गोरखपुर : दिल्ली विधानसभा व दिल्ली पुलिस के आईटी हेड अमीर हम्जा से मिलिए, सीएम केजरीवाल भी कद्रदान

-गोरखपुर के मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया से दिल्ली विधानसभा व दिल्ली पुलिस तक का सफर तय किया अमीर हम्जा ने
- सीएम अरविंद केजरीवाल के सामने आधा घंटा में ठीक कर दिया लैपटॉप
- दिल्ली पुलिस व दिल्ली विधानसभा का हर एक शख्स हैं हुनर का कायल
-मदरसा हुसैनिया में 11 सालों से पढ़ा रहे हैं तरावीह की नमाज
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर । पांच माह पहले की बात हैं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का लैपटॉप खराब हो गया । स्क्रीन ब्लैक हो गई। कई इंजीनियरों ने देखा और कहां वर्कशाप ले जाना पड़ेगा। दो से तीन दिन का समय लगेगा। सीएम ने कहां मैं इतना इंतेजार नहीं कर पाऊंगा। जरुरी डाक्यूमेंट हैं। तब बुलाया गया 25 वर्षीय मौलाना हाफिज इंजीनियर मोहम्मद
अमीर हम्जा को। जिन्होंने सीएम के सामने ही मात्र आधा घंटा में लैपटॉप ठीक कर दिया। सीएम ने भी पीठ थपथपायीं। दिल्ली पुलिस व दिल्ली विधानसभा का हर एक शख्स हैं
इनके हुनर का कायल  हैं। करीब दस इंजीनियर इनके अंडर में काम करते हैं। विगत चार सालों से दिल्ली विधानसभा व दिल्ली पुलिस में बतौर आईटी हेड के तौर पर तैनात हैं। दिल्ली विधानसभा के पांच सौ कम्पयूटर, लैपटॉप, प्रिंटर, यूपीएस, सर्वर मशीन, ट्रेसिंग मशीन यानी ए से लेकर जेड तक पूरी जिम्मेदारी इस युवा इंजीनियर के कंधों पर  हैं।

मौलाना हाफिज इंजीनियर अमीर हम्जा एक ऐसा होनहार जिसने मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार गोरखपुर से दिल्ली पुलिस व दिल्ली विधानसभा में आईटी हेड बनने तक का सफर तय किया। अमूमन यह ख्याल किया जाता हैं कि मदरसों से निकलने वाले छात्र या मस्जिद में इमामत करते हैं या फिर मदरसों में अध्यापन। लेकिन अमीर हम्जा ने इंजीनियर बन मदरसा विद्यार्थियों में नई आशा का संचार किया हैं।
फर्राटेदार अंग्रेजी के साथ उर्दू, हिन्दी, अरबी, फारसी पर पकड़ रखने वाले अमीर हर साल रमजान माह में गोरखपुर आते हैं और मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार में सात दिन में हजारों लोगो को तरावीह की नमाज सात दिन में पढ़ाते हैं। मात्र सात दिन में एक कुरआन मुकम्मल करते हैं। यह सिलसिला 11 वर्षों से चल रहा हैं।

छितौनी बाजार कुशीनगर के रहने वाले अमीर की तालीम मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार में हुई। वर्ष 2001 से हाफिज का कोर्स पूर्ण किया। वर्ष 2010 में जमदा शाहीं बस्ती से आलिमयत (इंटर के समक्ष) की तालीम हासिल की। मेरिट के आधार पर इनका चयन जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली में हो गया। जहां से बीए किया। फिर मेरठ की शोभित यूनिवर्सिटी से तीन वर्षीय बीसीए किया। आईटी लाइन में जाने का इरादा था लिहाजा दिल्ली के करौल बैग स्थित एसेट रिसर्च एंड इंस्टीच्यूट्स अप टू चिप लेवल से ढ़ाई साल में आईटी की पढ़ाई पूरी की। एलएनएस टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड जिसका दिल्ली पुलिस व दिल्ली विधानसभा से लाइफ टाइम कान्ट्रेक्ट हैं उसमें काम करने का मौका मिला। फिर तो जिंदगी ने रफ्तार पकड़ ली। कड़ी मेहनत से आईटी हेड का मुकाम हासिल कर लिया।

अमीर बताते हैं कि तीन दिन दिल्ली पुलिस के मुख्यालय बैठना पड़ता हैं और तीन दिन विधानसभा में। दिल्ली पुलिस के सेंट्रल डिस्ट्रिक व नार्थ डिस्ट्रिक की पूरी जिम्मेदारी करीब 400 कम्पयूटर की डाटा से लेकर हर एक मशीन की जिम्मेदारी मिलीं हुई। दस इंजीनियर अधीनस्थ हैं। वहीं दिल्ली विधानसभा की आईटी के करीब 500 कम्पयूटर व अन्य मशीनों की जिम्मेदारी रहती  हैं। दिल्ली पुलिस में एसआई रैंक से ऊपर के डीसीपी, डीआईजी, एएसपी, एसएचओ के कम्पयूटर व लैपटॉप  से जुड़ी समस्या व दिल्ली विधानसभा में असिस्टेंट डायरेक्टर के ऊपर सीएम से लेकर डायरेक्टर तक के अधिकारियों की आईटी से जुड़ी कोई समस्या का हल मुझे करना पड़ता हैं। नीचे के रैंक के अधिकारियों के लिए अधीनस्थ इंजीनियर उपलब्ध रहते हैं। अमीर कहते हैं दिल में लगन हो तो हर मंजिल पायीं जा सकती हैं। जब दिल्ली आया तो काफी स्ट्रगल करनी पड़ी। अंग्रेजी की क्लास करनी पड़ी। बड़ी मेहनत के बाद यह मकाम मिला। अमीर अपनी सफलता में वालिदैन नेमतुल्लाह व शबीजुननिशा व बड़े भाई अमजद अली व छोटे भाई हंजला की अहम भूमिका बतातें हैं।  वहीं उस्ताद कारी फुरकान, मुफ्ती अख्तर हुसैन, मौलाना फरोग का भी शुक्रिया अदा करते हैं

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