गोरखपुर : रोजादारों को तुर्की की जानमाज पसंद हैं
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर। माह-ए- रमजान का मुकद्दस महीना अपनी पवित्रता से घर-आंगन ही नहीं, बाजारों की शान भी बढ़ा रहा है। खजूर, तस्बीह, जानमाज, देश-विदेश में बनी टोपियां, मिस्वाक, सुरमा और फिजा को महकाने वाले इत्र की खुशबू से बाजार इन दिनों खिलखिला रहे हैं। इन सभी सामानों की खूब डिमांड है
दरअसल पवित्र माह-ए- रमजान को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के बाजारों में भी खास वस्तुओं की माग बढ़ गई है। इनमें जानमाज, तस्बीह, टोपी, इत्र, मिस्वाक, सुरमा की खरीददारी मुख्य है। जानमाज (वह कपड़ा जिस पर नमाज अदा की जाती हैं या पतला कालीन) से सजी दुकानें बाजार की रौनक बढ़ा रही हैं। नखास स्थित अख्तर बुक डिपो के मालिक अख्तर आलम का कहना है कि हमारे यहां जानमाज की सभी किस्में उपलब्ध हैं।
माह-ए-रमजान का माह चल रहा हैं। बंदे फैजयाब हो रहे हैं। नमाज की पाबंदी हो रही हैं नमाज पढ़ने के लिए लोग तुर्की की जानमाज को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। रमजान माह मे तुर्की की जानमाज पहली पसंद बनी हुई हैं। दूसरे नम्बर पर चायना की जानमाज और तीसरे नम्बर पर भारतीय जानमाज हैं। तुर्की जानमाज में बेहतरीन मखमल लगा हुआ हैं। जो काफी टिकाऊ हैं। डिजाइन भी शानदार हैं। कई रंगों व वेरायटी में बाजार में उपलब्ध हैं। इसकी कीमत 225-1000 रुपया तक आ रही हैं। वहीं चायनीज जानमाज 100-150 रुपये में मिल जा रही हैं। भारतीय जानमाज में भी कई वेरायटी हैं। भारतीय जानमाज दरी, कालीन, मखमल आदि प्रकार में मिल जायेगी । कीमत 75-350 रुपया के बीच हैं। आम दिनों के मुकाबले रमजान में जानमाज ज्यादा बिक रही हैं। अख्तर आलम ने बताया कि रमजान माह में जानमाज
अच्छी तादाद में बिक जाती हैं। एक दुकान से इस माह में करीब 100-150 जानमाज बिक जा रही हैं। खास तौर पर घरों में महिलाएं जानमाज का उपयोग ज्यादा करती हैं। मस्जिदों में भी इमाम साहब जानमाज पर ही खड़े होकर नमाज पढ़ाते हैं। यह जानमाज दिल्ली, मुंबई व पानीपत से मंगायी जाती हैं।
वहीं मस्जिदों के लिए चटाईयां (नमाज के लिए खास) भी खूब बिक रही हैं। मस्जिदों में इंतजामों की बात करें तो पहले से ही नमाजियों के लिए जानमाजों का इंतजाम किया गया है ताकि किसी भी नमाजी को किसी प्रकार की कोई समस्या न हो। लोग जानमाज खरीदकर मस्जिद में रखवा रहे हैं। लोग रमजान माह में मस्जिदों में चटाईयां भेजते हैं। मुस्लिम मुसाफिर खाना व जामा मस्जिद उर्दू बाजार के पास यह चटाईयां मिलती हैं।
रमजान का महीना हो और बाजार में भीड़ न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। बाजार में लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा है। बाजार में हिजाब, स्कार्फ, नकाब, स्टोल, लेडीज चादर और दुपट्टा भी लोगों की चाहत में शुमार हैं।
गोरखपुर। माह-ए- रमजान का मुकद्दस महीना अपनी पवित्रता से घर-आंगन ही नहीं, बाजारों की शान भी बढ़ा रहा है। खजूर, तस्बीह, जानमाज, देश-विदेश में बनी टोपियां, मिस्वाक, सुरमा और फिजा को महकाने वाले इत्र की खुशबू से बाजार इन दिनों खिलखिला रहे हैं। इन सभी सामानों की खूब डिमांड है
दरअसल पवित्र माह-ए- रमजान को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के बाजारों में भी खास वस्तुओं की माग बढ़ गई है। इनमें जानमाज, तस्बीह, टोपी, इत्र, मिस्वाक, सुरमा की खरीददारी मुख्य है। जानमाज (वह कपड़ा जिस पर नमाज अदा की जाती हैं या पतला कालीन) से सजी दुकानें बाजार की रौनक बढ़ा रही हैं। नखास स्थित अख्तर बुक डिपो के मालिक अख्तर आलम का कहना है कि हमारे यहां जानमाज की सभी किस्में उपलब्ध हैं।
माह-ए-रमजान का माह चल रहा हैं। बंदे फैजयाब हो रहे हैं। नमाज की पाबंदी हो रही हैं नमाज पढ़ने के लिए लोग तुर्की की जानमाज को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। रमजान माह मे तुर्की की जानमाज पहली पसंद बनी हुई हैं। दूसरे नम्बर पर चायना की जानमाज और तीसरे नम्बर पर भारतीय जानमाज हैं। तुर्की जानमाज में बेहतरीन मखमल लगा हुआ हैं। जो काफी टिकाऊ हैं। डिजाइन भी शानदार हैं। कई रंगों व वेरायटी में बाजार में उपलब्ध हैं। इसकी कीमत 225-1000 रुपया तक आ रही हैं। वहीं चायनीज जानमाज 100-150 रुपये में मिल जा रही हैं। भारतीय जानमाज में भी कई वेरायटी हैं। भारतीय जानमाज दरी, कालीन, मखमल आदि प्रकार में मिल जायेगी । कीमत 75-350 रुपया के बीच हैं। आम दिनों के मुकाबले रमजान में जानमाज ज्यादा बिक रही हैं। अख्तर आलम ने बताया कि रमजान माह में जानमाज
अच्छी तादाद में बिक जाती हैं। एक दुकान से इस माह में करीब 100-150 जानमाज बिक जा रही हैं। खास तौर पर घरों में महिलाएं जानमाज का उपयोग ज्यादा करती हैं। मस्जिदों में भी इमाम साहब जानमाज पर ही खड़े होकर नमाज पढ़ाते हैं। यह जानमाज दिल्ली, मुंबई व पानीपत से मंगायी जाती हैं।
वहीं मस्जिदों के लिए चटाईयां (नमाज के लिए खास) भी खूब बिक रही हैं। मस्जिदों में इंतजामों की बात करें तो पहले से ही नमाजियों के लिए जानमाजों का इंतजाम किया गया है ताकि किसी भी नमाजी को किसी प्रकार की कोई समस्या न हो। लोग जानमाज खरीदकर मस्जिद में रखवा रहे हैं। लोग रमजान माह में मस्जिदों में चटाईयां भेजते हैं। मुस्लिम मुसाफिर खाना व जामा मस्जिद उर्दू बाजार के पास यह चटाईयां मिलती हैं।
रमजान का महीना हो और बाजार में भीड़ न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। बाजार में लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा है। बाजार में हिजाब, स्कार्फ, नकाब, स्टोल, लेडीज चादर और दुपट्टा भी लोगों की चाहत में शुमार हैं।
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