शहज़ादी ए रसूल हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु तआला अन्हा
मुफ्तिया कहकशां फातिमा
तुर्कमानपुर, गोरखपुर।
हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु तआला अन्हा अल्लाह पाक के आखरी नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की साहिबज़ादियों में सबसे बड़ी और नबी ए रहमत सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की पहली औलाद हैं। आपकी पैदाइश ऐलाने नुबुव्वत से 10 साल पहले जब पैग़ंबरे आज़म हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की ज़ाहिरी उम्र शरीफ 30 साल थी मक्का मुकर्रमा में उम्मुल मोमिनीन हज़रत खदीजा रदियल्लाहु तआला अन्हा के शिकम से हुई।
नबी ए पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम आपकी विलादत पर बहुत खुश हुए। अरब वाले अपने बच्चों की शुरुआती परवरिश देहात की खुली हवाओं में कराते। लिहाज़ा इसी दस्तूर के मुताबिक शुरू में आपको एक नेक सीरत खातून के हवाले कर दिया गया। दो साल की मुद्दत पूरी हुई तो आप दोबारा अपनी मां के देखभाल में आईं और नेक मां बाप के साए में पाक तालीम व तरबियत हासिल की।
उम्मुल मोमिनीन हज़रत खदीजा रदियल्लाहु तआला अन्हा की गुज़ारिश पर अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु तआला अन्हा का निकाह अबुल आस बिन रबी'अ से कर दिया। जो किरदार के लिहाज़ से एक सच्चे व ईमानदार शख्स थे।
जब अल्लाह तआला ने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम को अपने नबी होने का ऐलान करने का हुक्म दिया तो सबसे पहले उम्मुल मोमिनीन हज़रत खदीजा रदियल्लाहु तआला अन्हा ईमान लाईं और आपकी साहबज़ादियां (पाक बेटियां) भी साथ ही ईमान ले आईं।
नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की मक्की ज़िंदगी में मक्के की इस्लाम दुश्मन ताकतों ने मुसलमानों पर बहुत ज़ुल्म ढाए। इस्लाम दुश्मनी में वह अख्लाकी व इंसानी हदों को भूल चुके थे।
लिहाज़ा अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की बड़ी साहबजादी हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु तआला अन्हा जिनकी शादी अबुल आस बिन रबी'अ से हो चुकी थी। कुरैश (मक्का में रहने वाला एक कबीला) की इस्लाम दुश्मन ताकतों ने उनको इस सिलसिले में जाकर मजबूर करना शुरू कर दिया कि वह हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु तआला अन्हा को तलाक़ दे दें। इसके बदले क़बीला ए क़ुरैश में से जिस औरत से आप निकाह करना चाहें, हम वह औरत पेश कर सकते हैं।
अबुल आस ने जवाब दिया कि मैं अपनी बीवी ज़ैनब को तलाक दे कर अपने से जुदा नहीं कर सकता और इसके बदले में क़ुरैश की किसी औरत को पसंद नहीं करता और न ही क़ुरैश की कोई औरत इसके बदले में मुझे चाहिए।
क़ुरैश की इस्लाम दुश्मन ताकतों ने नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की पाक बेटी के रिश्ते को खत्म करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। लेकिन अबुल आस मुबारकबाद के काबिल हैं कि वह अभी इस्लाम नहीं लाए थे इसके बावजूद जब कौम ने तलाक देने पर ज़ोर दिया तो आपने उसे ठुकरा दिया। अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने भी इस मसले में उनको शुक्रगुजारी और कद्रदानी के अच्छे अल्फ़ाज़ के साथ सराहा।
मक्का की इस्लाम दुश्मन ताकतें जब शिद्दत पकड़ गईं तो अल्लाह पाक के हुक्म से मुसलमान और अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम मदीना शरीफ की तरफ हिजरत कर गए।
हिजरत के बाद इस्लाम का एक नया दौर शुरू हुआ। कई जंगें लड़ी गईं। उन्हीं में से एक जंग जंग ए बदर भी है। इस जंग में मुसलमानों को अल्लाह पाक ने जीत अता की। दुश्मनों में से 70 लोग कैद किए गए। इन्हीं में अबुल आस भी शामिल थे। इन सबको मदीना लाया गया और इनसे फिदया लेकर रिहा करने का फैसला हुआ।
