गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव - उलेमा के जरिए मुस्लिम वोटों पर निशाना
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर। गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में मुस्लिम वोटों को सहेज ने की सपा व कांग्रेस में कशमकश चल रही है। सपा के कई मुस्लिम नेता कई मदरसों का दौरा कर चुके है। वहीं कांग्रेस भी मुस्लिम नेताओं के जरिए मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने की जुगत में है। बसपा से निष्कासित और अब कांग्रेस में शामिल नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पिछले दिनों चिलमापुर का दौरा किया। बाकायदा शहर के उलेमा (धर्मगुरु) व मदरसा शिक्षकों के साथ मीटिंग भी की और कांग्रेस के पक्ष में वोट देने के अपील भी की। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजब्बर मुस्लिम बाहुल्य गोरखानाथ व तुर्कमानपुर में सभा कर चुके है। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के सपा के पूर्व राज्यमंत्री मौलाना इकबाल कादरी व मौलाना मोहम्मद इदरीस बस्तवी भी मदरसा संचालकों व उलेमा से मीटिंग कर सपा के पक्ष में वोट देने की अपील कर चुके है। पीस पार्टी के अध्यक्ष डा. अय्यूब अंसारी ने मुस्लिम बाहुल्य इलाहीबाग में जनसभा की थी। जिसमें काफी संख्या में मुस्लिम समुदाय ने शिरकत की थी। जिसमें कई उलेमा भी शामिल थे। उन्होंने भी सपा के पक्ष में मतदान की अपील की थी।
काबिलेगौर मुस्लिम नेताओं को यह अच्छी तरह मालूम है कि इन उलेमा व मदरसा शिक्षकों की मुस्लिम आवाम में अच्छी पकड़ है लिहाजा इन्हें राजी करा लिया गया तो मुस्लिम आवाम को राजी करने में कोई मुश्किल नहीं होगी। इन उलेमा का एक इशारा ही काफी है। यहीं उलेमा मस्जिदों के इमाम भी होते है इसीलिए सपा व कांग्रेस के मुस्लिम नेता उलेमा के साथ मीटिंग दर मीटिंग कर रहे है। हालांकि मुस्लिमों का बड़ा तबका सपा गठबंधन के साथ खड़ा नजर आ रहा है वहीं कांग्रेस सपा गठबंधन के मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। इस चुनाव में मुस्लिम समाज काफी जागरूक नजर आ रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अबकी शुक्रवार को जुमा की तकरीर में उलेमा मुस्लिम समाज से मतदान में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील कर सकते है। पिछले कई चुनावों में मुस्लिम मतदान प्रतिशत उतना अच्छा नहीं हुआ जितनी उम्मीद की जाती रही है। गोरखपुर ग्रामीण व पिपराइच विधानसभा में तो मुस्लिम वोट बहुत बड़ी संख्या में है। अभी हाल में ही मुस्लिम वोटों की बदौलत ही सपा ने नगर निगम चुनाव में करीब 18 सीटें हासिल की थी। सपा के कई मुस्लिम प्रत्याशी भी जीते थे।
मुस्लिम वोटों की बात की जाए तो एक अनुमान के मुताबिक इस संसदीय क्षेत्र में डेढ़ से दो लाख मुस्लिम वोटर है। अगर मुस्लिम समाज पचास प्रतिशत भी मतदान में हिस्सा ले लेता है तो सपा गठबंधन को बहुत लाभ पहुंच सकता है। कांग्रेस मुस्लिम समाज में सिर्फ वोट कटवा की ही हैसियत में नजर आ रही है। भाजपा से मुस्लिम समाज की दूरी जग जाहिर है लिहाजा उन्हें मुस्लिम समाज का वोट मिलने की कोई गुंजाइश नहीं नजर आ रही है। योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाने के लिए यज्ञ व चादर चढ़ाने वाला भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा भी सुस्त है। पिछले विधानसभा चुनाव में तो इस मोर्चा ने पोस्टरवार की झड़ी लगा दी थी। अबकी बहुत शांत है। कुल मिलाकर जो भी प्रत्याशी निषाद, मुस्लिम, यादव, दलित वोट सहेज लेगा बाजी उसके नाम हो जायेगी। इस मायने में सपा गठबंधन कहीं से कमतर नहीं है। बस उक्त समाज के लोग जमकर मतदान में हिस्सा लें।
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