आप आईये माह-ए-रमजान की क्लास में, पूछिए मसला मिलेगा जवाब



-दरगाह मुबारक खां शहीद पर आधुनिक समस्याओं का हल कुरआन व हदीस से


सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर। नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां की मस्जिद में  पहले रोजे से माह-ए-रमजान की क्लास चल रही है । जिसमें  20 साल के नौजवान से लेकर 70 साल के बुजुर्ग भी शामिल हो रहे है । नौजवानों की ज्यादा तादाद बता रही है कि उन्हें दीन की बातें सीखने की ललक हैं। तीस रोज की क्लास  के अध्यापक है मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी। संचालन कर रहे हैं मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही।

जब दोपहर की जोहर नमाज खत्म होती है तो शुरु हो जाती है रमजान की क्लास। जो करीब 45 मिनट की होती हैं। जिसमें 30 मिनट कुरआन व हदीस से मजहब की बारीकियां बतायी जाती है और 15 मिनट लोगों के सवाल का जवाब दलील के साथ दिया जाता हैं। कुछ लोग सवाल  लिखकर लाते हैं कुछ लोग वहीं पूछते हैं। पहले दिन से ही यहां दीन सीखने वालों की भीड़ जुट रही है।  प्रतिदिन करीब 100-150 लोग जुटते हैं। क्लास में आधुनिक तरह के सवाल का जवाब मुफ्ती अजहर सलीके से दे रहे हैं।


मुफ्ती साहब की तकरीर के बाद मेहताब अनवर ने  सवाल किया कि इंजेक्शन लगवाने, ग्लूकोज चढ़वाने, चेकअप के लिए खून निकलवाने से क्या रोजा टूट जाता हैं। मुफ्ती साहब ने बताया कि जरुरते शरई के बिना पर  इंजेक्शन लगवाना, खून चढ़वाना, खून निकलवाना, ग्लूकोज चढ़वाना जायज हैं, इससे रोजा नहीं टूटेगा। इंजेक्शन चाहे नस में लगवाया जायें या गोश्त में। अगर किसी का एक्सीटेंड हो जाने से खून निकल जायें तब भी रोजा नहीं टूटता। चेकअप के लिए खून निकलवाया जा सकता हैं।


नूर मोहम्मद दानिश ने पूछा कि जो लोग किसी बीमारी, मजबूरी या बुढ़ापे की वजह से  रोजा नहीं रख पाते हैं उनके लिए शरई  हुक्म क्या हैं। मुफ्ती साहब ने जवाब दिया वह लोग एक रोजे के बदले किसी गरीब को दो वक्त का खाना खिलायें या उसकी कीमत अदा करें।


चैन वाली घड़ी पहन कर नमाज पढ़ने का सवाल गुलाम मोहम्मद ने किया तो मुफ्ती साहब ने बताया कि चैन वाली घड़ी पहनकर नमाज पढ़ना उचित नहीं हैं यह मकरुहें तहरीमी है नमाज दोबारा पढ़नी होगी।


मोहम्मद आसिफ ने सवाल किया कि अगर वुजू करते समय हलक में पानी चला जायें तो क्या रोजा टूट जाता है। इस पर मुफ्ती साहब ने बताया कि वुजू करते समय हलक से पानी नीचे उतरने से रोजा टूट जायेगा। यह रोजा अन्य दिनों में फिर से रखना होगा।


इसी तरह जीपीएफ व जीवन बीमा पर जकात, वाशिंग  मशीन में कपड़ा कैसे पाक करें, पुरुषों का अंगूठी पहनना, शेयर बाजार, बचत खाता पर ब्याज, सदका फित्रा व जकात, इत्र, तेल लगाना सहित  तमाम मसायल का हल मिनटों में दलील के साथ दिया जा रहा हैं।


पहले दिन क्लास में इल्म की अहमियत बतायी गयी। दूसरे दिन वुजू और गुस्ल का तरीका बताया गया साथ ही पाकी व  नापाकी का बयान हुआ।तीसरे दिन नजासतें गलीजा व नजासतें खफीफा का बयान हुआ।चौथे दिन नमाज की शर्त व फरायज का बयान हुआ।पांचवें दिन नमाज का तरीका बताया गया। नमाज के वाजिबात व सुन्नतों को बताया गया। छठवें दिन रमजान की फजीलत व रमजान के मसायल बयान किये गये। मंगलवार दसवें दिन भी रमजान से सबंधित तमाम मसलों पर रोशनी डालीं गयीं। आगे कि क्लास में भी जकात, सदका-ए-फित्र व शरई अहकाम सहित तमाम जरुरी चीजों के बारे में बताया जायेगा। इसी तरह तीसों दिन विभिन्न टॉपिक पर बयान होगा।


-मोहम्मद अहमद ने बताया कि इस तरह की क्लास से काफी फायदा मिल रहा है। नये-नये मसलों का हल आसानी से हो रहा हैं।


-मोहम्मद सैफ ने कहा कि काफी फायदा हो रहा है रोजा, नमाज, जकात के बारे में तफसील से जानकारी मिल रही है।



दीन का इल्म हासिल करना जरुरी हैं

मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने बताया कि इल्म हासिल करना जरुरी है। इस्लाम के अरकान की ठीक ढ़ग से अदायगी के लिए क्लास चलायी जा रही हैं। नौजवानों से लेकर बुजुर्गों में काफी उत्साह हैं। करीब सौ से ज्यादा लोग प्रतिदिन शिरकत कर रहे हैं। दीन को समझने और उस पर अमल करने के प्रति लोगों में उत्साह है और सबसे बड़ी बात की लोगों के तमाम तरह के मसायल एक छत के नीचे हल किये जा रहे हैं। लोग बिना झिझक के सवाल कर रहे हैं। इसके अलावा दरगाह की हेल्पलाइन पर भी सवालों के जवाब दिए जा रहे हैं।

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