आरएसएस व बीजेपी के लोग मुस्लिम समाज को भ्रमित कर रहे है
'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' जैसे संगठन मुस्लिम विरोधी
गोरखपुर। नसीराबाद स्थित कार्यालय पर गुरूवार को मुस्लिम बुद्धजीवियों की बैठक हुई। जिसमें निर्णय लिया गया कि भविष्य में 'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' द्वारा आयोजित किसी भी प्रकार के सम्मेलन में मुस्लिम समाज का कोई भी प्रतिनिधि, मदरसा/शिक्षिकाएं, मुस्लिम बुद्धजीवी शामिल नहीं होगा। ऐसे संगठन मुस्लिम विरोधी है।
बैठक में मुख्य रूप से उस आदेश की कड़े शब्दों में निंदा की गयी जिसमें मदरसे की शिक्षिकाओं को मदरसे से सबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए जिला मुख्यालय बुलाया गया लेकिन मुख्यालय पहुंचने पर उन्हें बस द्वारा 'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' द्वारा आयोजित सम्मेलन में अयोध्या स्थित तुलसी स्मृति भवन भेजा गया और वहां से समस्त शिक्षिकाओं को सरकार का भय दिखाकर जय श्रीराम का नारा लगवाया गया और विवादित स्थल का दर्शन करवाया गया। अधिकारियों के इस रवैये से मुस्लिम समाज में आक्रोश है।
अध्यक्षता करते हुए हाजी सैयद तहव्वर हुसैन ने कहा कि इस तरह का सम्मेलन कर आरएसएस एवं बीजेपी के लोग मुस्लिम समाज को भ्रमित कर रहे है। कुछ चाटुकार अधिकारी सरकार को खुश करने के लिए मुस्लिम समाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे है जोकि काफी गंभीर मामला है। अगर इस तरह की गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई गई तो मुस्लिम समाज के लोग सड़कों पर उतरने को मजबूर होगा। इसके पूर्व भी सितम्बर 2017 में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के इंद्रेश कुमार ने मदरसा शिक्षकों को अयोध्या बुलाकर और विभागीय डर दिखाकर जबरदस्ती राम मंदिर निर्माण के लिए संकल्प दिलवाया था। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान सभी लोगों के अपने-अपने धर्म के अनुसार इबादत करने का अधिकार देता है परंतु दुर्भाग्य है कि देश व प्रदेश में बीजेपी को खुश करने के लिए तथाकथित व्यक्ति व संगठन जो अपने को मुस्लिम कहते है लेकिन उन्हें एक खुदा में विश्वास नहीं है। इसका ज्वलंत उदाहरण वसीम रिजवी जैसे लोग है। जिन्हें खुदा पर भरोसा न होकर भाजपा पर पूरा भरोसा है। उन्हें डर है कि बीजेपी के आका अगर नाराज हो गये तो उनकी जगह जेल होगी। इसीलिए वह हमेशा मुस्लिम विरोधी बयान देते रहते है।
इस दौरान मोहम्मद अरशद, मोहम्मद जुबैर नदवी, एकराम खान, अख्तर हुसैन, नौशाद, दानिश, मिर्जा मुजम्मिल आदि लोग मौजूद रहे।
गोरखपुर। नसीराबाद स्थित कार्यालय पर गुरूवार को मुस्लिम बुद्धजीवियों की बैठक हुई। जिसमें निर्णय लिया गया कि भविष्य में 'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' द्वारा आयोजित किसी भी प्रकार के सम्मेलन में मुस्लिम समाज का कोई भी प्रतिनिधि, मदरसा/शिक्षिकाएं, मुस्लिम बुद्धजीवी शामिल नहीं होगा। ऐसे संगठन मुस्लिम विरोधी है।
बैठक में मुख्य रूप से उस आदेश की कड़े शब्दों में निंदा की गयी जिसमें मदरसे की शिक्षिकाओं को मदरसे से सबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए जिला मुख्यालय बुलाया गया लेकिन मुख्यालय पहुंचने पर उन्हें बस द्वारा 'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' द्वारा आयोजित सम्मेलन में अयोध्या स्थित तुलसी स्मृति भवन भेजा गया और वहां से समस्त शिक्षिकाओं को सरकार का भय दिखाकर जय श्रीराम का नारा लगवाया गया और विवादित स्थल का दर्शन करवाया गया। अधिकारियों के इस रवैये से मुस्लिम समाज में आक्रोश है।
अध्यक्षता करते हुए हाजी सैयद तहव्वर हुसैन ने कहा कि इस तरह का सम्मेलन कर आरएसएस एवं बीजेपी के लोग मुस्लिम समाज को भ्रमित कर रहे है। कुछ चाटुकार अधिकारी सरकार को खुश करने के लिए मुस्लिम समाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे है जोकि काफी गंभीर मामला है। अगर इस तरह की गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई गई तो मुस्लिम समाज के लोग सड़कों पर उतरने को मजबूर होगा। इसके पूर्व भी सितम्बर 2017 में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के इंद्रेश कुमार ने मदरसा शिक्षकों को अयोध्या बुलाकर और विभागीय डर दिखाकर जबरदस्ती राम मंदिर निर्माण के लिए संकल्प दिलवाया था। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान सभी लोगों के अपने-अपने धर्म के अनुसार इबादत करने का अधिकार देता है परंतु दुर्भाग्य है कि देश व प्रदेश में बीजेपी को खुश करने के लिए तथाकथित व्यक्ति व संगठन जो अपने को मुस्लिम कहते है लेकिन उन्हें एक खुदा में विश्वास नहीं है। इसका ज्वलंत उदाहरण वसीम रिजवी जैसे लोग है। जिन्हें खुदा पर भरोसा न होकर भाजपा पर पूरा भरोसा है। उन्हें डर है कि बीजेपी के आका अगर नाराज हो गये तो उनकी जगह जेल होगी। इसीलिए वह हमेशा मुस्लिम विरोधी बयान देते रहते है।
इस दौरान मोहम्मद अरशद, मोहम्मद जुबैर नदवी, एकराम खान, अख्तर हुसैन, नौशाद, दानिश, मिर्जा मुजम्मिल आदि लोग मौजूद रहे।
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