फर्ज नमाज के बाद तकबीरे तशरीक कहना वाजिब : मुफ्ती अख्तर


-गाजी रौजा मस्जिद व दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद में दर्स

गोरखपुर। तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत की जानिब से गाजी मस्जिद गाजी रौजा व नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद मस्जिद में कुर्बानी पर दस दिवसीय दर्स (व्याख्यान) कार्यक्रम के आठवें दिन बुधवार को मुफ्ती-ए-गोरखपुर मुफ्ती अख्तर हुसैन ने बताया कि नवीं जिलहिज्जा के फज्र से तेरहवीं के असर तक हर फर्ज नमाज के बाद जो जमात से अदा की गई तो एक मर्तबा तकबीरे तशरीक ‘‘ अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ला इलाहा इल्लल्लाह वल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर व लिल्लाहिल हम्द’
बुलंद आवाज से कहना वाजिब है और तीन बार अफजल है।

उन्होंने बताया कि कुर्बानी के जानवर में ऊंट पांच साल, भैंस दो साल, बकरी व खशी एक साल का होना जरुरी हैं। अलबत्ता दुम्बा या भेड़ छः माह का जो इतना बड़ा हो कि देखने में साल भर का मालूम हेाता हो उसकी कुर्बानी जायज है। अंधे जानवर की कुर्बानी जायज नहीं इतना कमजोर जिसकी हड्डियां नजर आती हो और लगंड़ा जो कुर्बानी गाह तक अपने पांव से जा न सकें और इतना बीमार जिसकी बीमारी जाहिर हो जिसके कान या दूम तिहायी से ज्यादा कटे हो इन सब की कुर्बानी जायज नही।

धर्मगुरु मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने बताया कि कुर्बानी करने का तरीका सभी को जानना जरुरी हैं। कुर्बानी के जानवर को बायें पहलू पर इस तरह लिटाये कि किब्ला को उसका मुहं हो और अपना दाहिना पांव उसके पहलू पर रख कर जल्द जिब्ह करें। अलबत्ता जिब्ह से पहले यह दुआ पढें  ‘‘ इन्नी वज्जहतु वजहिय लिल्लजी फ़तरस्समावाति वल अरज़ हनीफव व मा अना मिनल मुशारिकीन. इन्न सलाती व नुसुकी व महयाय व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आलमीन लाशरीक लहु व बिजालि क उमिरतु व अना मिनल मुस्लिम अल्लाहुम्म मिन क व ल क’’ फिर ‘‘बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर’’ पढ. कर जब्ह करे फिर यह दुआ पढे. ‘‘ अल्लाहुम्म तक़ब्वल मिन्नी कमा तक़ब्बल त मिन खलीलि क इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हबीबि क मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम’’ अगर कुर्बानी अपनी तरफ से हो तो ‘‘मिन्नी’’ और अगर दूसरों की तरफ से हो तो ‘‘मिन्नी’’ के बजाए ‘‘मिन’’ कह कर उसका नाम  लें।
उन्होंने बताया कि कहा कि मालिके निसाब पर हर साल अपनी तरफ से कुर्बानी वाजिब है। उन्होंने बताया कि भेड़, बकरी, दुम्बा सिर्फ एक आदमी की तरफ से एक जानवर होना चाहिए और भैंस, ऊंट में सात आदमी शिरकत कर सकते है।


इस मौके पर हाफिज रेयाज अहमद, मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही, ताबिश सिद्दीकी, शिराज, मोहम्मद आजम, हाजी औरंगजेब, जकी सिद्दीकी, कारी शराफत हुसैन कादरी, कारी महबूब रजा, अब्दुल अजीज, शहादत अली, अजीम, अनवर हुसैन, अशरफ, सैफ रजा, शारिक, शाकिब, अब्दुल राजिक, मनौव्वर अहमद, तौहीद अहमद, मोहम्मद अतहर, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद कैफ, नूर मोहम्मद दानिश, रमजान, कुतबुद्दीन, नवेद आलम आदि मौजूद रहे।

----------------

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*गोरखपुर में डोमिनगढ़ सल्तनत थी जिसे राजा चंद्र सेन ने नेस्तोनाबूद किया*

*गोरखपुर में शहीदों और वलियों के मजार बेशुमार*

जकात व फित्रा अलर्ट जरुर जानें : साढे़ सात तोला सोना पर ₹ 6418, साढ़े बावन तोला चांदी पर ₹ 616 जकात, सदका-ए-फित्र ₹ 40