मदरसा आधुनिकीकरण योजना - मानदेय बकाया सोलह माह का भेजा डेढ़ माह का
गोरखपुर। मदरसा आधुनिकीकरण योजना के शिक्षकों का वर्ष 2015-16 का बकाया डेढ़ माह का मानदेय सरकार ने अगस्त माह की 2 तारीख को भेजा हैं। यह मानदेय सिर्फ लाट संख्या 1446 वाले मदरसों के शिक्षकों को ही मिलेगा। यानी अभी जिले के 88 मदरसों के 264 शिक्षकों को मानदेय के लिए इंतजार करना पड़ेगा। गोरखपुर को ₹ 4110000 धनराशि आवंटित हुई हैं। जिले के 58 मदरसों के 60 स्नातक डिग्रीधारक एवं 106 परास्नातक व बीएड डिग्री धारक शिक्षकों को ही मानदेय मिलेगा। निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण उप्र ने 2 अगस्त को भेजें पत्र के माध्यम से जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को निर्देशित करते हुए कहा हैं कि केंद्र पुरोनिधानित मदरसा/मकतब आधुनिकीकरण योजनान्तर्गत 1446 लाट के मदरसो के शिक्षकों को वर्ष 2015-2016 के मानदेय भुगतान हेतु वर्ष 2017-18 में धनराशि का आवंटन किया जा रहा हैं। धनराशि आवंटन लाट संख्या 1446 के प्रदेश में मौजूद 1316 मदरसों के शिक्षकों को वर्ष 2015-2016 के अवशेष माह के लिए किया जा रहा हैं साथ ही निर्देश दिया गया हैं कि आवंटित धनराशि अविलम्ब कोषागार से आहरण सुनिश्चित किया जाये एवं कोषागार से सबंधित शिक्षक के बैंक खाते में भेजा जायें। यह भी निर्देश दिया गया हैं कि योजना से आच्छादित मदरसों का विवरण विभागीय वेबसाइट पर 31 अगस्त तक उपलब्ध कराया जायें ताकि भारत सरकार से प्राप्त मानदेय में दोहरा भुगतान न होने पायें एवं पारदर्शिता रहें।
वहीं शिक्षकों का कहना हैं कि बकाया मानदेय करीब सोलह माह से अधिक का बकाया हैं। ऐसे में यह मानदेय ऊंट के मुहं में जीरा वाली कहावत को चरितार्थ करता हैं। मदरसों में आधुनिक शिक्षा की वकालत करने वाली केंद्र व प्रदेश सरकार के कथनी और करनी में काफी अंतर देखने को मिल रहा हैं। दोनों सरकारें मदरसों में आधुनिकीकरण शिक्षा को बढ़ावा देने की बात तो करती हैं लेकिन मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को मानदेय देने में हद दर्जे की कंजूसी कर रही हैं। जांच के नाम पर मदरसा आधुनिकीकरण योजना के शिक्षकों का मानदेय रोक जा रहा हैं।
केंद्र सरकार द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत कार्यरत शिक्षकों का कहीं सोलह माह तो कहीं चार वर्ष तो कहीं-कहीं ढ़ाई वर्ष से मानदेय सरकार ने रोका हुआ हैं। अफसोस की बात यह हैं कि जब से योजना शुरु हुई हैं तब से सरकार माहवार मानदेय देने की व्यवस्था तक सुनिश्चित नहीं कर सकी है।
अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के मंडल अध्यक्ष नवेद आलम ने बताया कि गोरखपुर में करीब 146 के आस-पास मदरसे केंद्र सरकार द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत आच्छादित हैं। इसमें करीब 438 शिक्षक कार्यरत हैं। इन शिक्षकों को केंद्र सरकार माहवार वेतन नहीं दे पा रही हैं और इसी वजह से शिक्षकों का करीब चार और ढ़ाई साल का मानदेय रुका हुआ हैं। इन्हीं शिक्षकों पर मदरसों में हिन्दी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी पढ़ाने का दारोमदार हैं। शिक्षक योगी दरबार में भी गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। रोजी-रोटी, चिकित्सा समेत तमाम दुश्वारियों से दो चार होना पड़ रहा हैं।
अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक बदरे आलम अंसारी ने बताया कि विभिन्न मांगों को लेकर लखनऊ में धरना जारी हैं। समय से मानदेय नहीं मिलने से मदरसा शिक्षकों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। सरकार मानदेय रोक कर मदरसों की जांच करा रही हैं। मदरसा शिक्षक जांच से परेशान नहीं हैं बल्कि मानदेय रोके जाने से आक्रोशित हैं।
-गोरखनाथ मंदिर में भी गुहार लगा चुके हैं शिक्षक
मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों ने 22 अप्रैल को गोरखनाथ मंदिर स्थित कार्यालय में सीएम योगी आदित्यनाथ को संबोधित पांच सूत्रीय ज्ञापन कार्यालय प्रभारी द्वारिका तिवारी को सौंपा था शिक्षको की नौकरी स्थायी करने की मांग की थीं।
-मदरसा शिक्षकों की यह हैं मांगें
शिक्षकों के हित की लड़ाई लड़ रहे बदरे आलम अंसारी कहते हैं कि मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को स्थायी करने के साथ ही केंद्र सरकार के बराबर उप्र सरकार द्वारा अंशदान दिया जायें। केंद्र सरकार से लम्बित एक-एक, दो-दो साल का बकाया मानदेय दिलाया जायें। प्रतिमाह मानदेय दिए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जायें और इन शिक्षकों को प्रतिवर्ष डायट द्वारा ट्रेनिंग देने की व्यवस्था की जायें।
-प्रदेश में मदरसा आधुनिकीकरण योजना से करीब 6726 मदरसे जुड़े हुए हैं
अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के मीडिया प्रभारी मोहम्मद आजम ने बताया कि केंद्र पुरोनिर्धारित मदरसा (एसपीक्यईएम) आधुनिकीकरण योजना के अन्तर्गत उप्र के करीब 6726 मदरसों में यह योजना संचालित हैं।जिसमें करीब 20000 शिक्षक मदरसों आधुनिक विषयों की शिक्षा विगत सन् 1998 से देते चले आ रहे हैं। पिछली सरकारों द्वारा इन शिक्षकों पर ध्यान नहीं दिया गया जिस वजह से यह शिक्षक भूखमरी के कगार पहुंच गये हैं। कई सालों का मानदेय भी बकाया हैं। मानदेय साल गुजरने के बाद ही मिलता हैं। ₹ 6000 और ₹ 12000 हजार मानदेय में यह शिक्षक गुजारा कर रहे हैं। यदि सरकार इन शिक्षकों की समस्याओं के प्रति कोई उचित कदम नहीं उठाती हैं तो रोजी-रोजी का घोर संकट उत्पन्न हो सकता हैं और मदरसों में आधुनिक विषयों की शिक्षा प्रभावित भी हो सकती हैं।
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