदा कर ...

रोजादारों की पहली पसंद यूएई व ईरानी खजूर

-खजूरों के बेहतरीन पैकट लोगों का ध्यान खींच रहे हैं syed farhan ahmad गोरखपुर। खजूर से रोजा खोलना नबी-ए-पाक की सुन्नत हैं। हर रोजेदार की ख्वाहिश होती है कि वह बेहतर से बेहतर खजूर से रोजा खोले। रोजेदार 100, 200, 400 व 600 रुपये प्रति किलोग्राम तक के खजूर से रोजा खोल रहे हैं। बाजार में एक दर्जन से अधिक तरह की खजूरें बिक रही हैं। जिसमें अज्वा़, खुबानी, शुमरी, तैबा, शबानी, समर्इ, मगरूम, हयात शामिल हैं। जिन्हें यूएई, र्इरान, इराक, सउदी अरब, दुबई व अन्य खाड़ी देशों से मंगवाया जाता है। रमजान में सजे दस्तरख्वान पर अपनी खास जगह रखने वाले खजूर की कई किस्में मॉल से लेकर बाजारों तक में सजी हुई हैं। वैसे तो बाजार में खजूर की कई किस्में उपलब्ध हैं, मगर सबसे ज्यादा मांग यूएई के क्राऊन, ईरान की कीमिया व ईरानी खजूर की हो रही है। अब लोग बेहतरीन पैक की हुई खजूरें ज्यादा पसंद कर रहे हैं। खुली खजूरों के मुकाबले बेहतरीन पैक्टड खजूरें लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। सबसे महंगी खजूर अज्वा़ हैं। रोजेदार रोजा खोलने के लिए खजूर का ही इस्तेमाल करते हैं। रमजान के दौरान खजूर खूब इस्तेमाल किया जाता ...

आप आईये माह-ए-रमजान की क्लास में, पूछिए मसला मिलेगा जवाब

-दरगाह मुबारक खां शहीद पर आधुनिक समस्याओं का हल कुरआन व हदीस से सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां की मस्जिद में  पहले रोजे से माह-ए-रमजान की क्लास चल रही है । जिसमें  20 साल के नौजवान से लेकर 70 साल के बुजुर्ग भी शामिल हो रहे है । नौजवानों की ज्यादा तादाद बता रही है कि उन्हें दीन की बातें सीखने की ललक हैं। तीस रोज की क्लास  के अध्यापक है मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी। संचालन कर रहे हैं मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही। जब दोपहर की जोहर नमाज खत्म होती है तो शुरु हो जाती है रमजान की क्लास। जो करीब 45 मिनट की होती हैं। जिसमें 30 मिनट कुरआन व हदीस से मजहब की बारीकियां बतायी जाती है और 15 मिनट लोगों के सवाल का जवाब दलील के साथ दिया जाता हैं। कुछ लोग सवाल  लिखकर लाते हैं कुछ लोग वहीं पूछते हैं। पहले दिन से ही यहां दीन सीखने वालों की भीड़ जुट रही है।  प्रतिदिन करीब 100-150 लोग जुटते हैं। क्लास में आधुनिक तरह के सवाल का जवाब मुफ्ती अजहर सलीके से दे रहे हैं। मुफ्ती साहब की तकरीर के बाद मेहताब अनवर ने  सवाल किया कि इंजेक्श...

इफ्तार का दस्तरखान : मिट्टी के बर्तन और हर एक नेवाले में 50 घरों का स्वाद

-अधिकतर मस्जिदों व दरगाहों में रोजादार मिट्टी के बर्तन में करते हैं इफ्तार -इस इफ्तारी के आगे छप्पन भोग भी फेल सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। मुकद्दस रमजान में रोजेदार के लिए इफ्तार का समय अहम होता हैं। रोजेदार को खुदा के दिए हुए हलाल रिज्क से रोजा इफ्तार करना होता हैं। इसी इफ्तार में छुपी हुई हैं इस्लामी संस्कृति की एक अहम परंपरा। यह परंपरा मुकद्दस रमजान के तीस दिनों तक जारी रहती हैं। गरीब-अमीर सब इसमें शामिल होते हैं। इस परम्परा का मकसद सिर्फ मोहब्बत बांटकर सवाब कमाना हैं। यह संस्कृति आपको कश्मीर से कन्या कुमारी तक, हिन्दुस्तान के एक कोने से दुनिया के आखिरी कोने तक एक समान रुप से मिलेगी। यह संस्कृति हैं मुकद्दस रमजान  में घरों में तैयार इफ्तारी को मस्जिदों, दरगाहों में पहुंचाने की। यह कई सौ साल से चली आ रही परंपरा हैं। इसका मकसद हैं कि मुकद्दस रमजान में कोई भी शख्स शाम के वक्त भूखा न रहे, बल्कि बेहतरीन से बेहतरीन लुक्मा (नेवाला) उसके हलक से नीचे उतरे। यकीन जानिए शहर की किसी भी मस्जिद या दरगाह पर चलें जाईये करीब 30-50 घर से तैयार इफ्तारी आपको एक दस्तरखान व एक रिकाबी (प्लेट) में ...

गोरखपुर : दिल्ली विधानसभा व दिल्ली पुलिस के आईटी हेड अमीर हम्जा से मिलिए, सीएम केजरीवाल भी कद्रदान

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-गोरखपुर के मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया से दिल्ली विधानसभा व दिल्ली पुलिस तक का सफर तय किया अमीर हम्जा ने - सीएम अरविंद केजरीवाल के सामने आधा घंटा में ठीक कर दिया लैपटॉप - दिल्ली पुलिस व दिल्ली विधानसभा का हर एक शख्स हैं हुनर का कायल -मदरसा हुसैनिया में 11 सालों से पढ़ा रहे हैं तरावीह की नमाज सैयद फरहान अहमद गोरखपुर । पांच माह पहले की बात हैं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का लैपटॉप खराब हो गया । स्क्रीन ब्लैक हो गई। कई इंजीनियरों ने देखा और कहां वर्कशाप ले जाना पड़ेगा। दो से तीन दिन का समय लगेगा। सीएम ने कहां मैं इतना इंतेजार नहीं कर पाऊंगा। जरुरी डाक्यूमेंट हैं। तब बुलाया गया 25 वर्षीय मौलाना हाफिज इंजीनियर मोहम्मद अमीर हम्जा को। जिन्होंने सीएम के सामने ही मात्र आधा घंटा में लैपटॉप ठीक कर दिया। सीएम ने भी पीठ थपथपायीं। दिल्ली पुलिस व दिल्ली विधानसभा का हर एक शख्स हैं इनके हुनर का कायल  हैं। करीब दस इंजीनियर इनके अंडर में काम करते हैं। विगत चार सालों से दिल्ली विधानसभा व दिल्ली पुलिस में बतौर आईटी हेड के तौर पर तैनात हैं। दिल्ली विधानसभा के पांच सौ कम्पयूटर, लैपटॉप, प्रिंट...