गोरखपुर के उलेमा बोले-मुस्लिम समाज में दरार डाल रहा शिया वक्फ बोर्ड



-बाबरी मस्जिद मामला
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर। शिया वक्फ बोर्ड के बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किए जाने से शहर के उलेमा खासे नाराज हैं। उलेमाओं का कहना हैं कि शिया-सुन्नी एकता मुस्लिम समाज की अहम जरुरत हैं, लेकिन कुछ लोग सियासी व जाती लाभ के लिए मुस्लिम समाज में दरार डालने का काम कर रहे हैं। यह हलफनामा उसकी एक कड़ी हैं। ऐसे लोगों का चेहरा बेनकाब हो चुका हैं। शिया-सुन्नी हजरात ऐसे लोगों से दूर रहे हैं।


तंजीम उलेमा-ए-सुन्नत के मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि इस तरह के नये मसायल अपने सियासी और जाती फायदे के लिए उठाना मुसमानों के साथ धोखा हैं। मुस्लिम समाज में दरार डालने की नापाक कोशिश हैं जिसे शिया-सुन्नी हजरात बर्दाश्त नहीं करेंगे। मुस्लिम समाज को एक होकर ऐसे लोगों का बायकाट करना चाहिए जो समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। शिया वक्फ बोर्ड द्वारा सुप्रीम कोर्ट में  हलफनामा दायर कर अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की वकालत करना गैर जिम्मेदाराना, अफसोसनाक कदम हैं। मुस्लिम समाज इसकी घोर निंदा करता हैं। उन्होंने गुजारिश कि हैं कि शिया-सुन्नी बाबरी मस्जिद के मुकदमें में एकजेहती का नमूना पेश करते हुए इसको हल करें। शिया वक्फ बोर्ड मुकदमें को उलझाना चाहता हैं।

तंजीम कारवाने अहले सुन्नत के सदर मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि बाबरी मस्जिद मामले में 11 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हैं। शिया वक्फ बोर्ड की इस तरह की हरकत से मुसलमानों को तकलीफ हुई हैं। इसकी जितनी मजम्मत की जायें कम हैं। बाबरी मस्जिद मामला शुरु से ही सुन्नी वक्फ बोर्ड व मरहूम हाशिम अंसारी वगैरह देखते रहे हैं। ऐसे में इस किस्म का मसला उठाना बेहद गलत हैं । शिया वक्फ बोर्ड की राय पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पहले ही असहमति जता दी है।

ऑल इण्डिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया गोरखपुर शाखा के महासचिव हाफिज नजरे आलम कादरी ने कहा कि इस वक्त हम बहुत लोग  नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। शिया-सुन्नी एकता बेहद जरुरी हैं। लेकिन चंद लोग अपनी जाती अपने फायदे के लिए इस संजीदा मसले का भी मजाक बने रहे हैं। सिर्फ सियासी फायदा उठाने के लिए शिया वक्फ बोर्ड की आड़ ली जा रही हैं।

खादिम हुसैन मस्जिद तिवारीपुर के पेश इमाम हाफिज व कारी अफजल बरकाती ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड का सहारा लेकर इस मामले में दखलअंदाजी बेहद गलत कदम हैं  इसकी शिया-सुन्नी हजरात को मिलकर मुखालफत करनी चाहिए। मुस्लिम समाज में दरार डालने वाले का चेहरा बेनकाब हो चुका हैं। ऐसे लोगों का शिया-सुन्नी हजरात को मिलकर बॉयकाट भी करना चाहिए। बाबरी मस्जिद मुसलमानों के लिए हमेशा अहम थी, अहम हैं और अहम रहेगी। कोर्ट पर हमें पूरा भरोसा हैं। फैसला आस्था के आधार पर नहीं बल्कि सबूतों के आधार पर होगा।

मस्जिद सुभानिया तकिया कवलदह के पेश इमाम मौलाना जहांगीर अजीजी ने कहा कि यह अफसोसनाक हैं। मुसलमानों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैं। शिया-सुन्नी एकता वक्त की अहम जरुरत हैं। शिया वक्फ बोर्ड को हलफनामा वापस लेना चाहिए। बाबरी मस्जिद पर हक सुन्नी वक्फ बोर्ड का है और रहेगा। कोर्ट का हम एहतराम करते हैं जो फैसला होगा हमें वह मंजूर होगा। इस तरह के संजीदा मामले पर शिया वक्फ बोर्ड का  सियासत करना निंदनीय हैं।

मदरसा अध्यापिका गौसिया सुम्बुल कहती हैं कि जो चीज जिसकी मिल्कियत हैं ही नहीं वह उस पर दावा करने का हक नहीं रखता। बाबरी  मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड की हैं यह न्यायालय ने पहले ही तय कर दिया हैं तो शिया वक्फ बोर्ड को  इसमें दखलअंदाजी करने का कोई हक नहीं हैं। यह सियासी व व्यक्तिगत लालच में उठाया गया कदम हैं। यह निंदनीय हैं। लाखों मुसलमानों का दिल इससे आहत हुआ हैं शिया वक्फ बोर्ड को इस पर सार्वजनिक रुप से माफी मांगनी चाहिए। बाबरी मस्जिद पूरे मुल्क के मुसलमानों की हैं। कोर्ट शिया वक्फ बोर्ड को  पेशकार बिल्कुल न बनायें। कोर्ट के फैसले से ही बाबरी मस्जिद बननी चाहिए।


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