गोरखपुर : उलेमा ने बयान की 'फतह मक्का' की दास्तान
-रमजानुल मुबारक का तीसरा जुमा
गोरखपुर। रमाजनुल मुबारक के तीसरे जुमा में उलेमा ने 'फतह मक्का' की दास्तान बयान की। गाजी मस्जिद गाजी रौजा में मुफ्ती अख्तर हुसैन ने तकरीर में कहा कि फतह मक्का एक शानदार फतह थीं। जो रमजानुल मुबारक की 20 तारीख यानी आज ही के दिन हुई। नबी-ए-पाक ने इस फतह से लोगों का दिल जीत लिया । फतह के बाद नबी-ए-पाक ने सबको आम माफी दे दीं। खून का एक कतरा भी नहीं गिरा और फतह अजीम हासिल हो गई। तारीख ने ऐसी फतह आज तक नहीं देखीं। मक्का को दारुल अमन यानी “शांति का घर” घोषित किया गया और यह सब उस नबी-ए-पाक के हाथों किया गया जिन्हें पूरे संसार के लिये रहमत बनाकर भेजा गया हैं।
उन्होंने कहा कि तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का है। इस में एक रात ऐसी है जिसका सवाब हजार रातों की इबादत के बराबर है। जिसे शब-ए-क़द्र के नाम से जाना जाता है।
दरगाह मुबारक खां शहीद मस्जिद नार्मल के पेश इमाम मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने नमाजियों को खिताब करते हुए कहा कि फतह मक्का विश्व इतिहास की बड़ी ही अदभुत घटना है। नबी-ए-पाक के सामने वह सारे लोग थे, जिन्होंने उन्हे सताया था, गालियां दी थीं। वह लोग भी थे जो आपसे लड़ने पर उतारु थे, आपकी जान के दुश्मन थे। वह लोग भी थे जिन्होंने आपके चचा को क़त्ल करके उनके कलेजे को चबाने का वहशियाना काम को अंजाम दिया था। लेकिन दुनिया ने देखा कि आपने सबको माफ कर एक अनोखीं मिसाल पेश की। नबी-ए-पाक के इस फैसले से लोग इस्लाम के दामन से जुड़ते चले गए।
मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर के पेश इमाम मौलाना अफजल बरकाती ने तकरीर में कहा कि दुनिया ने ऐसा नज़ारा कभी न देखा था, कि इस्लाम के सारे दुश्मन, नबी-ए-पाक के सामने थें।नबी-ए-पाक चाहते तो सबसे बदला ले लेते। मगर फतह मक्का में जो हुआ शायद ही किसी फौज के मुखिया ने यह फैसला लिया हो।दुनिया ने इतने जनरल को देखा है, क्या कभी ऐसा हुआ है कि सभी युद्धबंदियों को माफ कर दिया गया हो? कभी नहीं हुआ, जबकि यहां के युद्धबंदी वह लोग थे जो लोगों के दिलों पर राज करने वाले नबी-ए-पाक को मारने के लिये तरह-तरह की साज़िशें कर रहे थे। सबको एक झटके में माफ कर दिया गया । किसी से कोई बदला नही लिया गया । यह एक ऐसी जंग थी की जिसमें कोई मारा नही गया। बल्कि सही मायने में सबको बेहतरीन जिंदगी मिलीं।
नूरानी मस्जिद हुमायूंपुर में मौलाना रियाजुद्दीन कादरी ने फतह मक्का का जिक्र करने बाद कहा कि जकात इस्लाम का अहम रुकून है। यह गरीबों, मिस्कीनों, यतीमों का हक है लिहाजा जल्द उन तक रकम पहुंच जायेगी तो उनकी जरुरतें पूरी हो जायेंगी।
सब्जपोश मस्जिद जाफरा बाजार के पेश इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि मक्का की फतह अरब से मुशरिकीन के मुकम्मल खात्में की शुरुआत साबित हुई। मक्का की फतह के बाद नबी-ए-पाक ने वहां के लोगों से शिर्क न करने, जिना न करने, चोरी न करने की शर्त पर बैअत ली और उन्हें अपने-अपने बुतों को तोड़ने का हुक्म दिया। नबी ने किसी पर जुल्म नहीं किया। सबको अमान दे दिया।
इसके अलावा रहमतनगर जामा मस्जिद में मौलाना अली अहमद, नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में मौलाना असलम रजवी, गौसिया जामा मस्जिद में मौलाना मोहम्मद अहमद, मस्जिद हसनैन घासीकटरा में हाफिज रज्जब अली, मकबरे वाली मस्जिद बनकटीचक में मौलाना गुलाम दस्तगीर निजामी, मस्जिद सुभानिया तकिया कवलदह में मौलाना जहांगीर अजीजी, रजा मस्जिद कसाई टोला जाफराबाजार में सूफी जावेद ने फतह मक्का की दास्तान बयान की।
मस्जिद के इमामों ने रोजा, सदका-ए-फित्र, जकात, एतिकाफ व शब-ए-कद्र के फजायल भी बयान किए। रमजानुल मुबारक का तीसरा जुमा इबादत-ए-इलाही में सराबोर रहा । जुमा की नमाज छोटी-बड़ी विभिन्न मस्जिदों में कौमों मिल्लत, मुल्क में अमन व अमान की दुआओं के साथ सम्पन्न हुई। अल्लाह की हम्द व सना बयां कर दुआएं मांगी गयीं। भोर में रोजेदारों ने सेहरी खायी। पुरूषों ने मस्जिदों में तो महिलाओं ने घरों में प्रतिदिन की तरह नमाज-ए-फज्र अदा की। इसके बाद कुरआन शरीफ की तिलावत की गयी। इसके बाद कुछ आराम करने के बाद हफ्ते की ईद यानी जुमा के नमाज की तैयारी शुरू हो गयी। करीब 12.30 बजे मस्जिदों से अजान की सदाएं आनी शुरु हुई। जुमा की अजान होने तक मस्जिदें नमाजियों से भर गयी। इसके बाद नमाजियों ने सुन्नतें अदा की। इसके बाद मस्जिद के इमामों ने जुमा का खुत्बा बयान किया। खुत्बे के तुरंत बाद जुमा की नमाज अदा की गयी। जुमा की नमाज अपराह्न करीब 2:30 बजे तक विभिन्न मस्जिदों में पढ़ी गयीं। इमाम के साथ सभी ने खुदा के बारगाह में दुआं के लिये हाथ उठायें। इमाम की दुआं पर सभी ने आमीन की सदायें बुलंद की। इसके बाद सभी ने सुन्नतें अदा की। सभी ने मिलकर रसूलल्लाह सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम पर सलातो सलाम पेश किया। लोगों ने एक दूसरे से मुसाफा किया। जुमा की नमाज सलामती व अमन के साथ सम्पन्न हुई । शहर की विभिन्न मस्जिदों में खूब भीड़ हुई।
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