वाह ! महिलाओं में प्लाजो व शरारा स्टाइल सूट का जलवा
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर। ईद की आमद जल्द होने वाली है। तैयारियां जोरों पर है। बाजार गुलजार है। हर दुकान पर भीड़ आम है। शाहमारुफ, घंटाघर, रेती, मदीना मस्जिद, गीता प्रेस, जाफरा बाजार, गोरखनाथ, गोलघर में रौनक शबाब पर है। इसी बहाने ईद के चांद में होने वाली शादियों की भी तैयारियां की जा रही है।
एवन क्लाथ हाउस के फजल इब्राहीम ने बताया कि इस बार महिलाओं को प्लाजो, शरारा स्टाइल सूट, काटन सूट, जयपुरी सूट, चंदेरी काटन, चिकन वर्क सूट का जलवा सिर चढ़ कर बोल रहा है।
प्लाजो 500 से 1000 रुपए में आ रहा हैं। जारजट वर्क सूट या शरारा स्टाइल सूट की कीमत 1000 से 1500 रुपए हैं। काटन सूट जिसमें जम्पर काटन की हैं और सलवार प्लाजो का हैं खूब पसंद किया जा रहा हैं जिसकी कीमत 500 से 1000 रुपए के बीच हैं।
फजल इब्राहीम ने बताया कि हैंड वर्क जिसे जयपुरी स्टाइल या जयपुरी वर्क के नाम से जानते हैं 1800 से 2200 रुपए के बीच बिक रहा हैं। चंदेरी काटन 1500 से 1600 रुपए, फ्रंट और बैर कढ़ाई सूट 600 से 700 रुपए, चिकन वर्क सूट 800 से 1200 रुपए में बिक रहा हैं। फिल्मों की कोई ड्रेस इस बार बाजार में ट्रेंड नहीं कर रही हैं। उन्होंने बताया कि नेटवर्क कढ़ाई सूट 1500 से 1200 रुपए व गोटा पट्टी सूट 700 से 1000 रुपए में मिल जा रहा हैं। बाजार में तेजी हैं। ईद के बाद मुस्लिम समाज की लगन शुरु हो जायेगी इसलिए सूटों की बिक्री जोरों पर हैं।
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धागा कड़ा व धागा चूड़ियों की बिक्री उरुज पर
ईद पर सूट हो फैंसी चप्पले हो और हाथों में चूड़ियां न हो ऐसा संभव नहीं हैं। चूड़ियों की दुकानों पर भी महिलाओं का हुजूम नजर आ रहा है। शाहमारुफ स्थित चूड़ियों के थोक विक्रेता जफीर अहमद व अयाज अहमद ने बताया कि 12 पीस की फैंसी चूड़ियां खूब बिक रही हैं। इनकी कीमत 130-190 रुपए के बीच हैं। इस ईद सबसे ज्यादा डिमांड धागा कड़ा व धागा चूड़ियों की हैं। धागा कड़ा 120-150 रुपए में मिल रहा हैं। वहीं धागा चूड़ियां 150-500 रुपए के बीच आ रही हैं। एडी कड़ा जो पूरा स्टोन का बना होता हैं खूब पसंद किया जा रहा हैं। जिनकी कीमत 180-280 रुपए के बीच हैं। ब्रेसलेट विभिन्न वेरायटी के 120-200 रुपए में बिक रहे हैं। लटकन कड़ा जिसमें छोटे-छोटे लट्टू लगे हुए हैं झूम कर बिक रहे हैं। इनकी कीमत 180-250 रुपए तक हैं। वहीं रेशमी, मेटेल, लाख, शिप की चूड़ियां पसंद की जा रही है।
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दुपट्टे का बाजार गुलजार, लेडिज पैंट की मांग
ईद के मद्देनजर दुपट्टा बाजार भी गुलजार हैं। रेती रोड स्थित दुपट्टा गली में काफी भीड़ उमड़ रही है। रेती रोड दुपट्टा गली में शरीफ दुपट्टा पैलेस के मोहम्मद तौसीफ उर्फ शीबू ने बताया कि सिफॉन व काटन के दुपट्टो की डिमांड हैं। जो विभिन्न कलर, डिजाइन व वेरायटी में उपलब्ध हैं। सिफॉन दुपट्टा सवा सौ से चार सौ रुपया तक तो काटन दुपट्टा 80, 100, 130 रुपए तक में मिल जा रहा हैं। इसके अलावा नेट दुपट्टा भी बिक रहा हैं जिसकी कीमत 100 रुपए हैं ।
यहीं के मोहम्मद फैजान ने बताया कि स्टॉल की भी खूब बिक्री हो रही है। यह सौ से सवा सौ रुपए में बिक रहा हैं। लेडीज पैंट की खूब डिमांड हैं। यह 300 से 450 रुपए में आ रही हैं। लैगी भी लोग हाथों हाथ ले रहे हैं, जो 160 से 250 में बिक रही हैं। रेडीमेड सलवार भी झूम कर बिक रही हैं। इनकी कीमत 250 रुपए हैं। रेती के पुल पर अस्थायी दुकान लगायें इम्तियाज अली और नौशाद अहमद ने बताया कि ईद के मौके पर लेडीस कुर्ती, सूट, फैंसी पर्दें, जींस की बिक्री हो रही हैं। लेडीज कुर्ती 100-250 रुपए, लेडीज सूट 200-1500 रुपए, फैंसी पर्दे 150-500 रुपए, जींस 200-1200 रुपए
