मुहम्मद जाबिर अल-बुस्तानी (858 ई० – 939 ई.) :Untold Muslim Scientist, philosophers story


 


मुहम्मद जाबिर अल-बुस्तानी का जन्म 858 ई. में हरान में हुआ। उनकी गिनती चोटी के मुस्लिम खगोल शास्त्रियों में होती है। जाबिर ने प्रारम्भिक शिक्षा हरान में अपने पिता से प्राप्त की। जवान होकर वह इराक़ के कूफ़ा शहर में बस गये और वहीं उनके जीवन का ज़्यादा समय गुजरा। उन्होंने युवावस्था से मुहम्मद जाबिर अल-बुस्तानी ही अंतरिक्ष का अध्ययन शुरू कर दिया था।

जाबिर बुस्तानी का कारनामा यह है कि उन्होंने वर्षों के अध्ययन के बाद खगोल के मानचित्र तैयार किये। जिसके आधार पर एक पंचांग तैयार किया गया जिसे अल-बुस्तानी पंचांग कहा जाता है। उसे यूरोप में बहुत लोकप्रियता मिली।

अल-बुस्तानी की पुस्तक का किसी यूरोपीय भाषा में अनुवाद 1113 ई. में हुआ उसके बाद तेरहवीं शताब्दी में स्पैन के राजा अलफ़ांसो ने इसका स्पैनिश भाषा में अनुवाद कराया। सोलहवीं शताब्दी में खगोल शास्त्र पर उनकी पुस्तक का अनुवाद लातीनी और जर्मन भाषा में भी किया गया। बुस्तानी ने खगोल शास्त्र के प्रयोग और अध्ययन के कोणों का जो नाप लिया वह लगभग उचित था जिससे ज्ञात होता है कि वह अपने अध्ययन में निपुण थे। उन्होंने माप के लिए जो यंत्र बनाए वह अति-उत्तम थे।

आज के खगोल शास्त्री अल-बुस्तानी के अध्ययन से पूर्ण सहमति जताते हैं और उनके निष्कर्षों को सही मानते हैं। इसके अलावा ट्रिग्नोमैट्री (त्रिकोणमिति) में भी उनकी खोज प्रामाणिक मानी जाती है।

उन्होंने अपना पूरा जीवन गणित और खगोल शास्त्र के अध्ययन को समर्पित कर था। उनका देहान्त 71 वर्ष की आयु में सामरा नगर में हुआ।

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