गोरखपुर : बैतुल मुकद्दस की आजादी के लिए दुआ में उठे लाखों हाथ
अलविदा में हुई बैतुल मुकद्दस की आजादी की दुआ
-बंदों ने अल्लाह की बारगाह में किया सज्दा
गोरखपुर। मुकद्दस रमजान माह के आखिरी जुमा (अलविदा) की नमाज शहर की विभिन्न मस्जिदों में अदा की गयी। बैतुल मुकद्दस की आजादी, यहूद व नसारा के जुल्म से निजात, देश में अमन चैन, तरक्की व फलीस्तीन, सीरिया, म्यांमार, इराक सहित दुनिया के अन्य मुल्कों में मुसलमानों पर हो रहे जुल्म को रोकने की अल्लाह से रो-रो कर इल्तिजा की गयी। मुसलमानों के चेहरे पर रमजान के जाने का गम साफ नजर आया। लबों पर जहन्नम से निजात व मगफिरत की दुआएं थीं। रमजान के आखिरी जुमा (अलविदा) पर शहर में यह नजारा आम रहा । इससे पहले लोगों ने जुमा का गुस्ल किया। नहा धोकर नये कपड़े पहन सिर पर टोपी लगायी हाथों में मुसल्ला लिया। वक्त से पहले नमाजी मस्जिद में पहुंच गये । बच्चे, बूढ़े, नौजवान सभी का मकसद पहली सफ में जगह पाना रहा। जिसको जहां जगह मिली वहां पर बैठकर अल्लाह की इबादत शुरू की। अजान होने के पहले मस्जिदें भरनी शुरू हो गयी। अजान तक मस्जिदें पूरी भर गयी । इसके बाद लोगों ने सड़कों पर जगह ली। मस्जिद कमेटी ने नमाजियों की कसीर तादाद के मद्देनजर दरी वगैरह का इंतेजाम किया।
रोजेदारों ने अलविदा के दिन सलातुल तस्बीह पढ़ी, कुरआन की तिलावत की। गुनाहों की माफी मांगी। खुदा से इल्तिजा कि फिर अता हो माह-ए- रमजान। अलविदा या जुमातुल विदा के मौके पर ईद जैसा माहौल नजर आया।
जुमा की नमाज से पहले अलविदा का खुतबा पढ़ा गया। उसमें रमजान के फजाइल बयान किये गये। रमजान के जाने का दर्द बयां किया गया। जुमा की दो रकात फर्ज नमाज इमाम ने पढ़ायी। इमाम ने खुशूसी दुआं मांगी। फिर सुन्नत व नफ्ल नमाज का दौर शुरु हुआ। इसके बाद नबी-ए-पाक पर सलातो सलाम "या नबी सलाम अलैका" पढ़ा गया। फिर दुआ हुई ’’ या इलाही हर जगह तेरी अता का साथ हो, जब पड़े मुश्किल शहे मुश्किल कुशा का साथ हो’’ । मुसलमानों ने एक दूसरे से हाथ मिला अलविदा की मुबारकबाद पेश की।
-उलेमा ने बयान किए रमजान के फजायल
नमाज के दौरान गाजी मस्जिद गाजी रौजा में मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने तकरीर में रमजान के फजायल बयान किए । उन्होंने कहा कि रमजान का महीना रहमत व बरकत से मामूर है। इसकी हर घड़ी रहमत से सराबोर है। रमजान रूखसत होने वाला है। हमें चाहिए कि बचे दिनों में खुदा की इबादत कर अपने गुनाहों की मग्फिरत करा लें। पेश इमाम हाफिज रेयाज अहमद ने जुमा का खुतबा पढ़ा इसके बाद नमाज पढ़ायी फिर खुशूसी दुआ की।
गौसिया मस्जिद छोटे काजीपुर के मौलाना मोहम्मद अहमद ने कहा कि आपसी भाईचारा को कायम रखिए। फित्रा व जकात जल्द निकाल दीजिए। रमजान की बची रातों में इबादत कर दुआएं मांगे, गुनाहों से तौबा करें। शब-ए-कद्र में जरूर जाग कर इबादत करें।
मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर में हाफिज अफजल बरकाती ने जकात के फजायल बयान किए। नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर के मौलाना मोहम्मद असलम रजवीं ने रमजान के फजायल बयान किए।
मुस्लिम घरों में सुबह से होने लगी तैयारी
मुस्लिम घरों में लोग सुबह उठकर अलविदा की तैयारी में जुट गये। मस्जिदों व घरों में साफ-सफाई शुरू होने लगी। उसके बाद अलविदा की तैयारी शुरु हुई। अलविदा के मौके पर घरों में महिलाओं ने नमाज, तिलावत-ए-कलाम पाक व तस्बीह कर अल्लाह से दुआएं मांगी। नमाज के बाद लोग इफ्तारी की तैयारी में जुट गये। शाम को सभी ने मिलकर रोजा इफ्तार किया अल्लाह से अपने लिए खैर की दुआं मांगी। यानी पूरा अलविदा खुदा की इबादत में गुजारा।
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तल्हा व तस्मिया ने रखा पहला रोजा
गोरखपुर। तिवारीपुर निवासी मोहम्मद ताहिर व नगमा के 10 वर्षीय पुत्र मोहम्मद तल्हा व 12 वर्षीय पुत्री तस्मिया ने अलविदा के रोज पहला रोजा रखा। दोनों ने मिलकर दिन भर खूब इबादत की। शाम को रोजा कुशाई हुई जिसमें हाजी मोहम्मद युसुफ, ताहेरा खातून, तैय्यबा खातून, इरफान अहमद, मोहम्मद आजम, नौशीन फातिमा, हंजला, हम्माद, ताबिश, नूर फातिमा, मोहम्मद खालिक, दानिश, अदनान, मसजूद, उजमा, इल्मा, हिना, आंजल, सांजल ने दोनों बच्चों का हौसला बढ़ाते हुए तोहफो व दुआओं से नवाजा।
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ईद के लिए सज गया शाहमारूफ
गोरखपुर।
रमजान माह हर तरफ नूरानी शमां लिये आता है। यह नूरानियत ईद तक बदस्तूर जारी रहती है। रमजान की आमद पर जहां इबादतगाहें गुलजार होती है और खुदा की रजा में बंदे लगे रहते है। उसी तरह ईद की खुशियां मनाने के लिए भी खासा एहतमाम किया जाता है, क्योंकि ईद खुशी का पैगाम लाती है। वैसे तो रमजान के आमद से ही खरीदारी शूरु हो जाती है। कुर्ता पायजामा, शर्ट-पैंट, सलवार सूट के कपड़े पहले से खरीद लिये जाते है, क्योंकि दर्जियों के पास इतना ज्यादा आर्डर आ जाता है कि समय से कपड़ा मिलना मुश्किल हो जाता हैं । इसलिए रमजान शुरु होते ही कपड़े सिलने के लिए दे दिये जाते है। 15 रमजान के बाद तो दर्जी कपड़ा लेने से मना कर देते हे। लेकिन रेडीमेड कपडों की बिक्री चांद रात तक चलती रहती है। आइये हम लिये चलते है उन जगहों पर जो रमजान की खरीदारी के लिए मशहूर है जहां हर रेंज वेरायटी व बजट में फिट आने वाली चीजें मिल जायेंगी।
लखनऊ के अमीनाबाद सरीखा जैसा नजारा जनपद के शाहमारूफ बाजार मे 20वीं रमजान से शुरु हो जाता है। अगर इस बाजार को हम गोरखपुर का अमीनाबाद कहे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। रेतीरोड मदीना मस्जिद से लगायत शाहमारूफ, घंटाघर, गीता प्रेस एक दूसरे से सटे हुये। ईद की ज्यादातर खरीदारी लोग यहीं से करना पसंद करते है। क्योंकि यहां गोलघर की अपेक्षा कपड़े सस्ते व बजट में मिल जाते है। अब हम बात करते है शाहमारूफ बाजार की जहां हमेशा चहलपहल बनी रहती है लेकिन रमजान की आमद पर यहां का नजारा देखते ही बनता है। 