अल्लाह के नाम पर कुर्बान होगा 1 कुंतल का 'सिंघम' व 80 किलो का 'बगड़ूआ'



-बबुआ भाई के छह बकरों की कीमत तीन लाख

अशफाक अहमद/सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर । शनिवार को ईद-उल- अजहा पर्व हैं, जो तीन दिनों तक चलेगा। कुर्बानी के जानवरों के बाजार में तेज आ रही है। रसूलपुर वगैरह में भैंस व पड़वा उतरने शुरु हो गये हैं। हैसियत वाले बकरा खरीद रहे हैं। हर बार की तरह इस बार भी कुछ खास बकरे अपने वजन व खूबसूरती तो कुछ ज्यादा कीमत की वजह से लोगों का ध्यान खींच रहे है।
उर्दू बाजार बड़ी मस्जिद पर तो मेला सज रहा हैं।
जमुनहिया बाग गोरखनाथ में 6 बकरे आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। इन बकरों की ऊंचाई सामान्य बकरों की तुलना में ज्यादा है। इनका वजन तकरीबन एक कुंतल से अस्सी किलो के बीच है। बबुआ बकरे वाले के इन छह बकरों की कीमत तीन लाख रुपए के करीब हैं। हालांकि बबुआ के पास दस बकरे हैं सभी लाजवाब हैं लेकिन सिर्फ छह कुर्बानी के लायक हैं। 4 की उम्र एक साल से कम हैं इसलिए इनकी कुर्बानी नहीं हो सकती। सफेद रंग का सिंघम 60 हजार रुपया का है। जिसका वजन करीब 1 कुंतल के आस-पास हैं। बबुआ ने इसकी कीमत 60000 रुपया लगायी हैं। वहीं कत्थई कलर का बगड़ूआ अस्सी किलो के करीब हैं। जिसकी कीमत 50000 रुपया के आस-पास हैं। इसी तरह  बबुआ के अन्य चार बकरे पचास हजार रुपए के हैं। बबुआ ने इन्हें बड़े लाड से पाला हैं, अच्छी खुराक दी हैं। बबुआ इन्हें चना, जौ, बाजरा आदि खिलाते हैं। आज बकरा पालने के शौक की वजह से लोग इन्हें बबुआ भाई बकरे वाले के नाम से जानते व पहचानते हैं। इन्हें खरीददार का इंतजार हैं।

वहीं तुर्कमानपुर निवासी रिजवानुल्लाह व मोहम्मद अहमद के यहां भी छह बकरे हैं। इनका एक बकरा जिसे लोग टाइगर बुलाते हैं, बेहद आकर्षक हैं । अहमद ने इसे मऊ से खरीदा हैं। इसकी कीमत 28000 रुपए हैं। काला-सफेद चित्तीदार बकरा बेहद खूबसूरत व ऊंचा हैं। अहमद के तीनों दिन कुर्बानी होगी।


-यहां सजता है कुर्बानी के जानवरों का बाजार

जामा मस्जिद उर्दू बाजार, शाहमारूफ, खूनीपुर जब्हखाना, रेती रोड, मदीना मस्जिद, तुर्कमानपुर, चक्सा हुसैन, पाकीजा होटल खूनीपुर, अस्करगंज, जाफराबाजार, रसूलपूर, इलाहीबाग, गोरखनाथ, दीवान बाजार, गाजी रौजा ऊंचवा सहित अन्य जगहों पर बकरा व भैंस का बाजार सजता है। इसके अलावा दूरदराज के गांवों से लोग जानवर बेचने के लिये शहर का रुख करते हैं।

-महंगाई का दिखा साफ असर
महंगाई व बाढ़ का असर कुर्बानी के जानवरों पर साफ तौर पर नजर आ रहा हैं। छह से लेकर 20-25 हजार रुपया में बकरा मिल जा रहा हैं। जितना तंदुरुस्त व खूबसूरत बकरा उतनी ज्यादा उसकी कीमत। मोलभाव का भी दौर चल रहा हैं। भैंस व पड़वें में हिस्सा लेने के लिए प्रति हिस्सा दो हजार व तीन हजार रुपया लिया जा रहा हैं। बड़े जानवर में सात लोग शिरकत करते हैं, वहीं बकरे में एक लोग। मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार में सामूहिक कुर्बानी का इंतजाम किया गया हैं। यहां तीन दिन मिलाकर करीब 100 बड़े  जानवरों की कुर्बानी होती हैं।


-मुफ्ती-ए-गोरखपुर ने की अपील
मुफ्ती-ए-गोरखपुर मुफ्ती अख्तर हुसैन ने लोगों से अपील की हैं कि कुर्बानी के दिनों में साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। अपशिष्ट पदार्थ व हड्डियां सड़कों पर न फेंके। इस्लाम में साफ-सफाई को आधा ईमान करार दिया गया हैं । कुर्बानी इबादत हैं इसे खुशदिली से अदा करें बिना किसी को तकलीफ दिए हुए। अपशिष्ट पदार्थ व खून नालियों में न बहाकर किसी गड्ढें में दफन करें और एक अच्छा मुसलमान व अच्छा शहरी होने की जिम्मेदारी निभायें। कुर्बानी अल्लाह के लिए होती हैं। दिखावा अल्लाह को पसंद नहीं हैं। कुर्बानी के समय वीडियो व फोटो बिल्कुल न बनाया जायें और न ही सोशल मीडिया पर डाला जायें। पर्व को सादगी से मनाया जाए। यह मेहमाननवाजी का दिन हैं भाईचारे को आम किया जाए। खाल ले जाने वालों के साथ बेहतरीन सुलूक किया जायें। उलेमा व तालिबे इल्म  का अदब किया जाए।
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