कुर्बानी से जुड़ी है हजरत इब्राहीम व ईस्माइल अलैहिस्सलाम की याद : मौलाना मकसूद
-दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद पर दर्स का तीसरा दिन
गोरखपुर। तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत की जानिब से नार्मल स्थित दरगाह मुबारक खां शहीद मस्जिद में कुर्बानी पर दस दिवसीय दर्स (व्याख्यान) कार्यक्रम के तीसरे दिन शुक्रवार को दरगाह मस्जिद के खतीब व इमाम मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने बताया कि कुर्बानी का वाक्या हजरत इब्राहीम व हजरत ईस्माइल अलैहिस्सलाम से ताल्लुक रखता हैं। खुदा ने हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को ख्वाब में अपनी सबसे अजीज चीज कुर्बान करने का हुक्म दिया। हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अपने तमाम जानवरों को खुदा की राह में कुर्बान कर दिया। यह ख्वाब दो मर्तबा हुआ। तीसरी मर्तबा हजरत इब्राहीम समझ गए कि खुदा उनसे प्यारे लाडले हजरत ईस्माइल की कुर्बानी का तालिब है। यह खुदा की अजमाइश का सबसे बड़ा इम्तेहान था। खुदा के हुक्म से उन्हें जिब्ह करने के लिये मीना ले गये। हजरत इब्राहीम जब बेटे के साथ कुर्बानीगाह पहुंचे तो बेटे ने कहा अब्बा मुझे रस्सियों से बांध दीजिए ताकि मैं तड़प न सकूं। अपने कपड़ों को बचाइए ताकि मां खून देखकर बेचैन न हो जाएं और गम में डूब जाएं। छुरी तेज कर लीजिए ताकि गर्दन आसानी से कट जायें और जान आसानी से निकल जाएं। जब हजरत इब्राहीम अपने जिगर के टुकड़े की गर्दन पर छुरी चलाने लगे तो बार-बार चलाने के बावजूद गला नहीं कटा। इसी बीच गैबी आवाज आई। बस ऐ इब्राहीम तुमने आज अपना ख्वाब पूरा किया। तुम्हें तुम्हारे खुदा ने पसंद किया, तुम इम्तेहान में कामयाब हुए। इसके बाद से कुर्बानी की रिवायत शुरु हुई। कैसा अजीबो गरीब मंजर था छूरी चलाने वाला भी पैगम्बर ओर जिस पर छुरी चलायी जा रही है वह भी पैगम्बर।
उन्होंने बताया कि खुदा को सिर्फ हजरत इब्राहीम व ईस्माइल अलैहिस्सलाम की हिम्मत और फरमाबरदारी का इम्तेहान लेना था इसलिए जब आंख खोली तो देखा एक दुम्बा़ जब्ह किया हुआ पड़ा है और लड़का खड़ा मुस्कुरा रहा है। उसी लड़के की नस्ल से पैगम्बरों के सरदार और आखिरी नबी हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम पैदा हुये और इसी यादगार के लिये खुदा ने उनकी उम्मत को यह तोहफा अता किया। इस उम्मत का कोई भी मुसलमान कुर्बानी करेगा, तो उसे उसी अजीम कुर्बानी के सवाब (पुण्य) के बराबर अता होगा जो हजरत इब्राहीम ने की थी।
शुक्रवार को जिले की अधिकतर मस्जिदों में कुर्बानी के फजायल बयान किए गए। इस मौके पर मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी, मोहम्मद अतहर, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद कैफ, नूर मोहम्मद दानिश, रमजान, कुतबुद्दीन, नवेद आलम अब्दुल अजीज, शहादत अली, अजीम, अनवर हुसैन, अशरफ, सैफ रजा, शारिक, शाकिब, अब्दुल राजिक, मनौव्वर अहमद, कारी शराफत हुसैन कादरी, कारी महबूब रजा, तौहीद अहमद आदि मौजूद रहे।
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