20वीं रमजान के बाद यहां लगने वाला बाजार बरबस ही लोगों को अपनी ओर अकर्षित करता है। हर किस्म की दुकानें रेडीमेड कुर्ता पायजामा से लेकर बर्तन तक आपकों उचित रेट में मिल जायेगा। शाम होते यह मार्केट खचाखच भीड़ से पट जाता है। तिल रखने की जगह नहीं बचती है। ऐसा महसूस होता कि अमीनाबाद में आ गये है। इस मार्केट खास तौर पर ईद के लिये सजाया जाता है। यह हर मजहब, अमीर गरीब की पसंदीदा मार्केट बन जाती है। सभी कुछ ने कुछ खरीदना चाहते है। मार्केट में रेडीमेड कपड़े, जूता चप्पल, प्लास्टिक के बर्तन,शीशे के सामान, टोपी, इत्र, आटोफिशियल ज्वैलरी, बेल्ट, चश्मा, चूड़ी, सजावट के लिये प्लास्टिक के फूल उचित मूल्य पर मिल जायेगें। दुकानदार भी इस दिन का इंतजार करते है कि अपना बचा स्टाक खत्म कर लिया जाये।
सुबह दुकान खुुलती है तो देर रात तक चलती रहती है ।
चांद रात वाले दिन तो यहां की फिजा ही बदली बदली रहती है। सारे सामानों के दामों काफी छुट मिलती है।दुकानदार अपना सारा सामान निकालने के चक्कर में रहते है। पूरी रात यह सिलसिला चलता रहता है। पता ही नहीं चलता है कि रात कब खत्म हो गयी। इसी तरह का नजारा जाफरा बाजार, गोरखनाथ के पास भी नजर आता है। वहां भी खरीददारों की भीड़ लगी रहती है। ईद की आमद बस होने वाली है। ऐसे में उक्त बाजारों की रौनक बढ़ गयी है।
बैतुल मुक़द्दस को आज़ाद कराने की मुहिम है क़ुद्स डे : मौलाना आज़मी
गोरखपुर। बैतुल मुकद्दस और मुसलमानो के किब्ला अव्वल पर इजराइल के कब्ज़े और फिलिस्तीनी मुसलमानो पर हो रहे ज़ुल्म के खिलाफ शुक्रवार को शिया जामा मस्जिद गोरखपुर में अलविदा जुमा की नमाज़ के बाद अंतर्राष्ट्रीय क़ुद्स डे (यौम अल क़ुद्स) मनाया गया। बताते चले की क़ुद्स डे का मतलब होता है मज़लूमो का दिन। इसकी शुरुआत ईरान क्रांति के सर्वोच्च लीडर व शिया धर्मगुरु आयतुल्लाह ख़ुमैनी ने किया था।
इस अवसर पर इमाम जमात जुमा शिया जामा मस्जिद मौलाना शबीहुल हसन आज़मी ने कहा कि बैतुल मुकद्दस और मुसलमानो के किब्ला अव्वल जैसी मुबारक जगहों पर अमेरीकी सरकार की साजिशों से इज्राईीलियों ने कब्जा कर रखा है। उन्होेने फिलिस्तीन के निवासियों पर जुल्म व सितम के पहाड़ तोड़ रखे हैं जिसका उदाहरण पूरी दुनिया में नही मिलती। वह निर्दोष फिलिस्तीनी मुसलमानों का कत्ल-ए-आम कर रहे हैं।
मौलाना ने कहा कि जब तक फिलिस्तीनी मुसलमानों के साथ न्याय नही होगा उस वक्त तक दुनिया में सही अर्थो में न्याय नही होगा। मौलाना ने इराक, शाम, यमन म्यांमार, चीन, और दुनिया के अलग अलग हिस्सों में मुसलमानों पर हो रहे अन्याय पर चिंता प्रकट की। इस अवसर पर जुमा नमाज़ के बाद मस्जिद के बाहर एक सांकेतिक प्रदर्शन किया गया जिसमें मुंतज़िर, तालिब, सोनू, रशीद, शनन्न, अहमर रिज़वी एडवोकेट, एजाज़ रिज़वी एडवोकेट, सिब्ते हसन आदि मौजूद रहे।