मक्का वालों ने अपने अपने कैदियों को रिहा कराने के लिए फिदये और मुआवज़े मदीना की तरफ भेजे। इसी सिलसिले में अबुल आस की रिहाई के लिए हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु तआला अन्हा ने अपना वह हार जो उनको वालिदा हज़रत खदीजा रदियल्लाहु तआला अन्हा की तरफ से अता हुआ था मदीना की तरफ भेजा।
मदीना में यह फिदये अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम के सामने पेश किए गए। अबुल आस के मुआवज़े के तौर पर भेजा गया हज़रत जैनब रदियल्लाहु तआला अन्हा का हार (जो हज़रत खदीजा रदियल्लाहु तआला अन्हा ने उन्हें था।) पर जब नबी ए रहमत सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने नज़र फरमाई। तो उम्मुल मोमिनीन हज़रत खदीजा रदियल्लाहु तआला अन्हा की याद उभर आई। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम पर एक कैफियत तारी हो गई। इससे मौजूद लोगों पर भी असर पड़ा। नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने उस वक्त सहाबा किराम से अर्ज़ किया कि अगर तुम अबुल आस को रिहा कर दो और जैनब के इस हार को जो उन (अबुल आस) के मुआवज़े में उन्होंने भेजा है वापस कर दो, क्या तुम ऐसा कर सकते हो? सहाबा किराम ने फरमाया हुज़ूर का कहना सही है, हम अबुल आस को बिला मुआवज़ा रिहा करते हैं और ज़ैनब के हार को वापस करते हैं।
नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम तो मुसलमानों की जान के भी मालिक हैं लेकिन यह अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम का अज़मत वाला इखलाक है कि आपने पहले सहाबा किराम के सामने यह बात पेश की फिर हार वापस देने का फैसला किया।
बहर हाल, अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने अबुल आस से वादा लिया कि जब आप मक्का वापस पहुंचें तो हज़रत ज़ैनब को मदीना आने की इजाज़त दे दें। अबुल आस बिला मुआवज़ा रिहा कर दिए गए और हज़रत ज़ैनब का हार लेकर मक्का पहुंचे।
मक्का पहुंच कर अबुल आस ने हज़रत ज़ैनब से सारे हालात बताए और वादे के मुताबिक मदीना जाने की इजाज़त भी दे दी। हज़रत ज़ैनब ने हिजरत की तैयारी की, ऊंट पर सवार हुईं और मदीना की तरफ निकल पड़ीं।
मक्का के इस्लाम दुश्मन ज़ालिम रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की पाक व बेकसूर बेटी पर ज़ुल्म ढाने के लिए आपके पीछे हुए और जब आप वादी ए ज़ी तुवा के पास पहुंची तो आप पर बहुत ज़ुल्म ढाया गया। उस वक्त आप उम्मीद से भी थीं। आप रदियल्लाहु तआला अन्हा को सवारी से गिरा दिया गया आप एक चट्टान पर गिर गईं। सख्त चोटें आईं, काफी खून बहा और आप रदियल्लाहु तआला अन्हा बहुत ज़ख्मी हो गईं। किनाना जो हज़रत जैनब के ऊंट को चला रहें थे उन्होंने दुश्मनों का सामना किया तब जाकर ज़ालिम कहीं ठंडे पड़े।
इस बे कसूर खातून पर ज़ालिमों ने सिर्फ दीन की वजह से मुसीबतों के पहाड़ तोड़े। अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम
की बेटी होने की वजह से आपको मुसीबतें उठानी पड़ीं। लिहाज़ा नबी ए रहमत सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया : "मेरी बेटियों में ज़ैनब सबसे अफज़ल है जो मेरी वजह से मुसीबत में गिरफ्तार हुई और उसे तकलीफ दी गई।"
इस वक्त सख्त मुकाबला पेश आने की वजह से हज़रत ज़ैनब को वापस लौटना पड़ा। चंद दिन ठहरने के बाद ज़ैद बिन हारसा जो मदीना शरीफ से आप रदियल्लाहु तआला अन्हा को लेने के लिए आए हुए थे। उनके साथ आप बड़ी इज़्ज़त व एहतराम से मदीना को पहुंचीं।
हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु तआला अन्हा अपने वालिद अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम के यहां रहने लगीं। मक्का वाले तिजारत (Business) के सिलसिले में मुल्के शाम (Syria) की तरफ सफर किया करते थे। एक तिजारती काफिला (Commercial caravan) शाम की तरफ रवाना हुआ। इस काफिले में अबुल आस भी थे। कुरैश का माले तिजारत (Merchandise) आपके पास था। मुल्के शाम से जब यह काफिला लौटा तो जमादिल ऊला 6 हिजरी में इसे गिरफ्तार कर उनके माल को अपनी निगरानी में ले लिया गया।
अबुल आस काफिले वालों से आगे आगे पहले ही मदीना पहुंच गए और हज़रत जैनब के यहां पनाह ली। नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने भी हज़रत जैनब के पनाह देने को सही करार दिया। इसके बाद नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम अपनी पाक बेटी हज़रत जैनब के घर तशरीफ लाए और इरशाद फरमाया "ऐ प्यारी बेटी! उन (अबुल आस) की खातिरदारी अच्छी करना, उनको इज़्ज़त के साथ रखना और अज़्दवाजी ताल्लुक से परहेज़ करना।
इसके बाद नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने आदमी भेज कर अबुल आस का माल वापस दिलवाया। अबुल आस ने अपना सारा माल वसूल किया और मक्का वापस आ गए।
मक्का पहुंचने के बाद जिन लोगों के माल अबुल आस के पास थे उन्हें वापस कर दिया। इसके बाद उनसे कहा ऐ कुरैश की जमात! क्या किसी का माल मेरे पास बाकी रह गया है? या तुमने वसूल कर लिया, सबने कहा कि अब हमारा कोई माल तुम्हारे पास नहीं।
इसके बाद कुरैश के सामने अबुल आस ने ऐलान किया : "मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह तआला के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं और मुहम्मद (सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम) अल्लाह के बंदे और उसके रसूल हैं।"
आप रदियल्लाहु तआला अन्हु इस्लाम के दामन में दाखिल हो गए और फरमाया : "अल्लाह की कसम! मदीना शरीफ में इस्लाम लाने से सिर्फ यह चीज़ मुझे रुकावट रही कि कहीं तुम यह सोचने लगो कि मैंने तुम्हारे माल को खा जाने का इरादा कर लिया था। जब अल्लाह तआला ने तुम्हारी तरफ तुम्हारे माल वापस कर दिए और मैं उनसे फारिग हो गया, तो अब मैं इस्लाम लाया हूं।"
इसके बाद हज़रत अबुल आस रदियल्लाहु तआला अन्हु मक्का से निकल पड़े। अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर हुए। आपका ईमान बड़ा कामिल और पुख्ता हो गया।
हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु तआला अन्हा इस वाकिया के बाद ज़्यादा वक्त ज़िन्दा न रहीं और 08 हिजरी में आपका विसाल हो गया। आपके इंतक़ाल की वजह पहली बार हिजरत की कोशिश के वक्त मक्का के इस्लाम दुश्मन लोगों के ज़रिए पहुंचाई गई तकलीफ बताई जाती है जो मकाम ए तुवा में आपको दी गई थी।
हज़रत उम्मे ऐमन, हज़रत सौदा और हज़रत उम्मे सलमा ने अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम के बताए मुताबिक आपको गुस्ल दिया। कफ़न पहनाया गया। आपकी नमाज़ ए जनाज़ा खुद आपके इज़्ज़त वाले वालिद अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने पढ़ाई। नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम बेहद गमगीन थे, आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की आंखों से आंसू जारी थे और आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम फरमा रहे थे : "जैनब मेरी सबसे अच्छी लड़की थी, जो मेरी मुहब्बत में सताई गई।"
हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु तआला अन्हा ने अपने पीछे एक लड़का अली और एक लड़की उमामा छोड़ी। थोड़े वक्त के बाद आपके शौहर हज़रत अबुल आस रदियल्लाहु तआला अन्हु का भी इंतकाल हो गया।
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