साबित बिन क़र्राह अल-हरानी (836 ई० – 901 ई०) :Untold Muslim Scientist, philosophers story


 


साबित बिन क़र्राह अल-हरानी बहुत बड़े गणित शास्त्री और खगोल शास्त्री गुजरे हैं। उनका जन्म अब्बासी ख़लीफ़ा मामून रशीद के शासनकाल में हुआ। आप हरान के रहने वाले थे इसलिए आपके नाम में हरानी लगता है।

साबित बिन क़र्राह ने गुजर-बसर के लिए सुनार का काम शुरू किया लेकिन उन्हें गणित और खगोल विद्या में रुचि थी। आप खाली समय इन विद्याओं का अध्ययन करते। एक बार ख़लीफ़ा का दरबारी मूसा बिन-शाकिर सीरिया से बग़दाद आ रहा था। रास्ते में कुछ दिन हरान में ठहरा तो उसकी मुलाक़ात साबित बिन क़र्राह से हो गई। वह उनके ज्ञान से बहुत प्रभावित हुआ और उन्हें अपने साथ और उन्हें अपने साथ बग़दाद ले गया। बग़दाद आकर उन्होंने विद्या की जो सेवा की उसे रहते संसार तक याद रखा जाएगा। साबित ने कई यूनानी पुस्तकों का अरबी में अनुवाद किया। लेकिन आपको लोकप्रियता विज्ञान की तीन शाखाओं आयुर्विज्ञान, भूगोल शास्त्र और गणित में शोध के कारण प्राप्त हुई। उन्होंने अपने शोधों द्वारा इंसानी शरीर की जानकारी प्राप्त करके एक पुस्तक अरबी और दूसरी सुरयानी भाषा में लिखी। इस प्रकार आपने शरीर रचना शास्त्र (Anatomy) की नींव रखी। उन्होंने Statics पर भी लिखा।

साबित ने ज्योमेटरी की कई आकृतियों के बारे में ऐसी समस्याएँ और व्यापक नियमों का पता लगाया जिनका उससे पहले किसी को ज्ञान न था। उन्होंने अंतिरक्ष विज्ञान अध्ययन पर भी कई पुस्तकें लिखीं। खगोल शास्त्र पर उनकी पुस्तक “किताब निश्शकल अल-मुक़ल्लब बिलक़ता’ इस विद्या पर एक महत्वपूर्ण खोज समझी जाती है। आप ख़लीफ़ा मोअतज़िद के शासनकाल में सरकारी खगोल शास्त्री रहे और 901 ई० में निधन हुआ।
निधन के समय उनकी आयु 75 वर्ष थी और जीवन के अंतिम पड़ाव तक लिखने लिखाने का कार्य करते रहे। उनके पुत्र सिनन इब्ने साबित ने अपने पिता के काम को आगे बढ़ाया और गणित शास्त्र व आयुर्विज्ञान पर महत्वपूर्ण काम किया।

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