नबी का फरमान - जिसका मैं मौला उसके अली मौला : मुफ्ती अजहर



-दरगाह मुबारक खां शहीद मस्जिद में हजरत अली रजियल्लाहु अन्हु की यौमे शहादत पर संगोष्ठी


गोरखपुर। नबी-ए-पाक के दामाद व इस्लाम के चौथे खलीफा हजरत अली रजियल्लाहु अन्हु की शहादत 21 रमजान 40 हिजरी को हुई। नबी ने फरमाया हजरत अली का जिक्र करना इबादत हैं। हजरत अली की शान में  खूब कहा गया हैं - " शाहे मरदा शेरे यजदा कुव्वते परवरदिगार, ला फतह इल्ला अली ला सैफा इल्ला जुल्फिकार"। नबी-ए-पाक का फरमान हैं कि जिसका मैं मौला, अली भी उसके मौला। जिसका मैं आका, अली भी उसके आका।जिसका मैं रहबर, अली भी उसके रहबर। जिसका मैं मददगार, अली भी उसके मददगार।

उक्त बातें मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने नार्मल स्थित दरगाह मुबारक खां शहीद मस्जिद में हजरत अली रजियल्लाहु अन्हु की यौमे शहादत के मौके पर आयोजित संगोष्ठी में कहीं ।

उन्होंने कहा कि नबी-ए-पाक ने फरमाया कि मैं इल्म का शहर हूं और अली उसके दरवाजा हैं। अब जो इल्म से फायदा उठाना चाहता हैं वह बाबे इल्म (हजरत अली)  से दाखिल हो।  हजरत अली की शान बयान करने के लिए किसी दलील की जरुरत नहीं हैं। बस इतना ही काफी हैं कि आप खाना-ए-काबा में पैदा हुए। आप दामादे रसूल हैं और दो जन्नती जवानों के सरदार के वालिद हैं। खातूने जन्नत के शौहर हैं। बच्चों में सबसे पहले ईमान लाने वाले हैं।


मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने हजरत अली की शान में कहा कि इल्म का गौहर आपके खानदान से निकला। विलायत की शुरुआत आपके खानदान से हुई। हजरत अली फरमाते हैं कि अल्लाह की कसम मैं कुरआन की आयतों के बारे में सबसे ज्यादा जानने वाला हूं। हजरत अली का बहुत बड़ा मर्तबा हैं। हमें भी हजरत अली के नक्शेकदम पर चलने की पूरी कोशिश करनी चाहिए तभी दुनिया व आखिरत का फायदा होगा।

इस मौके पर कुल शरीफ की रस्म हुई। हजरत अली की रुह को  ईसाले सवाब किया गया। जिसमें मदरसा फैजान-ए-मुबारक खां शहीद के बच्चों ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। इस दौरान दरगाह के  मुतवल्ली इकरार अहमद, मोहम्मद आजम, अली अकबर सिद्दीकी, माजिद अली, जमील अहमद, मो. शाहिद, नबी हुसैन, सालिम, अब्दुल हकीम, शहाबुद्दीन, महबूब आलम, अब्दुल राजिक, मोहम्मद शारिक, हाजी इशा मोहम्मद सहित तमाम लोग मौजूद रहें।

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उर्स के साथ हुआ रोजा इफ्तार

गोरखपुर। निजामपुर भरपुरवां स्थित आस्ताने पर हजरत शफीक शाह व हजरत कारी रहीम शाह रहमतुल्लाह अलैह का उर्स सेराजुद्दीन अंसारी के नेतृत्व में शनिवार को सम्पन्न हुआ। अकीदतमंदों ने चादर चढ़ायीं। इस मौके पर सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन हुआ। इस दौरान मोहम्मद आजम, मोहम्मद तारिक वारसी, इजहार, जरगाम, जावेद सिमनानी, ख्वाजा शम्सुद्दीन, मोबस्सिर अली, नसीम अहमद, पप्पू वारसी सहित तमाम लोग मौजूद रहे। इसी क्रम में महेवा मछली मंडी में सामूहिक रोजा इफ्तार भुवनेश्वर प्रसाद सिंह द्वारा आयोजित हुआ।

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रोजा इफ्तार आज

बेनीगंज ईदगाह में सामूहिक रोजा इफ्तार 18 जून को आयोजित हैं। यह जानकारी इसरार अहमद व मोहम्मद आजम ने संयुक्त रुप से दी

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-अल्लाह नवाजता रहमतों बरकतों से

तंजीम कारवाने अहले सुन्नत के बानी मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने बताया कि इस्लाम के पांच बुनियादी वसूल में रोजा भी एक है और इस अमल के लिए माह-ए-रमजान मुकर्रर किया गया। पाक परवरदिगार भी इबादत गुजार रोजेदार बंदे को बदले में रहमतों और बरकतों से नवाजता है।


-अल्लाह से करीब होने का मौका

मदरसा अध्यापक मोहम्मद आजम कहते हैं कि इस महीने में एक रकात नमाज पढने का सवाब 70 गुना हो जाता है, इसी पाक महीने में कुरआन शरीफ नाजिल हुआ। रमजान का मुबारक महीना और फिजां में घुली रुहानियत से दुनियां सराबोर हो रही है, ऐसा लगता है के चारो तरफ नूर की बारिश हो रही हो। यह महीना बंदे को तमाम बुराइयों से दूर रखकर अल्लाह के करीब होने का मौका देता है। इस माह में रोजा रखकर रोजेदार न केवल खाने-पीने कि चीजों से परहेज करता है बल्कि तमाम बुराइयों से भी परहेज कर अल्लाह की इबादत करता है।

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