अल्लाह की राह में खर्च करने का दर्स देती हैं कुर्बानी : मुफ्ती अजहर




-दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद पर दर्स का सातवां दिन


गोरखपुर । तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत की जानिब से नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद मस्जिद में कुर्बानी पर दस दिवसीय दर्स (व्याख्यान) कार्यक्रम के सातवें  दिन मंगलवार को इस्लामिक वक्ता मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने बताया कि कुर्बानी हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। जिसे खुदा ने इस उम्मत के लिए बाकी रखा। देहात में दसवीं जिलहिज्जा को सुबह सादिक के बाद ही से कुर्बानी करना जायज है लेकिन मुस्तहब यह है कि सूरज तुलू होने के बाद करें। रात में कुर्बानी करना मकरूह है। कुर्बानी का चमड़ा या गोश्त या इसमें से कोई चीज जब्ह करने वाले कसाब को मेहनताने के तौर पर देना जायज नहीं। शहर में नमाजे ईद-उल-अजहा से पहले कुर्बानी करना जायज नहीं है।


उन्होंने कहा कि कुर्बानी हमें दर्स देती है कि जिस तरह से भी हो सके अल्लाह की राह में खर्च करो । कुर्बानी का जानवर कयामत के दिन अपने सींग और बाल और खुरों के साथ आयेगा और फायदा पहुंचायेगा। कुर्बानी का खून जमीन पर गिरने से पहले अल्लाह के नजदीक मकामें कुबूलियत में पहुंच जाता है। लिहाजा कुर्बानी खुशी से करनी चाहिए। एक हदीस में आया है कि नबी-ए-पाक ने इरशाद फरमाया कि कुर्बानी तुम्हारे बाप हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। लोगों ने अर्ज किया इसमें क्या सवाब है। फरमाया हर बाल के बदले नेकी है। कुर्बानी के दिन रोजा रखना मना हैं। इस्लाम में दो ईदें है। ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अजहा। ईद-उल-अजहा के तीन दिन रोजा रखना हराम है क्योंकि यह दिन मेहमान नवाजी का है।


इस मौके पर दरगाह मस्जिद के इमाम मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही, कारी शराफत हुसैन कादरी, कारी महबूब रजा, अब्दुल अजीज, शहादत अली, अजीम, अनवर हुसैन, अशरफ, सैफ रजा, शारिक, शाकिब, अब्दुल राजिक, मनौव्वर अहमद, तौहीद अहमद, मोहम्मद अतहर, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद कैफ, नूर मोहम्मद दानिश, रमजान, कुतबुद्दीन, नवेद आलम आदि मौजूद रहे।


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