आखरी नबी की पाक साहबज़ादी हज़रते रुक़य्या रदियल्लाहु तआला अन्हा



 

मुफ्तिया कहकशां फातिमा 

तुर्कमानपुर, गोरखपुर।


हज़रते रुक़य्या रदियल्लाहु तआला अन्हा अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की दूसरी बेटी हैं। आपकी वालिदा उम्मुल मोमिनीन हज़रत खदीजा तुल कुबरा रदियल्लाहु तआला अन्हा हैं। आप ऐलाने नुबुव्वत से 7 बरस पहले पैदा हुईं। और इस्लाम के शुरुआती दौर ही में अपनी वालिदा के साथ इस्लाम ले आईं।


इस्लाम से पहले नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की दो पाक बेटियां हज़रते रुक़य्या और हज़रते उम्मे कुलसूम रदियल्लाहु तआला अन्हुमा का निकाह अबू लहब के दोनों बेटे उत्बा और उतैबा से हुआ था। लेकिन अभी इनकी रुख़्सती नहीं हुई थी। अबू लहब और मक्का की दीगर इस्लाम दुश्मन ताकतें इस्लाम और पैगंबर ए इस्लाम के लिए शिद्दत पकड़ गईं। वह अख्लाकी हदों और इंसानी उसूलों को भूल कर अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की शान में बुरे अल्फ़ाज़ इस्तेमाल किए। इसी सिलसिले में अल्लाह पाक की तरफ से कुरआन पाक की सूरत सूरह-ए-लहब नाज़िल हुई।


अबू लहब कुरआन में अपनी इस रुसवाई का बयान सुनकर गुस्सा में आग बबूला हो गया। इंसानी उसूलों को भूले हुए शख्स ने नबी ए रहमत सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की बेकसूर बेटी को बगैर किसी वजह के तलाक देने के लिए अपने बेटे उत्बा को मजबूर कर दिया कि वह पैग़ंबरे आज़म हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की साहबज़ादी हज़रते रुक़य्या रदियल्लाहु अन्हा को तलाक दे दे। उत्बा ने नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की बेकसूर बेटी हज़रते रुक़य्या रदियल्लाहु तआला अन्हा को तलाक दे दी। 


इसके बाद पैग़ंबरे आज़म हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने हज़रते रुक़य्या रदियल्लाहु अन्हा का निकाह मुसलमानों के दूसरे खलीफा हज़रते उस्मान बिन अ़फ़्फ़ान रदियल्लाहु अन्हु से कर दिया। निकाह का यह वाकिया हिजरत से पहले मक्का में हुआ था। यह बात भी याद रहे कि अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने अपनी दोनों पाक बेटियों हज़रते रुक़य्या व हज़रते उम्मे कुलसूम रदियल्लाहु तआला अन्हुमा का निकाह एक के बाद एक मुसलमानों के दूसरे खलीफा हज़रत उस्मान गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु से किया। इसीलिए जनाब हज़रत उस्मान गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु को ज़ुन्नूरैन (दो नूर वाले) के लकब से याद किया जाता है।


कुरैश की औरतें कहती थीं कि इन्सान ने जो सबसे हसीन जोड़ा देखा है वह रुकय्या और उनके शौहर उस्मान का है। रदियल्लाहु तआला अन्हुमा


यह इस्लाम का शुरुआती दौर था मक्का वाले मुसलमानों पर सख्त दबाव और ज़ुल्म व सितम कर रहे थे। लिहाज़ा निकाह के बाद हज़रते उस्मान रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रते रुक़य्या रदियल्लाहु अन्हा को साथ लेकर मक्का से हब्शा की तरफ हिजरत की। 


फिर हब्शा से मक्का वापस आकर मदीना मुनव्वरा की तरफ़ हिजरत की। और यह मियां बीवी दोनों साहिबुल हिजरतैन होकर दो बार हिजरत करने के सबाब से मालामाल हुए। 


अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने अपनी साहबज़ादी हज़रते रुकय्या रदियल्लाहु तआला अन्हा की खिदमत के लिए अपनी बांदी उम्मे अयाश उनको दी थी जो घर के कामों में हजरत रुक़य्या रदियल्लाहु तआला अन्हा का हाथ बटातीं नबी ए रहमत सल्लल्लाहु तआला अलैहि‌ व आलिही वसल्लम अपनी पाक बेटी और दामाद पर खास तवज्जोह और इनायत फरमाते।


एक दफा का वाक्या है कि अल्लाह पाक के आखिरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम अपनी पाक बेटी हज़रते रुक़य्या के यहां तशरीफ ले गए उस वक्त वह अपने शौहर हज़रत उस्मानीश गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु के सर को धो रही थीं। नबी ए रहमत सल्लल्लाहु तआला अलैहि‌ व आलिही वसल्लम ने इस खिदमत को देखकर इरशाद फरमाया : ऐ बेटी! अपने शौहर उस्मान के साथ अच्छा सुलूक रखा करें और अच्छा अच्छे मामले के साथ जिंदगी गुजारे उस्मान मेरे सहाबा में से अच्छे अखलाक में मेरे साथ ज़्यादा मेल खाते हैं।


2 हिजरी में इस्लाम की पहली जंग जंगे बद्र के दिनों में हज़रते रुक़य्या रदियल्लाहु अन्हा बहुत सख़्त बीमार थीं। पैग़ंबरे आज़म हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने मुसलमानों के दूसरे खलीफा हज़रत उस्मान रदियल्लाहु अन्हु को जंगे बद्र में शरीक होने से रोक दिया। और यह हुक्म दिया कि हज़रते रुक़य्या रदियल्लाहु अन्हा की तीमारदारी (ख्याल) करें।


हज़रते जैद बिन हारिस रदियल्लाहु अन्हु जिस दिन जंगे बद्र में मुसलमानों की कामयाबी की खुशखबरी लेकर मदीना पहुंचे उसी दिन हज़रते रुक़य्या रदियल्लाहु अन्हा ने 20 साल की उम्र पाकर वफात पाई। पैग़ंबरे आज़म हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम जंगे बद्र के सबब से उनके जनाज़ा में शरीक न हो सके। कफ़न व दफन के तमाम काम हज़रत उस्मान गनी के हाथों अंजाम पाए।


हज़रते उस्मान रदियल्लाहु तआला अन्हु जंगे बद्र में शरीफ न हुए लेकिन पैग़ंबरे आज़म हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने उनको जंगे बद्र में शिरकत करने वालों में शामिल फ़रमाया और जंगे बद्र में शिरकत करने वालों के बराबर सवाब की खुशखबरी भी दी।


हज़रते रुक़य्या रदियल्लाहु अन्हा के शिकमे मुबारक से हज़रते उस्मान ग़नी रदियल्लाहु अन्हु के एक बेटे हब्शा में रहने के दौरान पैदा हुए थे। जिनका नाम अब्दुल्लाह था। यह अपनी मां के बाद 4 हिजरी में छह बरस की उम्र पाकर इंतकाल कर गए। अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने इनकी नमाज़े जनाज़ा खुद पढ़ी।

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