-बंदों ने अल्लाह की बारगाह में किया सज्दा
गोरखपुर। मुकद्दस रमजान माह के आखिरी जुमा (अलविदा) की नमाज शहर की विभिन्न मस्जिदों में अदा की गयी। बैतुल मुकद्दस की आजादी, यहूद व नसारा के जुल्म से निजात, देश में अमन चैन, तरक्की व फलीस्तीन, सीरिया, म्यांमार, इराक सहित दुनिया के अन्य मुल्कों में मुसलमानों पर हो रहे जुल्म को रोकने की अल्लाह से रो-रो कर इल्तिजा की गयी। मुसलमानों के चेहरे पर रमजान के जाने का गम साफ नजर आया। लबों पर जहन्नम से निजात व मगफिरत की दुआएं थीं। रमजान के आखिरी जुमा (अलविदा) पर शहर में यह नजारा आम रहा । इससे पहले लोगों ने जुमा का गुस्ल किया। नहा धोकर नये कपड़े पहन सिर पर टोपी लगायी हाथों में मुसल्ला लिया। वक्त से पहले नमाजी मस्जिद में पहुंच गये । बच्चे, बूढ़े, नौजवान सभी का मकसद पहली सफ में जगह पाना रहा। जिसको जहां जगह मिली वहां पर बैठकर अल्लाह की इबादत शुरू की। अजान होने के पहले मस्जिदें भरनी शुरू हो गयी। अजान तक मस्जिदें पूरी भर गयी । इसके बाद लोगों ने सड़कों पर जगह ली। मस्जिद कमेटी ने नमाजियों की कसीर तादाद के मद्देनजर दरी वगैरह का इंतेजाम किया।
रोजेदारों ने अलविदा के दिन सलातुल तस्बीह पढ़ी, कुरआन की तिलावत की। गुनाहों की माफी मांगी। खुदा से इल्तिजा कि फिर अता हो माह-ए- रमजान। अलविदा या जुमातुल विदा के मौके पर ईद जैसा माहौल नजर आया।
जुमा की नमाज से पहले अलविदा का खुतबा पढ़ा गया। उसमें रमजान के फजाइल बयान किये गये। रमजान के जाने का दर्द बयां किया गया। जुमा की दो रकात फर्ज नमाज इमाम ने पढ़ायी। इमाम ने खुशूसी दुआं मांगी। फिर सुन्नत व नफ्ल नमाज का दौर शुरु हुआ। इसके बाद नबी-ए-पाक पर सलातो सलाम "या नबी सलाम अलैका" पढ़ा गया। फिर दुआ हुई ’’ या इलाही हर जगह तेरी अता का साथ हो, जब पड़े मुश्किल शहे मुश्किल कुशा का साथ हो’’ । मुसलमानों ने एक दूसरे से हाथ मिला अलविदा की मुबारकबाद पेश की।
-उलेमा ने बयान किए रमजान के फजायल
नमाज के दौरान गाजी मस्जिद गाजी रौजा में मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने तकरीर में रमजान के फजायल बयान किए । उन्होंने कहा कि रमजान का महीना रहमत व बरकत से मामूर है। इसकी हर घड़ी रहमत से सराबोर है। रमजान रूखसत होने वाला है। हमें चाहिए कि बचे दिनों में खुदा की इबादत कर अपने गुनाहों की मग्फिरत करा लें। पेश इमाम हाफिज रेयाज अहमद ने जुमा का खुतबा पढ़ा इसके बाद नमाज पढ़ायी फिर खुशूसी दुआ की।
गौसिया मस्जिद छोटे काजीपुर के मौलाना मोहम्मद अहमद ने कहा कि आपसी भाईचारा को कायम रखिए। फित्रा व जकात जल्द निकाल दीजिए। रमजान की बची रातों में इबादत कर दुआएं मांगे, गुनाहों से तौबा करें। शब-ए-कद्र में जरूर जाग कर इबादत करें।
मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर में हाफिज अफजल बरकाती ने जकात के फजायल बयान किए। नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर के मौलाना मोहम्मद असलम रजवीं ने रमजान के फजायल बयान किए।
