फ़ज़ल नीरेजी (चौदहवीं शताब्दी) :Untold Muslim Scientist, philosophers story


 


फ़ज़ल नीरेजी ईरान के एक छोटे से शहर नीरेज़ के रहने वाले थे। इसीलिए उनके नाम के आखिर में नीरेजी लिखा जाता है। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा नीरेज़ में ही ग्रहण की। वह अपने युग के महान गणित शास्त्री और पर्यावरणविद् (Environmentalist) थे। वह संसार के प्रथम वैज्ञानिक थे जिन्होंने पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों पर शोध करके ‘फ़ज़ाई मज़ाहिर’ नाम की पुस्तक लिखी।

गणित में भी उनके योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कोणों (Angles) की स्पर्श रेखा के मूल्य का पता लगाया जो उनसे पहले गणित शास्त्री हबश हाबिस द्वारा खोजे मूल्यों से ज़्यादा सही थे। लेकिन उन्हें ख्याति प्राप्त हुई खगोल शास्त्र पर लिखित पुस्तक ‘करवी इस्तरलाब’ से। यह पुस्तक चार खण्डों में है।

विज्ञान में उनके मूल्यवान योगदान को देखते हुए अब्बासी ख़लीफ़ा (मिस्री) मोअतज़िद बिल्लाह प्रथम ने उन्हें राजदरबार के वैज्ञानिकों में शामिल कर लिया। मौसम के बदलाव पर लिखित अपनी पुस्तक ‘फ़ज़ाई मज़ाहिर’ उन्होंने ख़लीफ़ा मोअतज़िद को समर्पित की जिससे उसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई।

दिशाओं (Directions) की खोज पर भी फ़ज़ल ने एक पुस्तक लिखी थी जिसका लातीनी भाषा में अनुवाद किया गया। 1922 ई० में जर्मन भाषा में इसका अनुवाद हुआ।

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