कब्रिस्तानों की बाउंड्री जांच - सीबीआई से नहीं एफबीआई से करा ले भाजपा सरकार
गोरखपुर। प्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही पूर्व सपा सरकार की योजनाओं पर जांच पर जांच बैठाने का सिलसिला जारी है। इन में कब्रिस्तान की बाउंड्री करने की योजना भी शमिल हैं। भाजपा सरकार का मानना हैं कि कब्रिस्तानों की बाउंड्री में धन का दुरूपयोग किया गया हैं। जिले में वर्ष 1986 के सर्वे के आधार पर 751 कब्रिस्तान गजट में दर्ज हैं। हालांकि मौजूदा समय में यह तादाद लगभग 1200 बतायी जा रही है। वक्फ संपत्तियों के साथ-साथ कब्रिस्तानों की जमीन पर नाजायज कब्जा की बात किसी से छुपी नहीं हैं। केंद्र व प्रदेश सरकार को भी इस बात का बाखूबी इल्म हैं कि कब्रिस्तान की जमीनों पर नाजायज कब्जे हुए हैं और इसका सिलसिला जारी हैं। मुस्लिम समाज द्वारा इस पर पर रोक लगाने की अपील सपा सरकार ने बाउंड्री कराने का निर्णय लिया था। इस योजना के तहत पांच साल में प्रदेश भर की कब्रिस्तानों की बाउंड्री के लिए लगभग 1200 करोड़ रूपए खर्च हुए। जानकारी के अनुसार इस योजना के कार्यान्वयन के दौरान कई जिलों से प्रदेश सरकार को शिकायतें मिलीं लेकिन उस समय किसी अफसर ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अब योगी सरकार में इन्हीं शिकायतों का संज्ञान लेते हुए सीबीआई से जांच की सिफारिश की हैं। जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सूत्रों के अनुसार गोरखपुर में कब्रिस्तान की बाउंड्री, आवंटित बजट का लेखा-जोखा तैयार करके शासन को भेजा गया हैं।
जिले में सबसे पहले माधोपुर स्थित मजार सुब्हान शहीद कब्रिस्तान से बाउंड्री का काम शुरू किया गया था। कब्रिस्तान की देखरेख करने वाले मुनव्वर हुसैन उस वक्त को याद करते हुए जज्बाती हो जाते है जब बाउंड्री न होने की वजह से लोग कब्रिस्तान में गाड़ियां धुलते थे और इस पर आपत्ति करने पर उनके साथ गालमगलूच करते थे। मुनव्वर के अनुसार जब लोगों द्वारा कब्रिस्तान पर अवैध कब्जे व कब्रों की बेहुरमी की बात उनसे सही नहीं गयीं तो उन्होंने एक दिन अपने हाथ में कुदाल लेकर खुद ही एक तरफ बुनियादा खोद दी। इस पर भी लोगों ने काफी हंगामा किया और तरह-तरह से प्रताड़ित किया। इसी दौरान एक दिन अखबार में कब्रिस्तान की बाउंड्री का विज्ञापन देखा और फिर वह बाउंड्री के लिए कमेटी के लोगों से सम्पर्क किया। कब्रिस्तान की बाउंड्री तो हो गई लेकिन पूरी तरह से नाजायज कब्जा खाली नहीं कराया जा सका।
लालडिग्गी स्थित बंधे के पास मामू-भांजे मजार, कब्रिस्तान का मामला शहर के कब्रिस्तानों से बिल्कुल अलग हैं। यहां मजार और एक छोटी सी मस्जिद कायम हैं लेकिन कब्रिस्तान की तकरीबन 20 डिस्मील जमीन का कुछ अता-पता नहीं हैं। सब पर नाजायज कब्जा हो चुका है और मामला अदालत में जेरे गौर हैं। खादिम मोहम्मद हसन के अनुसार यह पूरी जमीन सरकार बहादुर कैसर हिंद के नाम से हैं। यहां ऐतिहासिक पुरानी जेल (मोती जेल) के कैदी को दफन किया जाता था। हालांकि नाजायज कब्जे की वजह से कब्रों के निशान मिट गए हैं लेकिन आज भी यहां सैयद असद अली व आमिना खातून की कब्र मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि लेखपाल के गैर जिम्मेदारान रवैया के सबब जमीन को बंजर में दर्ज कर दिया गया है। जिसके लिए कानूनी लड़ाई जारी है। उनका कहना है कि अगर कब्रिस्तान की बाउंड्री हो जाये ंतो न केवल अवैध कब्जे रूक जायेंगे बल्कि रोज-रोज के झगड़ों से सभी को निजात मिल जायेगी।
’’ यूपी की सपा सरकार से कब्रिस्तान ही नहीं श्मशान घाटों के लिए भी बजट मुहैया कराया था लेकिन जांच की जद सिर्फ कब्रिस्तान को ही रखा गया। इससे सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगता है। बाउंड्री का काम जल निगम की कार्यादायीं संस्था सीएनडीएस द्वारा किया गया है। काम कराने वाले अस्सी प्रतिशत हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। हम जांच से कतई नहीं घबराते। प्रदेश की भाजपा सरकार एफबीआई से जांच करा लें ताकि दोनों पक्ष को संतोष हो जाएं। सीबीआई को वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने ’’तोता’’ की संज्ञा दी हैं।’’
जफर अमीन डक्कू
पूर्व निदेशक उप्र अल्पसंख्यक कल्याण वित्तीय विकास निगम लिमिटेड
’’अब तक प्रदेश में जो भी हुकूमत रही उसने कब्रिस्तान और वक्फ संपत्तियों पर नाजायज कब्जा खाली कराना तो दूर इस बाबत संजीदगी से कोई काम नहीं किया। पूर्व सपा सरकार ने कब्रिस्तानों की बाउंड्री कराने का ऐतिहासिक कदम उठाया। हालांकि इस मामले में कुछ कमियां रही सामने आयीं होंगी। लेकिन योजना के क्रियान्वयन से कब्रिस्तान का तकद्दुस और तहफ्फुज बरकरार हुआ हैं। मौजूदा सरकार को भी चाहिए कि वह किसी बड़ी समस्या से बचने के लिए और समाज में भाईचारा व अमन बरकरार रखने के लिए इस योजना को जारी रखें’’
नुजरत हुसैन
वक्फ कदीमी कब्रिस्तान अमीर हुसैन खां
वर्ष कब्रिस्तान बजट (लाख में) व्यय धनराशि
2012-13 24 224.32 224.32
2013-14 40 335.96 306.21
2014-15 21 224.32 217.62
2015-16 11 135.32 125.07
2016-2017 74(49 पूर्ण) 400.53 353.80
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