मुस्लिम घरों में सुबह से होने लगी तैयारी
मुस्लिम घरों में लोग सुबह उठकर अलविदा की तैयारी में जुट गये। मस्जिदों व घरों में साफ-सफाई शुरू होने लगी। उसके बाद अलविदा की तैयारी शुरु हुई। अलविदा के मौके पर घरों में महिलाओं ने नमाज, तिलावत-ए-कलाम पाक व तस्बीह कर अल्लाह से दुआएं मांगी। नमाज के बाद लोग इफ्तारी की तैयारी में जुट गये। शाम को सभी ने मिलकर रोजा इफ्तार किया अल्लाह से अपने लिए खैर की दुआं मांगी। यानी पूरा अलविदा खुदा की इबादत में गुजारा।
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तल्हा व तस्मिया ने रखा पहला रोजा
गोरखपुर। तिवारीपुर निवासी मोहम्मद ताहिर व नगमा के 10 वर्षीय पुत्र मोहम्मद तल्हा व 12 वर्षीय पुत्री तस्मिया ने अलविदा के रोज पहला रोजा रखा। दोनों ने मिलकर दिन भर खूब इबादत की। शाम को रोजा कुशाई हुई जिसमें हाजी मोहम्मद युसुफ, ताहेरा खातून, तैय्यबा खातून, इरफान अहमद, मोहम्मद आजम, नौशीन फातिमा, हंजला, हम्माद, ताबिश, नूर फातिमा, मोहम्मद खालिक, दानिश, अदनान, मसजूद, उजमा, इल्मा, हिना, आंजल, सांजल ने दोनों बच्चों का हौसला बढ़ाते हुए तोहफो व दुआओं से नवाजा।
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ईद के लिए सज गया शाहमारूफ
गोरखपुर।
रमजान माह हर तरफ नूरानी शमां लिये आता है। यह नूरानियत ईद तक बदस्तूर जारी रहती है। रमजान की आमद पर जहां इबादतगाहें गुलजार होती है और खुदा की रजा में बंदे लगे रहते है। उसी तरह ईद की खुशियां मनाने के लिए भी खासा एहतमाम किया जाता है, क्योंकि ईद खुशी का पैगाम लाती है। वैसे तो रमजान के आमद से ही खरीदारी शूरु हो जाती है। कुर्ता पायजामा, शर्ट-पैंट, सलवार सूट के कपड़े पहले से खरीद लिये जाते है, क्योंकि दर्जियों के पास इतना ज्यादा आर्डर आ जाता है कि समय से कपड़ा मिलना मुश्किल हो जाता हैं । इसलिए रमजान शुरु होते ही कपड़े सिलने के लिए दे दिये जाते है। 15 रमजान के बाद तो दर्जी कपड़ा लेने से मना कर देते हे। लेकिन रेडीमेड कपडों की बिक्री चांद रात तक चलती रहती है। आइये हम लिये चलते है उन जगहों पर जो रमजान की खरीदारी के लिए मशहूर है जहां हर रेंज वेरायटी व बजट में फिट आने वाली चीजें मिल जायेंगी।
लखनऊ के अमीनाबाद सरीखा जैसा नजारा जनपद के शाहमारूफ बाजार मे 20वीं रमजान से शुरु हो जाता है। अगर इस बाजार को हम गोरखपुर का अमीनाबाद कहे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। रेतीरोड मदीना मस्जिद से लगायत शाहमारूफ, घंटाघर, गीता प्रेस एक दूसरे से सटे हुये। ईद की ज्यादातर खरीदारी लोग यहीं से करना पसंद करते है। क्योंकि यहां गोलघर की अपेक्षा कपड़े सस्ते व बजट में मिल जाते है। अब हम बात करते है शाहमारूफ बाजार की जहां हमेशा चहलपहल बनी रहती है लेकिन रमजान की आमद पर यहां का नजारा देखते ही बनता है। 