में उपलब्ध हैं। गीता प्रेस रोड स्थित विक्टोरिया फैशन के संजय सिंहानिया कहते हैं हम लोगों के यहां अंडर गारमेंट का कारोबार हैं। ईद में ही बिक्री झूम कर होती हैं। ईद का हमें साल भर से इंतजार रहता हैं। इस समय अंडर गारमेंट की खूब बिक्री हो रही हैं।
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बच्चों को ईदी में मिलें कपड़ें
मोहल्ला गाजी रौजा स्थित गाजी मकतब में ईद पर्व के मद्देनजर गरीब बच्चों को ईदी के तौर पर कपड़ा वितरित किया गया। करीब 90 बच्चों को कपड़ा दिया गया। लड़कों को कुर्ता पायजामा, पैंट शर्ट व लड़कियों में सलवार सूट बांटा गया। इस मौके पर काजी ईनामुर्रहमान, उजैर अहमद, ताऊस खान, तौसीफ अहमद, शोएब सिद्दीकी, इं. काजी महमुदुर्रहमान आदि मौजूद रहे।
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दरगाह पर शबीना शुरु
नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां मस्जिद में बुधवार की रात से शबीना (नफील नमाज) शुरु हो गई। जिसमें मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत फैजाने मुबारक खां शहीद के शहादत हुसैन, अशरफ रजा, मोहम्मद अजीम आदि ने मिलकर कुरआन शरीफ का करीब पन्द्रह पारा पढ़ा। गुरुवार की रात शबीना मुकम्मल होगी। शबीना में मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही, कारी शराफत हुसैन कादरी, मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी, दरगाह के मुतवल्ली इकरार अहमद सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
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आपकी दौलत पर गरीबों का भी हक : अजहर
गोरखपुर। नार्मल पर मौजूद दरगाह मुबारक खां मस्जिद में रमजान शरीफ के 25वें दर्स के दौरान मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि ईद कोई मजहबी त्यौहार ही नहीं है, यह इंसानियत का भी त्यौहार है। यह उन अहसासों का त्यौहार है, जो इंसानियत के लिए बेहद जरूरी हैं और उनकी बुनियाद हैं। इस्लाम बताता है कि आपकी दौलत, सिर्फ आपकी अपनी दौलत नहीं है। यदि उसकी जरूरत आपके भाइयों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों को है, तो वह उनकी भी है। इस्लाम में जकात और फितरा का चलन भी इसलिए है कि इस फिलॉसफी को नियमबद्ध किया जा सके, जिससे कि लोग गरीबों को ख्याल रख सकें और उनके प्रति हमदर्दी रखें। मुसलमानों को अपनी आमदनी का 2.5 पर्सेंट जकात के रूप में गरीबों को देना चाहिए।
मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने बताया कि रोजा रखना सिर्फ भूखे रहना ही नहीं है, बल्कि उन हजारों-लाखों गरीबों की भूख का अहसास करना है जो भूखे रहने को मजबूर हैं। इस तरह रोजा सिर्फ पेट का नहीं, मुंह, कान, हाथ, पैर सभी अंगों का होता है। बुरी बात न कहना, चुगली न सुनना, गलत रास्ते पर न चलना और बुरों का साथ न देना भी रोजे का ही हिस्सा है। रोजा परहेजगार बनाने के लिए आता हैं।
मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के अध्यापक मोहम्मद आजम ने बताया कि गालिबन सभी जानते हैं कि रमजान माह के ठीक बाद शव्वाल माह की पहली तारीख को ईद मनाई जाती है। रमजान की पहचान रोजा (उपवास) रखने और रोजों की पहचान अलसुबह से लेकर सूरज डूबने तक भूखा-प्यासा रहना माना जाता है। लेकिन रोजे रखने के पीछे का उद्देश्य हम जानेंगे तो पाएंगे कि यह सोशलिस्ट समाज के काफी करीब है। एक ऐसा समाज जो न सिर्फ इंसानियत की बात करता है, बल्कि उसके रास्ते में आने वाली मुश्किलों को प्रायोगिक तौर पर खुद के ऊपर आजमाता है। जकात अदा करने के पीछे का सही मकसद यह है कि आपकी दौलत पर आपके आसपास के उन तमाम लोगों का हक है, जो गरीब और बदहाल हैं।
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