*"गोरखपुर - क्या आप शहर के हजरत ब़बर अली के बारे में जानते हैं जिनके नाम से ब़बर अली शाह मस्जिद है उर्दू बाजार में"*



गोरखपुर। मसायख-ए-गोरखपुर के लेखक सूफी वहीदुल हसन पेज 65 व 66 पर लिखते हैं कि हजरत सैयद मीर ब़बर अली शाह अलैहिर्रहमां के पूर्वज नवाहिने अवध की हुकूमत में दिल्ली से गोरखपुर तशरीफ लाये और यहीं बस गए। आपकी पैदाइश 11 रजब 1239 हिजरी में हुई। तालीम व तरबियत घर पर  हुई। अपने वालिद हजरत हाफिज सैयद जुल्फेकार अली शाह मुहद्दिस बशीर अलैहिर्रहमां से खानदाने सलासिल अरबा और मदारिया में इजाज व खिलाफत हासिल की। बादहू अपने ससुर हजरत सूफी सैयद नजफ अली शाह से सिलसिला-ए-आलिया फिरदौसिया की इजाजत हासिल की। तलबे सुलूक की खातिर हजरत सैयद अहमद अली इब्राहीम शाह फूलवारदी से रुजू हुए और खिलाफत कादरिया, चिश्तिया वगैरह भी पायीं। आपने सात हज किए। आपका विसाल 22 जिलहिज्जा 1324 हिजरी को हुआ। आपका मजार भैंसाखाना कब्रिस्तान हांसूपुर में है। हजरत बाबर शाह अली साहिबे कश्फ व करामत बुजुर्ग थे। अपने दौर में काफी शोहरत हासिल की। आपने अपने मलफूजात, कीमती नुस्खे, तावीजात व दुआओं का एक कीमती जखीरा मतबुआ शक्ल में छोड़ा है। अरबी लुगत का कलमी नुस्खा, बुजुर्गानेदीन के खिरके जो आपके खानदान से चला आ रहा था आज भी महफूज है। आपके  नाम से ब़बर अली शाह मस्जिद उर्दू बाजार गली में बहुत मशहूर व मारूफ है। बसंतपुर के रहने वाले उनके खानदान के रेलवे विभाग से रिटायर्ड सैयद मोहम्मद जफ़र ने बताया कि आपका उर्स बहराइच में धूमधाम से मनाया जाता है। आपकी कई निशानियां मौजूद हैं। उर्दू बाजार के बब़र अली शाह मस्जिद आपने ही बनवायी। उस जमाने में उर्दू बाजार को उर्दू मंडी कहते थे। अगर किसी को हजरत बब़र अली शाह व हजरत चराग अली शाह अलैहिर्रहमां के बारे में इच्छुक हों वह बहराइच के रहने वाले हमारे खानदान के डा. नूरूल होदा के मोबाइल नं. 9838868773 पर संपर्क कर ज्यादा जानकारी हासिल की जा सकती है।
*(स्रोत - मसायख-ए-गोरखपुर लेखक सूफी वहीदुल हसन - पेज नं. 65 व 66 पर)*


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