20वीं रमजान के बाद यहां लगने वाला बाजार बरबस ही लोगों को अपनी ओर अकर्षित करता है। हर किस्म की दुकानें रेडीमेड कुर्ता पायजामा से लेकर बर्तन तक आपकों उचित रेट में मिल जायेगा। शाम होते यह मार्केट खचाखच भीड़ से पट जाता है। तिल रखने की जगह नहीं बचती है। ऐसा महसूस होता कि अमीनाबाद में आ गये है। इस मार्केट खास तौर पर ईद के लिये सजाया जाता है। यह हर मजहब, अमीर गरीब की पसंदीदा मार्केट बन जाती है। सभी कुछ ने कुछ खरीदना चाहते है। मार्केट में रेडीमेड कपड़े, जूता चप्पल, प्लास्टिक के बर्तन,शीशे के सामान, टोपी, इत्र, आटोफिशियल ज्वैलरी, बेल्ट, चश्मा, चूड़ी, सजावट के लिये प्लास्टिक के फूल उचित मूल्य पर मिल जायेगें। दुकानदार भी इस दिन का इंतजार करते है कि अपना बचा स्टाक खत्म कर लिया जाये।
सुबह दुकान खुुलती है तो देर रात तक चलती रहती है ।
चांद रात वाले दिन तो यहां की फिजा ही बदली बदली रहती है। सारे सामानों के दामों काफी छुट मिलती है।दुकानदार अपना सारा सामान निकालने के चक्कर में रहते है। पूरी रात यह सिलसिला चलता रहता है। पता ही नहीं चलता है कि रात कब खत्म हो गयी। इसी तरह का नजारा जाफरा बाजार, गोरखनाथ के पास भी नजर आता है। वहां भी खरीददारों की भीड़ लगी रहती है। ईद की आमद बस होने वाली है। ऐसे में उक्त बाजारों की रौनक बढ़ गयी है।
बैतुल मुक़द्दस को आज़ाद कराने की मुहिम है क़ुद्स डे : मौलाना आज़मी
गोरखपुर। बैतुल मुकद्दस और मुसलमानो के किब्ला अव्वल पर इजराइल के कब्ज़े और फिलिस्तीनी मुसलमानो पर हो रहे ज़ुल्म के खिलाफ शुक्रवार को शिया जामा मस्जिद गोरखपुर में अलविदा जुमा की नमाज़ के बाद अंतर्राष्ट्रीय क़ुद्स डे (यौम अल क़ुद्स) मनाया गया। बताते चले की क़ुद्स डे का मतलब होता है मज़लूमो का दिन। इसकी शुरुआत ईरान क्रांति के सर्वोच्च लीडर व शिया धर्मगुरु आयतुल्लाह ख़ुमैनी ने किया था।
इस अवसर पर इमाम जमात जुमा शिया जामा मस्जिद मौलाना शबीहुल हसन आज़मी ने कहा कि बैतुल मुकद्दस और मुसलमानो के किब्ला अव्वल जैसी मुबारक जगहों पर अमेरीकी सरकार की साजिशों से इज्राईीलियों ने कब्जा कर रखा है। उन्होेने फिलिस्तीन के निवासियों पर जुल्म व सितम के पहाड़ तोड़ रखे हैं जिसका उदाहरण पूरी दुनिया में नही मिलती। वह निर्दोष फिलिस्तीनी मुसलमानों का कत्ल-ए-आम कर रहे हैं।
मौलाना ने कहा कि जब तक फिलिस्तीनी मुसलमानों के साथ न्याय नही होगा उस वक्त तक दुनिया में सही अर्थो में न्याय नही होगा। मौलाना ने इराक, शाम, यमन म्यांमार, चीन, और दुनिया के अलग अलग हिस्सों में मुसलमानों पर हो रहे अन्याय पर चिंता प्रकट की। इस अवसर पर जुमा नमाज़ के बाद मस्जिद के बाहर एक सांकेतिक प्रदर्शन किया गया जिसमें मुंतज़िर, तालिब, सोनू, रशीद, शनन्न, अहमर रिज़वी एडवोकेट, एजाज़ रिज़वी एडवोकेट, सिब्ते हसन आदि मौजूद रहे।
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