इब्ने वहाब : untold Muslim Scientist, philosophers story


 


इब्ने वहाब आठवीं शताब्दी के प्रसिद्ध नाविक गुज़रे हैं। उन्हें बचपन से ही विदेश यात्राओं का शौक़ था। इसलिए उन्होंने भूगोल और जहाज़रानी की शिक्षा ली। उस ज़माने में ईरान की खाड़ी पर सेराफ़ मशहूर बंदरगाह थी। वहाँ दुनिया भर से जलपोत सामान लेकर आते थे। बसरा शहर से व्यापार का सामान लाकर उन जहाज़ों पर लादा जाता था। चीन से आने वाले जहाज़ माल लेकर सबसे पहले उमान के मसक़त नगर पहुँचते थे फिर वहाँ से भारत की ओर चल देते थे। भारत से यह मलेशिया जाते थे।

क्योंकि उस ज़माने में मुसलमान प्रगतिशील थे वह व्यापार में भी उन्नति कर रहे थे। इसलिए पर्यटन और व्यापार का शौक़ उन्हें हिन्द महासागर, दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण अफ्रीका, चीन और अमरीका तक ले गया। उस दौर में चीन एक सुदूर देश माना जाता था। अरब व्यापारियों के अनुसार चीन एक शांत और पर्यटन की दृष्टि से सुरक्षित देश समझा जाता था। चीन से रेशम, शीशे व चीनी मिट्टी के बर्तन आते थे। अरब यात्रियों के शौक़ के कारण ही भूगोल और पर्यटन के क्षेत्र में उन्नति हुई।

इब्ने वहाब ने अपने सफ़रनामे में चीन यात्रा का वर्णन किया है। उस ज़माने में चीन की यात्रा के लिए हज़ार दिरहम देने पड़ते थे। इब्ने वहाब चीन के शहर ख़मदान का इन शब्दों में वर्णन करते हैं, “खमदान एक बड़ा शहर है जो दो भागों में विभाजित है। दोनों भागों के बीच एक चौड़ी सड़क है। सड़क को छोटी-छोटी नहरें काटती हैं। पूर्वी भाग में चीन का सम्राट, उसके मंत्री और दरबारी रहते हैं। इसी भाग में यात्रियों के ठहरने के लिए सराय (होटल) हैं।

शहर का दूसरा भाग जो पश्चिमी दिशा में है व्यापारी और जन मानस आबाद हैं। सुबह के समय सम्राट के कर्मचारी इस भाग में खरीदारी करने आते हैं।

जब मैं चीन पहुँचा तो मुझे कुछ समय बंदरगाह पर रुकना पड़ा और नगर में प्रवेश की आज्ञा नहीं मिली। मैंने बहुत आग्रह किया कि मुझे नगर में प्रवेश करने दिया जाए। मैं यहाँ के हालात और रहन-सहन के बारे में जानना चाहता हूँ। परन्तु मुझे आज्ञा नहीं मिली। काफ़ी दिन बाद मुझे सम्राट की ओर से आज्ञा मिली तो वहाँ के गवर्नर ने मेरे बारे में पूर्ण जानकारी सम्राट को दी और मुझे शहर के एक मकान में ठहराया गया। गवर्नर ने मुझे बुलाकर अरब के शासक, धर्म और दूसरी बातें पूछीं। उसने मुझे एक संदूक़ दिखाया जिसमें कई पैग़म्बरों के चित्र थे। उन्हीं में एक चित्र हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का भी था। )

गवर्नर ने इस बात का मज़ाक़ उड़ाया कि नूह अलैहिस्सलाम के ज़माने में पूरे संसार में विनाशकारी बाढ़ आई थी और मुसलमान इस बात पर विश्वास करते हैं। उसने हमारे धर्म के बारे में कई नागवार बातें कहीं।” इब्ने वहाब ने कई और देशों की यात्राएं की जिनका रिकार्ड नष्ट हो चुका है, और न ही इब्ने वहाब की मृत्यु के बारे में कुछ पता चल पाया है।

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